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सरकारी प्रोत्साहन राशि बिगाड़ रही बिहार की शिक्षा व्यवस्था!

पटना  राज्य सरकार ने 2009-10 से अब तक गैर सहायता प्राप्त स्कूलों पर 952 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। यह जानकारी गुरुवार को आधिकारिक सूत्रों ने दी। इस सूची में वैशाली का विष्णु राय स्कूल भी शामिल है। विष्णु राय स्कूल पर बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड (बीएसबीई) की परीक्षाओं में बैठने वाले अपने छात्रों को सबसे ज्यादा नंबर दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी करने का आरोप है, और इसकी जांच भी की जा रही है।
सूत्रों ने बचाया कि राज्य सरकार के अधीन 1200 निजी स्कूल आते हैं, जिनमें 10वीं और 12वीं की पढ़ाई होती है। राज्य सरकार इन स्कूलों को उनके छात्रों के रिजल्ट के आधार पर वार्षिक प्रोत्साहन राशि देती है। अभी तक इस तरह के स्कूलों को 952,57,57,300 रुपए की धनराशि दी जा चुकी है।

स्कूल को 12वीं कक्षा में फर्स्ट डिविजन पास होने वाले प्रति छात्र के हिसाब से 7000 रुपये की प्रोत्साहन राशि, वहीं नौवीं और दसवीं कक्षा के छात्रों के पास होने पर 3500 रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है। लड़कियों के पास होने पर यह राशि बढ़कर 7,400 रुपये हो जाती है। इसी तरह अगर लड़के सेकंड और थर्ड डिविजन से 12वीं पास करते हैं तो स्कूल को प्रति छात्र क्रमश: 6000 रुपये और 5000 रुपये मिलते हैं। अगर लड़कियां सेकंड और थर्ड डिविजन से पास होती हैं, तो स्कूल को 6400, 5400 रुपये का अनुदान मिलता है।


कई लोगों का मानना है कि इसी तरह के अनुदान के लिए स्कूलों में अच्छे रिजल्ट को लेकर मुकाबला रहता है। शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने कहा, 'इन स्कूलों के पास न तो आवश्यक सुविधाएं हैं और न ही अध्यापक। वे पढ़ाई का स्तर नहीं सुधार सकते। इसलिए वह अच्छे रिजल्ट के लिए गलत तरीकों का इस्तेमाल करते हैं।'

मई 2009 में सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी किया था। जिसमें 2007-08 के 10वीं के रिजल्ट और 2006--08 तक के 12वीं के रिजल्ट के अनुदान का भुगतान कर दिया जाए। अकेले 2007-08 में विष्णु राय कॉलेज को 50 लाख रुपये का अनुदान मिला था।
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