एक प्रधानाध्यापक (कहानी)

एक प्रधानाध्यापक (कहानी) : प्रमोद गुरू जी कल शाम को च्यवनिया मुस्की छोड़ते हुए स्कूल से घर आए, मेहरारू शक भरी निगाहों से देख रही है, हुआ का आखिर, हर शाम स्कूल से बउरा के आते थे, कभी कहते थे कि
आज ललनमा साईकिल का हवा खोल दिया था, गुरूकाते हुए आए है, तो कभी कहते की चपरासी बन जाओ लेकिन स्कूल के हेडमास्टर न बनो, साला जिनगी नरक हो गया है और कल से गुरू जी मुखरा पर हरियरी दिख रहा है।

आज सुबह 4 बजे उठे है, कपालभाती किए है और आज 8 बजे ही दू बाल्टी भर के जनेउ से पीठ रगड़ रगड़ के नहा रहे है, और बोले है कि उ नएका धोती-कुरता, कोठारी गंजी और उ ताजमहल छाप गमछा निकालिये गुरूआईन, गुरूआईन का शक और गहराता जा रहा है, उ ताजमहल छाप गमछा और कोठारी के गंजी जब-जब ससुराल जाना होता था, तब ही पहनते थे, आज हुआ का गुरू को?

तभी फोन आया है ICICI बैंक से लोन बांटने वाली पिंकी का, प्रमोद गुरू जी ने मिसेज को कहा है कि उठाईए और देखिए तो कौन है, मिसेज ने फोन उठाया है, दूसरी साईड से ICICI वाली पिंकी ने अपना परिचय दिया है, हेलो मैम मैं पिंकी,

गुरूआईन उधर से महिला आवाज सुनते ही फोन पटक दी है, भोकासी पार के (जोर जोर से रोना) रोने लगी है और बोल रही है कि हमरा त पहिले से पता था, कि ई मास्टरबा के हमरा पीठ पीछे उ पड़ोस गांव वाली मास्टरनी से लफड़ा चल रहा है, बुढ़ौती आ गया है, उमिर 55 टप गया है और इनका लक्षण कर्म न सुधरा, ई कौन पिंकिया है, तभिए कहूं कि नयका गमछा धोती काहे निकल रहा है, बोलते और सिसकते सिसकते रोने लगी है, तभी 17 साल के बचबा पिंटूआ दौड़ के आया है कथि भेलउ मम्मी?? अरे छोड़ तू अभी नादान है बाहर जाकर खेलो

गुरू जी को शॉक लगा कि अबे ऐतना जल्दी ई कौन प्राकृतिक आपदा आ गया, साबुन शरीर में लगा हुआ है फिर भी नहाना छोड़ के भाग के आए है, माथा भिन्ना गया – मुंह मारो तोहरा धंधा के, फोन दो हमरा पहिले, तू पहिले फोनवा दो हमरा, कौन पिंकिया है देखते है, हेलो – कौन पिंकिया है आप, हमरा घर में तांडव करवा दिए महराज, काहेला हमर बसल घर को उजार रहे है, एक तो ई ऐसहिए पागल है, तभी उधर फोन कट गया है, गुरू जी हेलो हेलो कर रहे है, गुरुआईन का मुंह तो जर के भूंसा हो गया है.

प्रमोदजी गर्माए हुए भूखे पेट हीरो साईकिल निकाले है और चल दिए है, राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय केदारपुर में, प्रमोदजी स्कूल के प्रधानाध्यापक है, पहले इनका स्कूल 1-8वीं कक्षा तक था, अब 10वीं तक की हो गया है, विद्यार्थियों की संख्या 1000 के आस-पास है, कुल शिक्षक 3 (प्रधानाध्यापक इन्क्लूड) है, 2 शिक्षामित्र है, पड़ोस गांव से आती है, एक प्रमुख साहेब की और दूसरी पंचायत समिति की पतोहू है।

