भारत देश में 6 से 14 वर्ष के हर बच्चे को नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के लिए शिक्षा आधिकार अधिनियम 2009 बनाया गया है। यह पूरे देश में अप्रैल 2010 से लागू किया गया है। इस कानून को लागू करने के लिए गुजरात राज्य के शिक्षा विभाग द्वारा फरवरी 2012 से नियम तैयार किये गये हैं।
यह कानून हर बच्चे को नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्राप्त करने का अवसर और अधिकार देता है, इसके मुख्य पहलू इस प्रकार है-
1. प्रत्येक बच्चे को उसके निवास क्षेत्र के एक किलोमीटर के भीतर प्राथमिक स्कूल और तीन किलोमीटर के अन्दर-अन्दर माध्यमिक स्कूल उपलब्ध होना चाहिए। निर्धारित दूरी पर स्कूल नहीं हो तो उसके स्कूल आने के लिए छात्रावास या वाहन की व्यवस्था की जानी चाहिए।
2. बच्चे को स्कूल में दाखिला देते समय स्कूल या व्यक्ति किसी भी प्रकार का कोई अनुदान नहीं मांगेगा, इसके साथ ही, बच्चे या उसके माता-पिता या अभिभावक को साक्षात्कार देने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा। अनुदान की राशि मांगने या साक्षात्कार लेने के लिए भारी दंड का प्रावधान है।
3. विकलांग बच्चे भी मुख्यधारा की नियमित स्कूल से शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।
4. किसी भी बच्चे को आवश्यक कागजों की कमी के कारण स्कूल में दाखिला लेने से नहीं रोका जा सकता है, स्कूल में प्रवेश प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी किसी भी बच्चे को प्रवेश के लिए मना नहीं किया जाएगा और किसी भी बच्चे को प्रवेश परीक्षा देने के लिए नहीं कहा जाएगा।
5. किसी भी बच्चे को किसी भी कक्षा में (फेल करके) नहीं रोका जाएगा और आठ साल तक की शिक्षा पूरी करने तक किसी भी बच्चे को स्कूल से नहीं हटाया जाएगा।
6. स्कूलों में शिक्षकों और कक्षाओं की संख्या पर्याप्त मात्रा में रहेगी (हर 30 बच्चों पर एक शिक्षक, हर शिक्षक के लिए एक कक्षा और प्रिंसिपल के लिए एक अलग कमरा उपलब्ध करवाया जाएगा।)
7. कोई भी शिक्षक/शिक्षिका निजी शिक्षण या निजी शिक्षण गतिविधि नहीं चलाएगा/चलाएगी।
8. स्कूलों में लड़कियों और लडक़ों के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था की जाएगी।
9. किसी भी बच्चे को मानसिक यातना या शारीरिक दंड नहीं दिया जाएगा।
10. इस अधिनियम के तहत, शिकायत निवारण के लिए ग्राम स्तर पर पंचायत, क्लस्टर स्तर पर क्लस्टर संसाधन केन्द्र (सीआरसी), तहसील स्तर पर तहसील पंचायत, जिला स्तर पर जिला प्राथमिक शिक्षा अधिकारी की व्यवस्था है।
यह कानून हर बच्चे को नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्राप्त करने का अवसर और अधिकार देता है, इसके मुख्य पहलू इस प्रकार है-
1. प्रत्येक बच्चे को उसके निवास क्षेत्र के एक किलोमीटर के भीतर प्राथमिक स्कूल और तीन किलोमीटर के अन्दर-अन्दर माध्यमिक स्कूल उपलब्ध होना चाहिए। निर्धारित दूरी पर स्कूल नहीं हो तो उसके स्कूल आने के लिए छात्रावास या वाहन की व्यवस्था की जानी चाहिए।
2. बच्चे को स्कूल में दाखिला देते समय स्कूल या व्यक्ति किसी भी प्रकार का कोई अनुदान नहीं मांगेगा, इसके साथ ही, बच्चे या उसके माता-पिता या अभिभावक को साक्षात्कार देने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा। अनुदान की राशि मांगने या साक्षात्कार लेने के लिए भारी दंड का प्रावधान है।
3. विकलांग बच्चे भी मुख्यधारा की नियमित स्कूल से शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।
4. किसी भी बच्चे को आवश्यक कागजों की कमी के कारण स्कूल में दाखिला लेने से नहीं रोका जा सकता है, स्कूल में प्रवेश प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी किसी भी बच्चे को प्रवेश के लिए मना नहीं किया जाएगा और किसी भी बच्चे को प्रवेश परीक्षा देने के लिए नहीं कहा जाएगा।
5. किसी भी बच्चे को किसी भी कक्षा में (फेल करके) नहीं रोका जाएगा और आठ साल तक की शिक्षा पूरी करने तक किसी भी बच्चे को स्कूल से नहीं हटाया जाएगा।
6. स्कूलों में शिक्षकों और कक्षाओं की संख्या पर्याप्त मात्रा में रहेगी (हर 30 बच्चों पर एक शिक्षक, हर शिक्षक के लिए एक कक्षा और प्रिंसिपल के लिए एक अलग कमरा उपलब्ध करवाया जाएगा।)
7. कोई भी शिक्षक/शिक्षिका निजी शिक्षण या निजी शिक्षण गतिविधि नहीं चलाएगा/चलाएगी।
8. स्कूलों में लड़कियों और लडक़ों के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था की जाएगी।
9. किसी भी बच्चे को मानसिक यातना या शारीरिक दंड नहीं दिया जाएगा।
10. इस अधिनियम के तहत, शिकायत निवारण के लिए ग्राम स्तर पर पंचायत, क्लस्टर स्तर पर क्लस्टर संसाधन केन्द्र (सीआरसी), तहसील स्तर पर तहसील पंचायत, जिला स्तर पर जिला प्राथमिक शिक्षा अधिकारी की व्यवस्था है।