सुपौल : नियोजित शिक्षकों को वेतन मिलना चाहिए था नियोजित इकाई से
लेकिन शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण डीपीओ स्थापना के खाते से भुगतान
हो रहा है. विशेष सचिव शिक्षा विभाग के ज्ञापांक 681 दिनांक 8 अक्तूबर 2012
के द्वारा नियोजित शिक्षकों के वेतन भुगतान की जवाबदेही नियोजन इकाई को दी
गयी थी. बावजूद शिक्षा विभाग द्वारा नियोजित शिक्षकों का वेतन भुगतान अपने
स्तर से ही किया जाता रहा. नियोजन इकाई द्वारा खाता भी खोला गया.
ताज्जुब नहीं कि खाते में राशि नहीं जाने के कारण खाता निष्क्रिय हो
गया. इधर, सरकार द्वारा नियोजित शिक्षकों के वेतन भुगतान के लिये पांच
वर्ष पूर्व लिये गये निर्णय को लागू करने के मद्देनजर शिक्षा विभाग के
निर्देश पर आपत्ति जताते हुए सदस्य सह सचिव नप नियोजन इकाई कार्यपालक
पदाधिकारी नप ने सरकार को वस्तुस्थिति से अवगत कराते हुए दिशा-निर्देश की
मांग की है. नप सुपौल के कार्यपालक पदाधिकारी ने विशेष सचिव शिक्षा विभाग
को पत्र लिख कर विगत पांच वर्षों के दौरान नियोजित शिक्षकों के वेतन भुगतान
डीपीओ स्थापना द्वारा किये जाने को वित्तीय अनियमितता के दायरे में
माना है.
खाते में नहीं दी गयी राशि
कार्यपालक पदाधिकारी ने शिक्षा विभाग के विशेष सचिव को लिखे पत्र में
कहा है कि जिला शिक्षा पदाधिकारी ने अपने पत्रांक 1269(नि) दिनांक 17
अक्तूबर 2017 से यह सूचित किया है कि अब नियोजित शिक्षकों को वेतनादि का
भुगतान विशेष सचिव शिक्षा विभाग के ज्ञापांक 681 दिनांक 08 अक्तूबर 2012 के
निर्देश के आलोक में किया जायेगा. पत्र में कहा गया है कि क्या उक्त पत्र
में वर्णित प्रावधानों को पूर्व में शिथिल किया गया था अथवा विभाग द्वारा
पुन: पुनर्जीवित किया गया है?
चूंकि उक्त पत्र (ज्ञापांक 681 दिनांक 8 अक्तूबर 2012) में वर्णित
निर्देशों का अनुपालन सुपौल शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों द्वारा नहीं किया
जा रहा था. पत्र में सवाल उठाते हुए कहा गया है कि क्या यह वित्तीय
प्रक्रिया अनियमित नहीं होगी. कहा गया है कि विभागीय निर्देशों के आलोक में
वर्ष 2013 में नगर परिषद कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा स्थानीय भारतीय स्टेट
बैंक में तीन खातों को नियोजित शिक्षकों के वेतनादि भुगतान के लिए खोला
गया था. शिक्षा विभाग द्वारा उन खातों में कभी भी वेतनादि भुगतान के लिए
राशि नहीं दी गयी.
निर्देश के विपरीत पांच वर्षों से होता रहा वेतन भुगतान
बता दें कि विशेष सचिव शिक्षा विभाग के ज्ञापांक 681 दिनांक 8 अक्तूबर
2012 के द्वारा नियोजित शिक्षकों के वेतन भुगतान की जवाबदेही नियोजन इकाई
को दी गयी थी. शिक्षा विभाग द्वारा नियोजित शिक्षकों का वेतन भुगतान अपने
स्तर से ही किया जाता रहा. आरटीआई व सामाजिक कार्यकर्ता अनिल कुमार सिंह
द्वारा नियोजित शिक्षकों के वेतन भुगतान की प्रक्रिया की जानकारी शिक्षा
विभाग, कोषागार व नियोजन इकाई से मांगे जाने के बाद मामला उजागर हुआ कि
सरकार के निर्देश के विपरीत सुपौल जिला में वेतन भुगतान विगत पांच वर्षों
से होता रहा है.
