पटना. राज्य सरकार के साल 2019 की शिक्षक
भर्ती प्रक्रिया को पटना हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। 15 जून से 31 अगस्त
तक 90 हजार से अधिक प्रारंभिक शिक्षकों की नियोजन कार्यक्रम में न्यायिक
हस्तक्षेप करते हुए पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि
इस भर्ती कार्यक्रम की अंतिम चयन सूची को कोई भी नियोजन इकाई जारी नहीं
करेगी। न्यायमूर्ति डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की एकल पीठ ने नीरज कुमार व
अन्य की रिट याचिका को सुनते हुए राज्य सरकार को उक्त निर्देश जारी करते
हुए राज्य सरकार से इस मामले में जवाब तलब किया है।
याचिकाकर्ता के वकील दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि यह नियोजन कार्यक्रम 2019 का ही है। एनसीटीई से मान्यता प्राप्त संस्थानों से जो सेवारत शिक्षक 18 महीने का डीएलएड कोर्स पास किया था, उन्हें भी इस नियोजन कार्यक्रम में आवेदन देने का अधिकार पटना हाई कोर्ट ने संजय कुमार यादव के मामले में पारित न्यायादेश के जरिए दिया था। हाईकोर्ट के उस आदेश पर शिक्षा महकमे ने एनसीटीई व सरकार से मन्तव्य लेते हुए नई अधिसूचना जारी की, जिसमें 2019 के शिक्षक नियोजन कार्यक्रम में डीएलएड अभ्यार्थियों सहित दिसंबर 2019 में उत्तीर्ण हुए कम्बाइंड टीईटी अभ्यार्थियों को भी आवेदन देने का मौका सरकार ने 8 जून को दिया था। शिक्षा विभाग ने 15 जून 2020 को जारी अपने आदेश से यह स्पष्ट किया कि वर्तमान नियोजन कार्यक्रम में सिर्फ उपरोक्त डीएलएड अभ्यार्थियों का ही आवेदन अनुमान्य होगा और दिसम्बर 2019 में उत्तीर्ण हुए कम्बाइन्ड टीईटी अभ्यार्थियों को नियोजन कार्यक्रम में शामिल होने का अवसर नहीं मिलेगा।
याचिकाकर्ताओं ने उक्त 15 जून के आदेश को राज्य सरकार का मनमानापन कहते हुए उसे असंवैधानिक करार करते हुए निरस्त करने की मांग हाई कोर्ट से की है। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की कानूनी दलील को सही पाते हुए नियोजन कार्यक्रम की अंतिम चयन सूची को जारी करने पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया। मामले की अगली सुनवाई 4 सितम्बर को रखते हुए हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि सरकार से संभव हो तो वो अपने यथोचित कानूनी संशोधन कर पूरे विवाद को विराम लगा सकती है ।
तीन माह में पूरी होनी थी बहाली
राज्य सरकार 71 हजार प्रारंभिक स्कूलों में 90763 प्रारंभिक शिक्षकों की बहाली तीन माह में पूरी करना चाहती थी। शिक्षा विभाग ने कहा था कि एनआईओएस से 18 माह का डीएलएड के साथ टीईटी उत्तीर्ण अभ्यथियों को आवेदन के लिए लगभग एक माह का समय दिया जाएगा। पुराने अभ्यर्थियों को दोबारा आवेदन करने की जरूरत होगी। डीएलएड के नए अभ्यर्थियों के साथ रेगुलर कोर्स वाले अभ्यर्थियों की मिला कर मेधा सूची जारी होगी।
एनसीटीई (नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर्स एजुकेशन) द्वारा एनआईओएस से 18 माह का डीएलएड मान्यता देने के बाद स्थगित नियोजन फिर शुरू करने का रास्ता साफ हो गया था। 11 फरवरी को विभाग ने नियोजन प्रक्रिया स्थगित कर दी थी। अधिकांश नियोजन इकाई में मेधा सूची प्रकाशित हो गई थी। नए शामिल अभ्यर्थियों के आधार पर नए सिरे से मेधा सूची जारी होगी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने इसपर रोक लगा दिया।
प्रारंभिक स्कूलों में शिक्षक रिक्ति
