अगर बिना जाँच के कॉलेजों को मान्यता नहीं,
तो फिर बिना जाँच के शिक्षक कैसे नियुक्त हो जाते है ?
ये बिहार है मिलॉड,यहाँ मान्यता और नियुक्ति क्या हर काम बिना जाँच के होती है, और फ़र्ज़ी छात्र, फ़र्ज़ी कॉलेज, फ़र्ज़ी शिक्षक, फ़र्ज़ी परीक्षार्थी, फ़र्ज़ी वीक्षक, और फ़र्ज़ी सर्टिफिकेट धरल्ले से मिलते है.
राज्य ब्यूरो ,पटना : हाईकोर्ट ने राज्य सरकार एवं बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को 6 महीने के भीतर 16 सौ इंटर कॉलेजों की सम्बद्धता जांच करा कर रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। 1सोमवार को मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन एवं न्यायाधीश सुधीर सिंह की खंडपीठ ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पूछा कि इंटर कॉलेजों की बिना जांच कराए आखिर क्यों मान्यता दे देती है राज्य सरकार ? अशोक शर्मा ने लोकहित याचिका दायर कर अदालत में जानकारी दी थी कि बिना मानदंड पूरा किये बड़े पैमाने पर इंटर कॉलेजों को सम्बद्धता प्रदान कर दी गई है। 2008-2010 के बाद इंटर कॉलेज को बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के हवाले कर दिया गया। नियमावली के अनुसार सारे इंटर कॉलेजों की जांच कराई जानी चाहिए थी। सुनवाई में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुनील कुमार सिंह का कहना था कि कॉलेजों के निरीक्षण कराए बिना मान्यता देने से ही बच्चा राय जैसे लोगों का कॉलेज चलने दिया गया। ऐसे अनेक इंटर कॉलेज हैं जहां बुनियादी सुविधाएं नहीं है। इसके बावजूद इन्हें मान्यता मिल गई। उन्होने कहा कि सही तरीके से जांच कराई गई तो 50 फीसद इंटर कॉलेज ही मानदंड पर खरे उतरेंगें। मामले में खंडपीठ ने कहा कि सारी जिम्मेदारी परीक्षा समिति की नहीं है। राज्य सरकार को देखना चाहिए कि कैसे चल रहे इंटर कॉलेज ? कोर्ट ने कहा परीक्षा समिति को जितने भी मैन पावर की जरूरत है, दी जाए। अदालत को जानकारी दी गई कि 1600 इंटर कॉलेजों में से 1400 से ज्यादा एफिलिएटेड एवं 167 उत्क्रमित राजकीय उच्चतर प्लस टू कॉलेज हैं। सुनवाई में राज्य सरकार व परीक्षा समिति की तरफ से बताया गया कि जांच कार्य 6 महीने से चल रहा है। लेकिन इतने कम समय में यह कार्य नहीं हो पाया है। संबद्धता की जांच का कार्य चल रहा है। इसमें से 77 इंटर कॉलेजों की सम्बद्धता सही नहीं पाई गई। इसलिए इन कॉलेजों की सम्बद्धता रद कर दी गई है। परीक्षा चलने के कारण अभी बचे इंटर कॉलेजों की जांच नहीं हो पाई है।’
तो फिर बिना जाँच के शिक्षक कैसे नियुक्त हो जाते है ?
ये बिहार है मिलॉड,यहाँ मान्यता और नियुक्ति क्या हर काम बिना जाँच के होती है, और फ़र्ज़ी छात्र, फ़र्ज़ी कॉलेज, फ़र्ज़ी शिक्षक, फ़र्ज़ी परीक्षार्थी, फ़र्ज़ी वीक्षक, और फ़र्ज़ी सर्टिफिकेट धरल्ले से मिलते है.
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- समान काम का समान वेतन के लिए आना होगा सब को एक मंच पर
- समान काम समान वेतन पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पूरी तरह समझने के लिए और अपने हक एवं अधिकार के बारे में जानने के लिए यह वीडियो एक बार अवश्य देखें
राज्य ब्यूरो ,पटना : हाईकोर्ट ने राज्य सरकार एवं बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को 6 महीने के भीतर 16 सौ इंटर कॉलेजों की सम्बद्धता जांच करा कर रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। 1सोमवार को मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन एवं न्यायाधीश सुधीर सिंह की खंडपीठ ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पूछा कि इंटर कॉलेजों की बिना जांच कराए आखिर क्यों मान्यता दे देती है राज्य सरकार ? अशोक शर्मा ने लोकहित याचिका दायर कर अदालत में जानकारी दी थी कि बिना मानदंड पूरा किये बड़े पैमाने पर इंटर कॉलेजों को सम्बद्धता प्रदान कर दी गई है। 2008-2010 के बाद इंटर कॉलेज को बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के हवाले कर दिया गया। नियमावली के अनुसार सारे इंटर कॉलेजों की जांच कराई जानी चाहिए थी। सुनवाई में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुनील कुमार सिंह का कहना था कि कॉलेजों के निरीक्षण कराए बिना मान्यता देने से ही बच्चा राय जैसे लोगों का कॉलेज चलने दिया गया। ऐसे अनेक इंटर कॉलेज हैं जहां बुनियादी सुविधाएं नहीं है। इसके बावजूद इन्हें मान्यता मिल गई। उन्होने कहा कि सही तरीके से जांच कराई गई तो 50 फीसद इंटर कॉलेज ही मानदंड पर खरे उतरेंगें। मामले में खंडपीठ ने कहा कि सारी जिम्मेदारी परीक्षा समिति की नहीं है। राज्य सरकार को देखना चाहिए कि कैसे चल रहे इंटर कॉलेज ? कोर्ट ने कहा परीक्षा समिति को जितने भी मैन पावर की जरूरत है, दी जाए। अदालत को जानकारी दी गई कि 1600 इंटर कॉलेजों में से 1400 से ज्यादा एफिलिएटेड एवं 167 उत्क्रमित राजकीय उच्चतर प्लस टू कॉलेज हैं। सुनवाई में राज्य सरकार व परीक्षा समिति की तरफ से बताया गया कि जांच कार्य 6 महीने से चल रहा है। लेकिन इतने कम समय में यह कार्य नहीं हो पाया है। संबद्धता की जांच का कार्य चल रहा है। इसमें से 77 इंटर कॉलेजों की सम्बद्धता सही नहीं पाई गई। इसलिए इन कॉलेजों की सम्बद्धता रद कर दी गई है। परीक्षा चलने के कारण अभी बचे इंटर कॉलेजों की जांच नहीं हो पाई है।’
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