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टॉपर्स घोटाला: सरकार की भद पिटी, अफसर ही नहीं नेता भी थे ईमानदार

PATNA : बिहार बोर्ड से जुड़े कारनामे की वजह से बिहार की काफी आलोचना हो रही है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या बिहार में ईमानदार मेधा है ही नहीं कि उन्हें जिम्मेदार पदों पर रखा जाए। डिनोटिफाई कर दिया था चार सौ कॉलेजों को सच यह है कि ईमानदार लोगों की कभी कमी ही नहीं रही बिहार में।
एक समय था जब नागेश्वर प्रसाद शर्मा जैसे चेयरमेन ने सुरेन्द्र सिंह यादव के कई कॉलेजों का रिएवेलुएशन करा दिया था। मिल्लत कॉलेज और बीआर कॉलेज के रिजल्ट का भी उन्होंने रिएवेलुएशन तमाम दबावों के बावजूद करा दिया था और अंत तक अपने फैसले पर अड़े रहे। सुरेन्द यादव के कॉलेज से फ‌र्स्ट, सेकेंड और थर्ड टॉपर आ गया था, लेकिन बाद में मेरिट लिस्ट में वह कहीं नहीं रहा। मिल्ल्त कॉलेज का रिजल्ट 98 परसेंट से 8 परेंसट पर जा पहुंचा था। उन्होंने टीम बनाकर म् माह के अंदर कॉलेजों की इन्क्वायरी करवाई और ब्00 कॉलेजों को डिनोटिफाई कर दिया था और हाईकोर्ट को सूचित कर दिया था कि इन कॉलेजों के छात्रों का एडमिशन रोक दिया जाए। तब लालू प्रसाद का हाथ उन पर था.

विधान परिषद् के तीन सदस्य जाते थे बोर्ड में
बिहार विधान परिषद् के अधिनियम के तहत बिहार विधान परिषद् से तीन सदस्यों का नाम निर्देशित किया जाता है। वर्ष क्99ख् के अधिनियम के तहत इंटरमीडिएट काउंसिल में विधान परिषद् के द्वारा नाम निर्देशित किए जाते रहे हैं। बोर्ड की बैठकों में यह जाते भी रहे हैं। तत्कालीन बोर्ड चेयरमेन नागेश्वर प्रसाद शर्मा ने अपनी किताब इंटर काउंसिल : एक हकीकत, में इसका चौंकानेवाला तथ्य सामने रखा है.

लिखा है कि बैठक समाप्त होने पर कैशियर द्वारा जब यात्रा या ठहराव भत्ता के नगदी भुगतान प्रपत्र को हस्ताक्षर के लिए प्रस्तुत किया जाता था तो तीन व्यक्ति (रामानंदन सिंह, पीके सिन्हा और केदार पांडेय) भुगतान प्रपत्र को अस्वीकृत कर देते थे। मेरी कार्याविधि में सिर्फ नीलांबर चौधरी ही भुगतान प्राप्त करते रहे थे। तीन माननीय सदस्यों द्वारा भुगतान नहीं प्राप्त करने के बारे में उनका कहना था कि इंटरमीडिएट काउंसिल से यात्रा / ठहराव भत्ता की राशि प्राप्त करना न सिर्फ अवैध है बल्कि एक ही कार्य के लिए दो श्रोतों से भुगतान प्राप्त करना का भी मामला बनता है। अंकेक्षण दल द्वारा भी इस भुगतान की प्राप्ति अवैध है, तो फिर नीलांबर चौधरी बेहिचक भुगतान कैसे लेते रहे हैं? चौधरी जी के तर्क में भी बल है और वह यह है कि आर्थिक लाभ से वंचित ही रहना है तो फिर परिषद् में सदस्य के रूप में मनोनीत होने के लिए चरण- स्पर्श अथवा तिकड़म का किरदार अपनाने का क्या फायदा?
आगे नागेश्वर प्रसाद शर्मा ने लिखा है कि पार्षदों की सूची से एक तथ्य आपके समक्ष अवश्य उभर कर आया होगा कि विगत क्ख्- क्फ् वर्षो में दो- तीन पार्षद बार- बार सदस्य बने रहे.


अध्यक्ष पर दबाव की राजनीति
पुस्तक- लेखक ने सबसे दिलचस्प जो लिखा है वह यह है कि- परिषद् के उच्च पदाधिकारियों के साथ अपने आक्रामक रवैया का अनुचित लाभ उठाते हुए अपने मुवक्किलों के लिए ऐसे परीक्षा- केन्द्र का चयन सुनिश्चित कराते हैं, जहां कदाचारयुक्त परीक्षा में खलल नहीं पहुंचे। तुर्रा तो यह कि ये सिर्फ शिक्षाप्रेमी ही नहीं हैं, समाजसेवी भी हैं खादी वस्त्र पर यदि बंडी या टोपी या दोनों चढ़ जाए तो फिर तो पूछना ही क्या? यदि कागज- क्रय का टेंडर निकलता है तो ये किसी खास प्रतिष्ठान के पक्ष में रूचि दिखाते हुए परिषद् अध्यक्ष पर दबाव की राजनीति अख्तियार करते हैं। यदि सर्टिफिकेट स्टेशनरी के क्रय का प्रस्ताव हो तो वहां भी किसी विशेष हस्तलिपिक (कातिब) के पक्ष में उनकी रुचि रहती है और उनका आदेश निर्गत कराकर ही दम लेते हैं। अपने फर्जी वोटरों के प्रति ये शिक्षणविमुख शिक्षक- लेजिस्लेटर्स कितने हमदर्द हैं, इसे सराहे बिना नहीं कहा जा सकता है.

पुस्तक में दी गई इस सूची पर गौर करें
वर्ष - क्99फ्
डॉ नीलांबर चौधरी (शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से)
सुरेन्द्र प्रसाद यादव (शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से)
छत्रपति शाही मुंडा
वर्ष - क्997
प्रो अरूण कुमार (शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से)
नवल किशोर यादव (शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से)
ाजेन्द्रनाथ सहदेव
वर्ष- क्99भ्
तनवीर हसन
सुरेन्द्र प्रसाद यादव (शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से)
डॉ नीलांबर चौधरी (शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से)
वर्ष- ख्000
डॉ नीलांबर चौधरी (शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से)
नवल किशोर यादव (शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से)
तनवीर हसन
वर्ष- ख्00फ्
रामानंदन सिंह
पी के सिन्हा
केदार पांडेय
डॉ नीलांबर चौधरी (शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से)
किसने कितनी राशि ली
बिहार इंटरमीडिएट शिक्षा परिषद् के विभिन्न समितियों और परिषद् की बैठक में भाग लेने के लिए यात्रा भत्ता और ठहराव के रूप में पार्षद- सदस्यों को भुगतान की गई राशि निम्नवत है-
नीलांबर चौधरी - करीब 8 लाख रुपए
नवल किशोर यादव - करीब ब्.भ् लाख रुपए
तनवीर हसन - करीब क्.भ् लाख रुपए
अरुण कुमार - करीब क्.ख् लाख रुपए
रामनंदन सिंह - शून्य
पीके सिन्हा - शून्य

केदार पांडेय - शून्य
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