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फर्जी रिपोर्ट पर बोर्ड चलाता रहा स्कूल

गोरखधंधा . पीओ-डीडीएम ने िकया था स्कूल का झूठा बखान, भेज दी थी झूठी िरपोर्ट बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा जारी रिजल्ट में फर्जीवाड़े का खुलासा भले ही इस वर्ष हुआ, लेकिन समिति के फर्जीवाड़े की जड़ें भागलपुर में वर्षों पहले से गड़ी हैं.
इसका जीता जागता उदाहरण है लैलख हाइस्कूल.
 
भागलपुर : वर्ष 2013 में भागलपुर के जिस लैलख हाइस्कूल की अलग-अलग भौतिक रिपोर्ट शिक्षा विभाग को सौंप कर कार्यक्रम पदाधिकारी व नाबार्ड के डीडीएम ने स्कूल की उत्कृष्ट स्थिति का बखान किया था, उसी स्कूल की एक साल बाद वर्ष 2014 में सबौर के बीडीओ व शिक्षा विभाग के डीपीओ ने जांच कर स्कूल का अस्तित्व नहीं होने की रिपोर्ट सौंपी. बावजूद इसके पूर्व में फर्जी रिपोर्ट देनेवाले पदाधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. वर्ष 2014 में फर्जी लैलख हाइस्कूल के 202 छात्रों को बिहार बोर्ड ने रिजल्ट के साथ प्रमाणपत्र भी जारी कर दिया. 
 
वर्ष 2013 में लैलख हाइस्कूल की रिपोर्ट (प्रस्वीकृत/स्थापना अनुमति प्राप्त विद्यालय का अद्यतन प्रतिवेदन/मांग पत्र) शिक्षा विभाग के तत्कालीन कार्यक्रम पदाधिकारी कृष्णानंद सदा ने तैयार कर तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी को सौंपी थी. रिपोर्ट पर कार्यक्रम पदाधिकारी श्री सदा व डीइओ दोनों के हस्ताक्षर हैं.
 
  श्री सदा ने रिपोर्ट पर लिखा है कि उपलब्ध संसाधनों की भौतिक स्थिति को देखते हुए अनुदान की अनुशंसा की जाती है. इसी वर्ष लैलख हाइस्कूल के प्रधानाध्यापक मुकेश्वर मंडल द्वारा जारी किये गये शपथ पत्र में स्कूल की बुनियादी सुविधा को उत्कृष्ट तरीके से पेश किया गया और इस पर नाबार्ड कंसल्टेंसी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के डीडीएम सुरेश कुमार साव ने सत्यापित किया है कि प्राचार्य द्वारा दी गयी सारी सूचनाएं उनकी जानकारी में सही है. 
 
डीएम को भेजी गयी थी फर्जी स्कूल की रिपोर्ट, स्कूल को सही बतानेवाले अधिकारी बचे रह गये
2014 में की गयी सबौर बीडीओ की जांच रिपोर्ट
 
ग्राम पंचायत लैलख के जनप्रतिनिधियों व ग्रामीणों द्वारा दिये गये विभिन्न शिकायत पत्रों के संदर्भ में ग्राम पंचायत लैलख में कथित रूप से संचालित उच्च विद्यालय लैलख की जांच की गयी. इस विद्यालय का कहीं कोई भौतिक अस्तित्व नहीं है. न इसका कहीं भवन है न कोई साइनबोर्ड. ग्रामीणों की शिकायतें सही हैं कि कथित विद्यालय मात्र कागज पर चलाया जा रहा है.
नोट-यह रिपोर्ट 9/8/14 को ज्ञापांक 1461 के द्वारा भागलपुर के डीएम व एसडीओ को सौंपी गयी थी.
 
2014 में की गयी आरएमएसए के डीपीओ की रिपोर्ट
 
6/8/2014 को अपराह्न दो बजे उच्च विद्यालय लैलख की स्थलीय जांच की गयी. स्थलीय जांच क्रम में स्थापना अनुमति प्राप्त उच्च विद्यालय लैलख के प्रधानाध्यापक व अन्य कर्मी अनुपस्थित पाये गये. ग्रामीणों के द्वारा बताया कि उच्च विद्यालय लैलख वास्तविक रूप से संचालित नहीं है और न ही विद्यालय का अपना भवन है. विद्यालय के नाम से 4.73 एकड़ भूमि राज्यपाल के नाम से निबंधित है, जो अलग-अलग टुकड़ों में उपलब्ध है. विद्यालय का कोई प्रबंधन समिति अस्तित्व में नहीं है. अत: निरीक्षण के क्रम में पाया गया कि वर्तमान में उच्च विद्यालय लैलख संचालित नहीं है.
 
नोट : यह रिपोर्ट पत्रांक 737, दिनांक 16.8.2014 को जिला शिक्षा पदाधिकारी को सौंपी गयी थी.
19.11.15 को बोर्ड ने निरस्त किया था कोड, कार्रवाई नहीं
 
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने पत्रांक 1712, दिनांक 19.11.2015 को जारी पत्र उच्च विद्यालय लैलख के नाम जारी किया था. इसमें उल्लेख था कि प्रधानाध्यापक ने स्पष्टीकरण के जवाब में अपने बचाव में स्थिति स्पष्ट की. लिहाजा विद्यालय को पूर्व से आवंटित कोड-31513 को निरस्त किया जाता है, लेकिन न तो बोर्ड ने और न शिक्षा विभाग ने इस मामले में उन पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की, जिनकी रिपोर्ट में विद्यालय को अस्तित्व में और तमाम सुविधाओं से लैस बताया गया था.

 
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