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गलत नियोजन में फंस गया है 74 शिक्षकों का भविष्य

औरंगाबाद : मदनपुर प्रखंड में वर्ष 2014 में हुई गलत शिक्षक नियोजन में 74 शिक्षकों का भविष्य अटक गया है। गलत नियोजन का मामला तत्कालीन आइएएस अधिकारी सह एसडीओ राजीव रौशन ने पकड़ी थी। एसडीओ के जांच रिपोर्ट के आधार पर प्रखंड नियोजन इकाई के द्वारा जांच दल का गठन किया गया था और 19 फरवरी 2015 को गलत नियोजन मामले में 74 शिक्षकों को कार्यमुक्त कर दिया था।
उस समय के बीडीओ के द्वारा इन सभी शिक्षकों से कार्य लेना बंद कर दिया गया था। बीडीओ के द्वारा कार्य नहीं लेने के बावजूद शिक्षकों के द्वारा विद्यालय जाना बंद नहीं किया गया और तब से आज तक बिना वेतन के पढ़ा रहे हैं। जांच दल की रिपोर्ट के खिलाफ शिक्षकों ने जिला अपीलीय प्राधिकार में याचिका दायर की। अपीलीय प्राधिकार के पीठासीन पदाधिकारी के द्वारा शिक्षक पुरुषोत्तम कुमार को छोड़कर 30 शिक्षकों को विद्यालय में पुनस्र्थापित करते हुए बर्खास्तगी अवधि से वेतन भुगतान करने का आदेश दिया था। अपीलीय प्राधिकार का जब यह आदेश आया तो पूरे जिले में चर्चा का विषय बना था। अपीलीय प्राधिकार के आदेश के खिलाफ तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी एवं जिला कार्यक्रम पदाधिकारी ने प्राथमिक शिक्षा निदेशक को पत्र लिखते हुए अपीलीय प्राधिकार के आदेश पर मंतव्य मांगा था। निदेशक के द्वारा मामले में कोई आदेश नहीं निर्गत किया गया है। जिला शिक्षा पदाधिकारी मो. अलीम ने बताया कि अपीलीय प्राधिकार के आदेश के बावजूद शिक्षकों का वेतन बंद है। पूर्व के डीइओ के द्वारा भी वेतन निर्गत का आदेश नहीं दिया गया है। शिक्षकों के गलत नियोजन का मामला है जिस कारण जब तक विभाग के वरीय अधिकारी का कोई आदेश प्राप्त नहीं होता है वेतन का भुगतान नहीं किया जा सकता है। डीइओ के अनुसार शशिकांत पांडेय, विजय कुमार चौधरी, अनिल कुमार यादव, कामेश्वर कुमार, उपेंद्र कुमार यादव, श्रीमंगल कुमार, संतोष कुमार रौशन, नरेश कुमार नीरज, दिनेश ठाकुर, सुनील कुमार यादव, रूपा कुमारी, ज्ञानचंद प्रसाद, सुमंत कुमार, शतरूंजय कुमार ¨सह, नंदकिशोर कुमार, राजेश कुमार, मनोज कुमार ¨सह, शशिकांत कुमार, मीनी कुमारी, सत्येंद्र पासवान, सज्जन कुमार, रूबी कुमारी, रीतेश कुमार, किरण कुमारी, चंदन कुमार, सतीश कुमार, रवि प्रकाश, किरण कुमारी, कमलेश कुमार सिन्हा एवं पुरुषोत्तम कुमार का वेतन बंद है। बताया गया कि 74 शिक्षकों में कई शिक्षक का प्रमाण पत्र फर्जी होने के कारण निगरानी जांच को देखते हुए स्वत: नौकरी छोड़ दी थी। अब सवाल उठता है कि जिन शिक्षकों का गलत नियोजन के मामले में वेतन बंद है और वे बिना विभागीय आदेश के विद्यालय पढ़ाने जा रहे हैं पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। जब तक मामले में शिक्षकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं होगी, यह मामला चलता रहेगा।

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