मधेपुरा। मुरलीगंज प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी रामगुलाम गुप्ता पर प्रखंड
में अवैध प्रतिनियोजन व वित्तीय अनियमितता पर विभागीय कार्रवाई के बाद
मामला गरमाने लगा है। भले ही जिला स्थापना मुरलीगंज बीईओ पर कार्रवाई कर
मामले में अपनी सख्ती दिखाने में सफल रही हो।
लेकिन प्रधान सचिव के आदेश के बाद भी जिला में प्रतिनियोजन का खेल लंबे समय से चल रहा है। हैरानी की बात है कि इस मामले में शिक्षा विभाग के वरीय अधिकारी का कार्यालय के कर्मी भी शामिल है। जो पंचायत शिक्षकों का प्रतिनियोजन ताक पर रखकर एक प्रखंड से दूसरे प्रखंड ही नहीं अंत:जिला भी करने का आदेश जारी कर दिया है। यद्यपि इस मामले में शिक्षा विभाग का कोई भी वरीय अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।
जिला स्थापना ने दिया रिकवरी का आदेश
मुरलीगंज के बीईओ से जिला स्थापना ने पांच लाख 88 हजार 482 रूपया रिकवरी का आदेश दिया है। जांच में पाया गया कि विभागीय निर्देश को दरकिनार कर शिक्षकों का अवैध प्रतिनियोजन किया गया था। वहीं लम्बे समय तक अपने बीआरसी कार्यालय में प्रतिनियुक्ति दिखाकर अवैध रूप से वेतन दिया गया।
लेकिन सवाल उठता है कि वरीय पदाधिकारी के आम सहमति के रहते इतना बड़ा खेल संभव नहीं है। जानकार बताते हैं कि जिला के वरीय अधिकारी के आदेश को ताक पर रखकर लगभग सभी प्रखंड बीआरसी में प्रतिनियोजन का खेल जारी है। कुछ जगहों पर प्रतिनियोजन का खेल कागज पर भले ही बंद कर दिया गया है। लेकिन बीआरसी की कृपा से यह खेल बंद नहीं होकर और भी फल-फूल रहा है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार प्रतिनियोजन के लिए सरकार ने दिशा निर्देश जारी किया हुआ है। प्रतिनियोजन केवल एकल शिक्षक वाले विद्यालय, निर्माण कार्य में कार्यरत शिक्षक के अलावा विशेष परिस्थिति में किया गया प्रतिनियोजन ही मान्य होगा। लेकिन स्थित यह है कि जिसका प्रतिनियोजन निर्माण कार्य के लिए दो साल पूर्व किया गया वो आज भी जारी है। वहीं कहने के लिए किसी प्रखंड कार्यालय में प्रतिनियोजन नहीं है बावजूद किसी ना किसी रूप में शिक्षक प्रतिनियोजन पर कार्य कर रहे हैं।
प्रतिनियोजन में फंसा है तकनीकी पेच
सरकार ने भले ही किसी भी प्रकार के प्रतिनियोजन पर रोक लगा दी है। लेकिन इस मामले में कई तरह की तकनीकी पेंच है। मसलन डीपीओ स्थापना कार्यालय में अभी तक शिक्षकों के पदास्थापन व समायोजन की जानकारी नहीं है। स्थापना कार्यालय में समायोजन की पुष्ट सूची नहीं रहने के कारण प्रतिनियोजन पर पूरी तरह रोक नही लग पा रही है। डीपीओ ने बताया कि प्रतिनियोजन के खेल को समाप्त करने के लिए अपने स्तर से तैयारी शुरू कर दी है। वहीं समायोजन से जुड़ी सारी फाइलों को दुरूस्त करने का कार्यालय कर्मचारी को आदेश भी दे दिया है। दूसरी ओर इस मामले में वरीय पदाधिकारी द्वारा प्रतिनियोजन के खेल में शिक्षा विभाग के सभी पदाधिकारी भी हाथ खड़े कर दिए हैं।