दरभंगा में सबसे अधिक 8244 पद रिक्त हैं। शिवहर में सबसे कम 337 पद रिक्त हैं। मुजफ्फरपुर में 4806, गया में 2502, पटना में 2272 और भागलपुर में 2012 पद रिक्त हैं। कक्षा 5 तक की कक्षाओं के लिए सामान्य विषयों में 46870 पद रिक्त हैं। उर्दू शिक्षकों के 14662 और बांग्ला के 135 पद की रिक्ति बतायी गई है। कक्षा 6 से 8 तक की कक्षाओं के लिए गणित व विज्ञान विषय के 6919, हिन्दी 5734, संस्कृत 4499, अंग्रेजी 3687, उर्दू 2739 और सामाजिक विज्ञान में 2536 शिक्षकों की नियुक्ति होनी है।
याचिकाकर्ता के वकील दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि यह नियोजन कार्यक्रम 2019 का ही है। एनसीटीई से मान्यता प्राप्त संस्थानों से जो सेवारत शिक्षक 18 महीने का डीएलएड कोर्स पास किया था, उन्हें भी इस नियोजन कार्यक्रम में आवेदन देने का अधिकार पटना हाई कोर्ट ने संजय कुमार यादव के मामले में पारित न्यायादेश के जरिए दिया था। हाईकोर्ट के उस आदेश पर शिक्षा महकमे ने एनसीटीई व सरकार से मन्तव्य लेते हुए नई अधिसूचना जारी की, जिसमें 2019 के शिक्षक नियोजन कार्यक्रम में डीएलएड अभ्यार्थियों सहित दिसंबर 2019 में उत्तीर्ण हुए कम्बाइंड टीईटी अभ्यार्थियों को भी आवेदन देने का मौका सरकार ने 8 जून को दिया था। शिक्षा विभाग ने 15 जून 2020 को जारी अपने आदेश से यह स्पष्ट किया कि वर्तमान नियोजन कार्यक्रम में सिर्फ उपरोक्त डीएलएड अभ्यार्थियों का ही आवेदन अनुमान्य होगा और दिसम्बर 2019 में उत्तीर्ण हुए कम्बाइन्ड टीईटी अभ्यार्थियों को नियोजन कार्यक्रम में शामिल होने का अवसर नहीं मिलेगा।
याचिकाकर्ताओं ने उक्त 15 जून के आदेश को राज्य सरकार का मनमानापन कहते हुए उसे असंवैधानिक करार करते हुए निरस्त करने की मांग हाई कोर्ट से की है। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की कानूनी दलील को सही पाते हुए नियोजन कार्यक्रम की अंतिम चयन सूची को जारी करने पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया। मामले की अगली सुनवाई 4 सितम्बर को रखते हुए हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि सरकार से संभव हो तो वो अपने यथोचित कानूनी संशोधन कर पूरे विवाद को विराम लगा सकती है ।
तीन माह में पूरी होनी थी बहाली
राज्य सरकार 71 हजार प्रारंभिक स्कूलों में 90763 प्रारंभिक शिक्षकों की बहाली तीन माह में पूरी करना चाहती थी। शिक्षा विभाग ने कहा था कि एनआईओएस से 18 माह का डीएलएड के साथ टीईटी उत्तीर्ण अभ्यथियों को आवेदन के लिए लगभग एक माह का समय दिया जाएगा। पुराने अभ्यर्थियों को दोबारा आवेदन करने की जरूरत होगी। डीएलएड के नए अभ्यर्थियों के साथ रेगुलर कोर्स वाले अभ्यर्थियों की मिला कर मेधा सूची जारी होगी।
एनसीटीई (नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर्स एजुकेशन) द्वारा एनआईओएस से 18 माह का डीएलएड मान्यता देने के बाद स्थगित नियोजन फिर शुरू करने का रास्ता साफ हो गया था। 11 फरवरी को विभाग ने नियोजन प्रक्रिया स्थगित कर दी थी। अधिकांश नियोजन इकाई में मेधा सूची प्रकाशित हो गई थी। नए शामिल अभ्यर्थियों के आधार पर नए सिरे से मेधा सूची जारी होगी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने इसपर रोक लगा दिया।
प्रारंभिक स्कूलों में शिक्षक रिक्ति
दरभंगा में सबसे अधिक 8244 पद रिक्त हैं। शिवहर में सबसे कम 337 पद रिक्त हैं। मुजफ्फरपुर में 4806, गया में 2502, पटना में 2272 और भागलपुर में 2012 पद रिक्त हैं। कक्षा 5 तक की कक्षाओं के लिए सामान्य विषयों में 46870 पद रिक्त हैं। उर्दू शिक्षकों के 14662 और बांग्ला के 135 पद की रिक्ति बतायी गई है। कक्षा 6 से 8 तक की कक्षाओं के लिए गणित व विज्ञान विषय के 6919, हिन्दी 5734, संस्कृत 4499, अंग्रेजी 3687, उर्दू 2739 और सामाजिक विज्ञान में 2536 शिक्षकों की नियुक्ति होनी है।