पटना 10 मई (वार्ता) बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कोरोना संकट के दौरान राजस्व संग्रह में हुई भारी कमी के मद्देनजर केन्द्र सरकार से 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर राज्य को मिलने वाले 7434 करोड़ रुपये अनुदान चालू वित्त वर्ष की पहल तिमाही में जारी करने का अनुरोध किया है।
श्री मोदी ने मोदी ने केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिख कर पंचायती राज संस्थाओं एवं शहरी निकायों को 15 वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर मिलने वाले 7434 करोड़ रुपये के अनुदान के साथ विश्वविद्यालय शिक्षकों के वेतन पर होने वाले व्यय और समग्र शिक्षा अभियान का केन्द्रांश पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में ही जारी करने की मांग की है।
उप मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि 15 वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर वित्त वर्ष 2020-21 में राज्य की पंचायती राज संस्थाओं को 5018 करोड़ रुपये एवं शहरी निकायों को 2416 करोड़ रुपये का अनुदान मिलना है। इस राशि को पहली तिमाही में जारी करने से नल-जल एवं नली-गली योजना के कार्यान्वयन में सुविधा होगी, अन्यथा माॅनसून शुरू होने के बाद काम कराना संभव नहीं हो पाएगा।
श्री मोदी ने इसके साथ ही समग्र शिक्षा अभियान का केन्द्रांश भी जारी करने की मांग करते हुए कहा है कि इस राशि का बड़ा हिस्सा प्रतिमाह 833 करोड़ रुपये यानी पहली तिमाही में 2499 करोड़ रुपये नियोजित शिक्षकों के वेतन भुगतान पर खर्च होगा। उन्होंने इस साल इस राशि में किसी प्रकार की कटौती नहीं करने का आग्रह करते हुए कहा कि पिछले वित्त वर्ष 2019-20 में 6426 करोड़ रुपये केन्द्रांश के विरुद्ध मात्र 326.93 करोड़ रुपये ही प्राप्त हुआ था।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के विश्वविद्यालय शिक्षकों के वेतन पर पहली तिमाही में 999 करोड़ रुपये खर्च होगा। सातवें वेतन आयोग की अनुशंसा पर विश्वविद्यालय शिक्षकों के पुनरीक्षित वेतन मद में 767 करोड़ रुपये विश्वविद्यालयों को दिया जा चुका है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की शर्तों के अनुसार इसका 50 प्रतिशत केन्द्र सरकार को वहन करना है। इसलिए, विश्वविद्यालय शिक्षकों के वेतन मद का केन्द्रांश केन्द्र सरकार तत्काल जारी करें।
सूरज शिवा
वार्ता
श्री मोदी ने मोदी ने केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिख कर पंचायती राज संस्थाओं एवं शहरी निकायों को 15 वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर मिलने वाले 7434 करोड़ रुपये के अनुदान के साथ विश्वविद्यालय शिक्षकों के वेतन पर होने वाले व्यय और समग्र शिक्षा अभियान का केन्द्रांश पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में ही जारी करने की मांग की है।
उप मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि 15 वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर वित्त वर्ष 2020-21 में राज्य की पंचायती राज संस्थाओं को 5018 करोड़ रुपये एवं शहरी निकायों को 2416 करोड़ रुपये का अनुदान मिलना है। इस राशि को पहली तिमाही में जारी करने से नल-जल एवं नली-गली योजना के कार्यान्वयन में सुविधा होगी, अन्यथा माॅनसून शुरू होने के बाद काम कराना संभव नहीं हो पाएगा।
श्री मोदी ने इसके साथ ही समग्र शिक्षा अभियान का केन्द्रांश भी जारी करने की मांग करते हुए कहा है कि इस राशि का बड़ा हिस्सा प्रतिमाह 833 करोड़ रुपये यानी पहली तिमाही में 2499 करोड़ रुपये नियोजित शिक्षकों के वेतन भुगतान पर खर्च होगा। उन्होंने इस साल इस राशि में किसी प्रकार की कटौती नहीं करने का आग्रह करते हुए कहा कि पिछले वित्त वर्ष 2019-20 में 6426 करोड़ रुपये केन्द्रांश के विरुद्ध मात्र 326.93 करोड़ रुपये ही प्राप्त हुआ था।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के विश्वविद्यालय शिक्षकों के वेतन पर पहली तिमाही में 999 करोड़ रुपये खर्च होगा। सातवें वेतन आयोग की अनुशंसा पर विश्वविद्यालय शिक्षकों के पुनरीक्षित वेतन मद में 767 करोड़ रुपये विश्वविद्यालयों को दिया जा चुका है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की शर्तों के अनुसार इसका 50 प्रतिशत केन्द्र सरकार को वहन करना है। इसलिए, विश्वविद्यालय शिक्षकों के वेतन मद का केन्द्रांश केन्द्र सरकार तत्काल जारी करें।
सूरज शिवा
वार्ता