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पढ़ें कोर्ट में सरकार के जबाबी हलफनामा की कुछ मुख्य बातें : समान काम के लिए समान वेतन

पढ़ें सरकार के जबाबी हलफनामा की कुछ मुख्य बातें ।
1- सरकार का जबाब - याचिका कर्ताओं के द्वारा नियमित/सहायक सरकारी शिक्षक के साथ एक ही सरकारी विद्यालयों में एक समय पर एक ही जैसा काम करने के आधार पर नियोजित शिक्षकों को समान काम के लिए समान वेतन देने की मांग किया जाना गैर कानूनी है ।
2- सरकार का जबाब - ये मांग गैर क़ानूनी इसलिए भी है कि नियमित शिक्षक एवं नियोजित शिक्षक के बहाली की प्रक्रिया, नियोजन कर्ता और नियोजन का शर्त आदि अलग-अलग है । इसलिए समान काम समान वेतन के सभी केस में कोई दम नहीं है इसे कोर्ट में ख़ारिज किया जाय ।
3- सरकार के जबाबी हलफनामा के पारा 13 में यह कहा गया है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्टेट ऑफ़ पंजाब एवं अन्य बनाम जगदीश सिंह के याचिका में पारित आदेश के पारा 42 (x) में यह कहा गया है कि अलग अलग स्थानीय निकायी संस्थानों द्वारा संचालित संस्था में काम कर रहे कर्मियों में बीच समानता नहीं हो सकती है । इसलिए बिहार सरकार के मुताबिक माननीय सुप्रीम कोर्ट के इस पारित आदेश के आलोक में भी नियोजित शिक्षक को समान काम के लिए समान वेतन नहीं मिल सकता है ।
4-बिहार सरकार ने कोर्ट को बताया है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 309 के अंतर्गत कार्यपालिका को यह अधिकार प्राप्त है कि जिसे वह उचित समझे उस प्रकार सेवाशर्त बना सकता है ।
5- सरकार ने बताया है कि स्थानीय निकाय को संविधान के धारा 243 सह पठित शिड्यूल 11 व 12 के अंतर्गत उनको सेल्फ गवर्नमेंट की शक्ति प्रदान की गई है । इसके अंतर्गत उन्हें यह शक्ति व जिम्मेवारी दी गई है कि प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा से सम्बंधित कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए स्वतंत्र है ।
6- सरकार ने बताया है कि मुख्य सचिव, बिहार की अध्यक्षता में गठित कमिटी के अनुशंसा पर प्रशिक्षित व अप्रशिक्षित नियोजित शिक्षक को सरकार के संकल्प संख्या 1530 दिनांक 11-08-2015 के द्वारा पारित आदेश से विहित वेतनमान दी जा रही है ।
इसके आलावे सरकार ने आर्थिक तंगी का हवाला देते हुए अपने जबाब में कई नकारात्मक तथ्यों को शामिल कर कोर्ट को गुमराह करने का प्रयास किया है ।

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