- प्रतिनियोजन पर पूरी तरह से रोक है। बावजूद प्रतिनियोजन जारी रहना एक दुखद है। जिलाधिकारी को पूरे मामले की जानकारी दी जा रही है।
नसीम अहमद
डीपीओ स्थापना
लेकिन प्रधान सचिव के आदेश के बाद भी जिला में प्रतिनियोजन का खेल लंबे समय से चल रहा है। हैरानी की बात है कि इस मामले में शिक्षा विभाग के वरीय अधिकारी का कार्यालय के कर्मी भी शामिल है। जो पंचायत शिक्षकों का प्रतिनियोजन ताक पर रखकर एक प्रखंड से दूसरे प्रखंड ही नहीं अंत:जिला भी करने का आदेश जारी कर दिया है। यद्यपि इस मामले में शिक्षा विभाग का कोई भी वरीय अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।
जिला स्थापना ने दिया रिकवरी का आदेश
मुरलीगंज के बीईओ से जिला स्थापना ने पांच लाख 88 हजार 482 रूपया रिकवरी का आदेश दिया है। जांच में पाया गया कि विभागीय निर्देश को दरकिनार कर शिक्षकों का अवैध प्रतिनियोजन किया गया था। वहीं लम्बे समय तक अपने बीआरसी कार्यालय में प्रतिनियुक्ति दिखाकर अवैध रूप से वेतन दिया गया।
लेकिन सवाल उठता है कि वरीय पदाधिकारी के आम सहमति के रहते इतना बड़ा खेल संभव नहीं है। जानकार बताते हैं कि जिला के वरीय अधिकारी के आदेश को ताक पर रखकर लगभग सभी प्रखंड बीआरसी में प्रतिनियोजन का खेल जारी है। कुछ जगहों पर प्रतिनियोजन का खेल कागज पर भले ही बंद कर दिया गया है। लेकिन बीआरसी की कृपा से यह खेल बंद नहीं होकर और भी फल-फूल रहा है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार प्रतिनियोजन के लिए सरकार ने दिशा निर्देश जारी किया हुआ है। प्रतिनियोजन केवल एकल शिक्षक वाले विद्यालय, निर्माण कार्य में कार्यरत शिक्षक के अलावा विशेष परिस्थिति में किया गया प्रतिनियोजन ही मान्य होगा। लेकिन स्थित यह है कि जिसका प्रतिनियोजन निर्माण कार्य के लिए दो साल पूर्व किया गया वो आज भी जारी है। वहीं कहने के लिए किसी प्रखंड कार्यालय में प्रतिनियोजन नहीं है बावजूद किसी ना किसी रूप में शिक्षक प्रतिनियोजन पर कार्य कर रहे हैं।
प्रतिनियोजन में फंसा है तकनीकी पेच
सरकार ने भले ही किसी भी प्रकार के प्रतिनियोजन पर रोक लगा दी है। लेकिन इस मामले में कई तरह की तकनीकी पेंच है। मसलन डीपीओ स्थापना कार्यालय में अभी तक शिक्षकों के पदास्थापन व समायोजन की जानकारी नहीं है। स्थापना कार्यालय में समायोजन की पुष्ट सूची नहीं रहने के कारण प्रतिनियोजन पर पूरी तरह रोक नही लग पा रही है। डीपीओ ने बताया कि प्रतिनियोजन के खेल को समाप्त करने के लिए अपने स्तर से तैयारी शुरू कर दी है। वहीं समायोजन से जुड़ी सारी फाइलों को दुरूस्त करने का कार्यालय कर्मचारी को आदेश भी दे दिया है। दूसरी ओर इस मामले में वरीय पदाधिकारी द्वारा प्रतिनियोजन के खेल में शिक्षा विभाग के सभी पदाधिकारी भी हाथ खड़े कर दिए हैं।
- प्रतिनियोजन पर पूरी तरह से रोक है। बावजूद प्रतिनियोजन जारी रहना एक दुखद है। जिलाधिकारी को पूरे मामले की जानकारी दी जा रही है।
नसीम अहमद
डीपीओ स्थापना