बड़ा खुलासा/अपील 21-03-17
~ कोर्ट में सरकार की ओर से 16 मार्च 2017 को डिप्टी डायरेक्टर , श्रीमति पुष्पा झा के द्वारा दी गई जबाब से सरकार के शिक्षक विरोधी नीति व घटिया चाल का खुलासा हुआ है ।
आप सभी को आनंद का प्रणाम
बिहार सरकार के द्वारा माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देश को दरकिनार कर 04 लाख नियोजित शिक्षक के संबैधानिक मांग समान काम समान वेतन को गैर कानूनी बताये जाने से बिहार सरकार का शिक्षक विरोधी चेहरा एक बार पुनः उभरकर सामने आ चुका है ।
इसलिए बिहार के चार लाख नियोजित शिक्षक भाई बहन से आग्रह है कि आपसी मतभेदों को भुलाकर शिक्षक हित में सरकार के शिक्षक विरोधी नीति एवं कोर्ट को मनगढंत जबाब देकर गुमराह करने के खिलाफ 23 मार्च से पटना की सड़कों पर उतरकर बिहार सरकार को मुँहतोड़ जबाब देते हुए मांग को पूरी करने पर बाध्य कर देने कृपा करें । जिससे पुनः तीन सप्ताह बाद सरकार के द्वारा अपने जबाब से कोर्ट को गुमराह करने के बजाय सभी नियोजित शिक्षक को समान काम के लिए समान वेतन देने की बात सरकार से कोर्ट में लिखित रूप से स्वीकार करवाया जा सके । नहीं तो बिहार सरकार के इस प्रकार के कुतर्कों से नियोजित शिक्षकों को न्याय के बदले सिर्फ तारीख पे तारीख ही मिलते रहने की संभावना प्रबल होती जा रही है ।
हालाँकि बिहार पंचायत पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ के द्वारा माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के लाइट में समान काम के लिए समान वेतन को लेकर दायर की गई केस में निःशुल्क (फ्री में) वकालत कर रहे अधिवक्ता श्री मृत्युंजय कुमार जी को सरकार के अधिवक्ता के द्वारा जबाब की कॉपी मिलते ही सरकार के सभी कुतर्कों का बिन्दुबार संबैधानिक जबाब माननीय हाइकोर्ट पटना में देने के लिए रात दिन एक करते हुए जबाब तैयार करने में जुट चुके है ।
~बिहार सरकार ने माननीय हाइकोर्ट पटना में समान काम समान वेतन से सम्बंधित याचिकाओं में अपना जबाबी हलफनामा दायर कर अपने घटिया तर्क के द्वारा नियोजित शिक्षक के समान काम के लिए समान वेतन की मांग को गैर कानूनी बताते हुए सभी याचिकाओं को ख़ारिज करने की अपील की है ।
~ कोर्ट में सरकार की ओर से 16 मार्च 2017 को डिप्टी डायरेक्टर , श्रीमति पुष्पा झा के द्वारा दी गई जबाब से सरकार के शिक्षक विरोधी नीति व घटिया चाल का खुलासा हुआ है ।
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आप सभी को आनंद का प्रणाम
बिहार सरकार के द्वारा माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देश को दरकिनार कर 04 लाख नियोजित शिक्षक के संबैधानिक मांग समान काम समान वेतन को गैर कानूनी बताये जाने से बिहार सरकार का शिक्षक विरोधी चेहरा एक बार पुनः उभरकर सामने आ चुका है ।
इसलिए बिहार के चार लाख नियोजित शिक्षक भाई बहन से आग्रह है कि आपसी मतभेदों को भुलाकर शिक्षक हित में सरकार के शिक्षक विरोधी नीति एवं कोर्ट को मनगढंत जबाब देकर गुमराह करने के खिलाफ 23 मार्च से पटना की सड़कों पर उतरकर बिहार सरकार को मुँहतोड़ जबाब देते हुए मांग को पूरी करने पर बाध्य कर देने कृपा करें । जिससे पुनः तीन सप्ताह बाद सरकार के द्वारा अपने जबाब से कोर्ट को गुमराह करने के बजाय सभी नियोजित शिक्षक को समान काम के लिए समान वेतन देने की बात सरकार से कोर्ट में लिखित रूप से स्वीकार करवाया जा सके । नहीं तो बिहार सरकार के इस प्रकार के कुतर्कों से नियोजित शिक्षकों को न्याय के बदले सिर्फ तारीख पे तारीख ही मिलते रहने की संभावना प्रबल होती जा रही है ।
हालाँकि बिहार पंचायत पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ के द्वारा माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के लाइट में समान काम के लिए समान वेतन को लेकर दायर की गई केस में निःशुल्क (फ्री में) वकालत कर रहे अधिवक्ता श्री मृत्युंजय कुमार जी को सरकार के अधिवक्ता के द्वारा जबाब की कॉपी मिलते ही सरकार के सभी कुतर्कों का बिन्दुबार संबैधानिक जबाब माननीय हाइकोर्ट पटना में देने के लिए रात दिन एक करते हुए जबाब तैयार करने में जुट चुके है ।
~बिहार सरकार ने माननीय हाइकोर्ट पटना में समान काम समान वेतन से सम्बंधित याचिकाओं में अपना जबाबी हलफनामा दायर कर अपने घटिया तर्क के द्वारा नियोजित शिक्षक के समान काम के लिए समान वेतन की मांग को गैर कानूनी बताते हुए सभी याचिकाओं को ख़ारिज करने की अपील की है ।
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