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आइये, सरला ने चार लाख नियोजित शिक्षकों के आक्रोश को अभिव्यक्ति दी है ! लड़ाई को ताकत दें !

आइये, सरला ने चार लाख नियोजित शिक्षकों के आक्रोश को अभिव्यक्ति दी है ! हम सब की यह फर्ज बनती है कि हम उसके साथ खड़े होकर उसकी लड़ाई को ताकत दें ! दुनिया में किसी भी दौर में हक़ हकूक की लड़ाई को क्रांतिकारी आवेग सरला बजरंग सरीखे नौजवान और नवयुवतियों ने देने का काम किया है !
चुनौती यह है कि उस लड़ाई को मजबूती के साथ आगे जीत के अंजाम तक कैसे बढाए !
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उसे यह फ़िक्र है हरदम,
नया तर्जे-जफ़ा क्या है?
हमें यह शौक देखें,
सितम की इंतहा क्या है?
दहर से क्यों खफ़ा रहे,
चर्ख का क्यों गिला करें,
सारा जहाँ अदू सही,
आओ मुकाबला करें.
कोई दम का मेहमान हूँ,
ए-अहले-महफ़िल,
चरागे सहर हूँ,
बुझा चाहता हूँ
हवाओं में रहेगी,
मेरे ख़यालों की बिजली,
यह मुश्त-ए-ख़ाक है फ़ानी,
रहे रहे न रहे।
- भगतसिंह.

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