निर्देश. शुल्क निर्धारण संबंधी की गयी कार्रवाई की सूचना अदालत के समक्ष प्रस्तुत करें
पटना : पटना हाईकोर्ट ने सूबे में संचालित विभिन्न प्राइवेट शिक्षक
प्रशिक्षण कॉलेजों में पाठ्यक्रमों की फीस निर्धारण का सरकार का आदेश
निरस्त कर दिया है. कोर्ट ने शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को निर्देश दिया
कि वे आदेश की प्रति मिलने के एक सप्ताह के भीतर यूजीसी के सेक्रेटरी को
आयोग के नियमों के अनुसार नयी राज्य स्तरीय कमिटी का गठन करने से संबंधित
प्रक्रिया शुरू करने का पत्र लिख कर अनुरोध करें. साथ ही अदालत ने यूजीसी
के सचिव को भी निर्देश दिया कि प्रधान सचिव के पत्र प्राप्ति के बाद तुरंत
नियमानुसार कमेटी का गठन करें.
अदालत ने शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को कहा कि वे कमेटी द्वारा बीएड
कॉलेजों के पाठ्यक्रमों के शुल्क निर्धारण के संबंध में जो भी कार्रवाई
की गयी हो, इसकी सूचना अदालत के समक्ष प्रस्तुत करें. मामले की अगली
सुनवाई एक माह बाद होगी. जस्टिस चक्रधारीशरण सिंह की एकलपीठ ने एसोसिएशन ऑफ
टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज एवं अन्य की ओर से दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते
हुए उक्त निर्देश दिया.
गौरतलब है कि बिहार सरकार द्वारा सूबे में चलने वाले विभिन्न बीएड
कॉलेजों में दो वर्षीय पाठ्यक्रम हेतु एक लाख रुपया शुल्क निर्धारित किया
गया था, जिसके बाद पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सरकार द्वारा जारी
आदेश को मनमाना करार देते हुए न्याय की गुहार लगायी गयी थी. याचिकाकर्ता
की ओर से अदालत को बताया गया था कि राज्य सरकार द्वारा बीएड कॉलेजों के
लिए जो शुल्क निर्धारित किया गया है वह काफी कम है. इतनी कम राशि में
कॉलेजों का संचालन संभव नहीं है.
अदालत को यह भी बताया गया था कि इससे पूर्व दो सितंबर, 2015 को
कुलाधिपति ने तत्काल रूप से 95 हजार रुपया फीस निर्धारित करते हुए राज्य
सरकार को निर्देश दिया था कि वे इस संबंध में एक राज्यस्तरीय कमेटी गठित कर
स्थायी रूप से फीस का निर्धारण करें. इसके उपरांत राज्य सरकार द्वारा
नालंदा खुला विवि के कुलपति की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित कर मनमाने
तरीके से दो वर्ष के लिए एक लाख रुपया फीस निर्धारित कर दिया.
याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि राज्य सरकार द्वारा जो
राज्य स्तरीय कमेटी गठित की गयी है, वह यूजीसी एवं एनसीटीई के प्रावधानों
का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन है, जिससे उक्त कमेटी शून्य हो जाती है. ऐसे
में कमेटी के निर्णय को लागू किया जाना सही नहीं है. अदालत को बताया गया
कि यूजीसी एवं एनसीटीई के नियमन के अनुसार फीस निर्धारण हेतु 2002 में ही
रेग्युलेशन बनाया गया है.
पटना. पटना हाईकोर्ट में गुरुवार को रिकॉर्ड सुनवाई हुई. न अपील, न
दलील और फैसला मात्र 30 सेंकेंड में हाे गया. जस्टिस डॉ रविरंजन की एकलपीठ
ने उत्पाद अधिनियम से संबंधित मामलों की रिकॉर्ड सुनवाई की. कार्रवाई शुरू
होने के एक घंटे के भीतर सौ मामलों में अदालत ने सुनवाई कर आदेश पारित
किया. भोजनावकाश तक 211 मामलों पर सुनवाई पूरी कर ली गयी. इनमें अधिकांश
मामलों में शराब अधिनियम के तहत अभियुक्त बनाये गये अभियुक्तों को नियमित
जमानत प्रदान की. अभियुक्त यदि अपने इतिहास को छिपा कर जमानत हासिल भी कर
लेते हैं और अदालत के संज्ञान में ऐसा मामला आयेगा, तो उनकी जमानत रद्द कर
दी जायेगी.