मामला जिला शिक्षा पदाधिकारी के संज्ञान में आने के बाद उन्होंने अपने
पत्रांक 1269 दिनांक 17 अक्तूबर 2017 के द्वारा वेतन भुगतान की गलत
प्रक्रिया को रद्द करते हुए सरकार के द्वारा वर्ष 2012 में बनायी गयी वेतन
भुगतान के प्रक्रिया का अनुपालन करने का निर्देश नियोजन इकाई को दिया.
नियोजन इकाई ने सरकार से इस संबंध में दिशा-निर्देश की मांग की है. गौरतलब
है कि डीपीओ स्थापना के द्वारा ही वेतन भुगतान किया जाता रहा है. जबकि
सरकार द्वारा वेतन भुगतान के लिये निर्गत आवंटन आदेश के कंडिका 6 में
नियोजन इकाई को वेतन भुगतान का निर्देश प्राप्त है.
लाल कलम चलने से नहीं किया जा सकता इंकार
अब सवाल उठता है जिन्हें वेतन भुगतान का निर्देश सरकार द्वारा प्राप्त
नहीं था, वे पिछले पांच वर्षों में करोड़ों का वेतन भुगतान आखिर किस
स्थिति में किया? क्या जिम्मेदार के ऊपर कार्रवाई होगी? हालांकि यह तो समय
के गर्भ में है. जानकारों की माने तो डीपीओ स्थापना की यह पहली भूल नहीं
है. विभागीय सूत्रों की माने तो अगर इनकी कार्यशैली की जांच हो तो डीपीओ
स्थापना पर ‘लाल कलम’ चलने से इन्कार नहीं किया जा सकता.
आवंटन के आदेश की प्रति भी नगर परिषद को नहीं करायी जाती उपलब्ध
पूछे जाने पर नप के कार्यपालक पदाधिकारी को बताया गया कि अब व्यवस्था
बदल गयी है और सीधे डीपीओ स्थापना के खाते से भुगतान किया जा रहा है़
पत्र में इस बात का भी उल्लेख है वर्ष 2013 से जुलाई 2017 तक चल रही इस
व्यवस्था को जिला शिक्षा पदाधिकारी ने अपने पत्रांक 1269 दिनांक 17 अक्तूबर
2017 से समाप्त करते हुए पुन: विभागीय पत्रांक 681 दिनांक 08 अक्तूबर 12
के आलोक में नगर परिषद के खाते के माध्यम से भुगतान करने का निर्देश दिया
है़ संप्रति नप का तीनों खाता निष्क्रिय है. कार्यपालक पदाधिकारी ने कहा
है कि शिक्षा विभाग के स्तर से जो आवंटनादेश निर्गत किया जाता रहा है, उसकी
प्रति भी नगर परिषद को उपलब्ध नहीं करायी जाती है, जबकि प्रतिलिपि में नगर
परिषद का उल्लेख रहता है. नगर परिषद को भी इसकी प्रति निश्चित रूप से
प्राप्त हो, इसकी व्यवस्था किया जाना अपेक्षित है. कहा है कि इस बार के
आवंटनादेश की प्रति डीपीओ स्थापना के पत्र के साथ उपलब्ध हुई है. जिसकी
कंडिका 06 में भुगतान प्रक्रिया वर्णित है. कार्यपालक पदाधिकारी ने कहा है
कि क्या पूर्व के आवंटनादेशों में इससे इतर कोई व्यवस्था थी? जिसके कारण
वेतनादि का भुगतान सीधे डीपीओ द्वारा किया जाता रहा है. पत्र में जिला
शिक्षा पदाधिकारी के पत्र की प्रासंगिकता एवं वैधता को संपुष्ट करने की
कृपा करने की मांग की गयी है. ताकि नियोजित शिक्षकों के वेतनादि भुगतान की
प्रक्रिया अविरल रूप से संपादित हो सके.