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सिंडिकेट की बैठक में 300 शिक्षकों की सेवा संपुष्टि को मंजूरी

मुजफ्फरपुर। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में गुरुवार को हुई सिंडिकेट की बैठक में 300 शिक्षकों की सेवा संपुष्टि को मंजूरी मिली। वर्षो से लंबित 41 चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की पदोन्नति हुई। कुल 48 कर्मियों की दस साल सेवा पूरी होने पर समान काम का समान वेतन को मिली मंजूरी।
बैठक की अध्यक्षता कुलपति डॉ. अमरेंद्र नारायण यादव ने की। बैठक में कुलसचिव डॉ. अजय कुमार श्रीवास्तव, विधान पार्षद डॉ. संजय कुमार सिंह व डॉ. देवेश चंद्र ठाकुर, सदस्य डॉ. हरेंद्र कुमार, डॉ. शिवानंद सिंह, डॉ. धनंजय सिंह, डॉ. वीरेंद्र चौधरी, डॉ. अच्युतानंद, डॉ. ममता रानी, डॉ. नरेंद्र पटेल व मो. शमी इकबाल आदि मौजूद रहे।
कुल 556 शिक्षकों की हुई सेवा नियमित
सम्बद्ध महाविद्यालयों में सालों से कार्यरत शिक्षकों की सेवा संपुष्टि लंबित थी। पिछली सिंडिकेट की बैठक में 256 शिक्षकों की सेवा नियमितीकरण की प्रक्रिया को मंजूरी मिल गई थी। गुरुवार को 300 और शिक्षकों की नियमितीकरण को हरी झंडी मिली। इस प्रकार कुल 556 शिक्षकों की सेवा संपुष्टि का प्रतिवेदन सरकार को भेजा जाएगा।
तीन साल से इंतजार
विवि के 41 चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की तीन साल पूर्व ही प्रोन्नति तृतीय श्रेणी पद पर हो गई थी। लेकिन, तकनीकी प्रक्रियाओं के चलते वेतनमान नहीं मिल रहा था। विगत वर्ष से प्रक्रिया चली थी। इस बैठक में इनकी प्रोन्नति को मंजूरी मिली। अब उन्हें तृतीय श्रेणी का वेतनमान मिलेगा।
इनकी आस भी पूरी हुई
समान काम का समान वेतन की मांग को लेकर पिछले दिनों विश्वविद्यालय एक माह तक बंद रहा था। आज 48 कर्मियों को समान काम का समान वेतन मिलने के प्रस्ताव को स्वीकार किया गया।
गलती विवि की, पीड़ित हो प्राध्यापक
सिंडिकेट सदस्य डॉ. हरेंद्र कुमार ने मैथिली, भौतिकी व उर्दू के एसोसिएट प्रोफेसरों के प्रोफेसर पद में प्रोन्नति का मामला उठाया। कहा कि जिन कारणों से उनकी प्रोन्नति रोकी गई है, उसके लिए संबंधित पक्ष नहीं बल्कि, विवि प्रशासन जिम्मेदार है। लिहाजा इनकी प्रोन्नति हो। सर्व सम्मति से सभी सदस्यों ने प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इस पर कुलपति ने एक सप्ताह का समय मांगा। इस अवधि में विधि परामर्श लिया जाएगा।
सम्बद्ध महाविद्यालयों के आय - व्यय की होगी जांच
सिंडिकेट सदस्य डॉ. धनंजय कुमार सिंह ने कहा कि सम्बद्ध महाविद्यालयों की शासी निकाय की कार्यप्रणाली शिक्षकों एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों के शोषण पर आधारित है। ऐसे में उनकी आय-व्यय की जांच आवश्यक है। लिहाजा एक कमेटी का प्रस्ताव रखा, जिसे मंजूरी मिली। कमेटी गठन करने का अधिकार कुलपति को दिया गया। वे जल्दी ही कमेटी का गठन करेंगे।
इन पर भी चर्चा हुई
- अनुकंपा पर बहाली के 60-70 मामले हैं। इनकी बहाली की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाए।

- कैश एडवांस स्कीम व टाइम बाउंड प्रमोशन के पात्रता रखने वाले छूटे शिक्षकों के बारे में नियमानुसार प्रक्रिया अपनाई जाए। यह मामला सिंडिकेट सदस्य डॉ. हरेंद्र कुमार ने उठाया।

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