पिछला इलेक्शन में प्रमुख पद जीते थे, लोगों को बहुत उम्मीद थी कि प्रमुख बाबू क्षेत्र के बेरोजगारों के लिए अपने स्तर पर कुछ काम करेंगे, लेकिन फलनमां बाबू डिग्री कॉलेज से थर्ड डिवीजन से पास पतोहू को कैसहू जुगाड़ लगा कर मास्टरनी बनवा दिए, स्कूल का टाईमिंग है 10.00 बजे से, लेकिन प्रमुख साहेब का मझिला लईका मोटरसाईकिल से 11.30 तक पहुंचा जाता है मैडम हाजिरी लगा जाती है और फिर समय के पाबंद मझिला बचवा धीरज बजे 2.30 बजे ले जाता है, और पंचायत समिति जी की पतोहू के बारे में क्या कहे, 365 दिन ये मैडम जी स्वेटर बुनती रहती है, पता न पूरा गांव के स्वेटर बुनने का ठेका इसी के हाथ में है, तरह तरह के उन और कांटा लेकर आती है, पूरा स्वेटर स्पेस्लिस्ट है.

प्रमोद जी कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति है, पंक्चुअलिटी पसंद हैं, पिछले साल उन्होंने पेपर में पढ़ा था, हाजीपुर की प्रोडिकल साईंस वाली टॉपर रूबी राय गिरफ्तार और इस साल गणेश। बिहार की हो रही जग हंसाई से उनका मन भी क्षुब्ध है, उन्हें याद आ रहा है कि कैसे विद्यार्थी जीवन में वो भी लंबा चौड़ा शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए निबंध लिखा करते थे, लेकिन वो अपने कुछ नहीं कर पा रहें है, चूंकि उनका अधिकार क्षेत्र सीमित है, हां बिहार में शिक्षा की कुव्यवस्था को देखकर अपने कर्तव्य को समझने और समय के पाबंद होने के लिए अपने शिक्षकों से उन्होंने कहा था।

प्रमुख साहेब की पतोहू मैडम भड़क गई, सैमसंग एंड्रायड मोबाईल से पतिदेव को फोन की, कि देखिए न मस्टरबा दुर्व्यवहार कर रहा है। तब प्रमुख साहेब तमतमा गए और निठल्ला बेटवा धीरज धमकी दिया कि प्रमोद गुरू ज्यादा उड़ो मत, जल्दी गिर जाओगे, तूम्हें देख लेंगे, प्रमोद बाबू ने भी सोचा कि छोड़ो दुनिया दारी कुछ साल रिटायरमेंट का है, काहे माथा खपाए, जाए दो जब देश के नेतबा सब के लउकाईए न रहा है तो हम काहे लड़ाई-भिड़ाई में फंसे।

बिहार सरकार ने फिर फंड जारी किया है, 2 मंजिला बिल्डिंग बन गया है, शीशा से पूरा स्कूल चमचमा गया है, चार गो शौचालय है, 6ठो तो चापाकल है, म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट भी है, पर काम का कोई नहीं, शिक्षकों की संख्या और स्कूल की अव्यवस्था पर कोई ध्यान नहीं है, कई बार गुरूजी ने गांव के लोगों से साईन करवा कर लेटर भी Concerned Officers, विधायक, सांसद को लिखा है लेकिन पता न कहां रह गया लेटर, सांसद, विधायक जी तो अब पांच साल बाद गांव में आएंगे और लंबा वाला लेक्चर ठेलेंगे, शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए नहीं बल्कि राष्ट्रवाद, गौरक्षा और हिंदू मुस्लिम पर ।

खैर, प्रमोद बाबू साईकिल द्रुत गति से चलाते हुए स्कूल पहुंचे है, दू बार तो साईकिल का चैन उतरा है, जैसे तैसे चढा कर आ रहे है, जनेउ में चाभी बांध के रखे हैं, गेट खोले है, कुछ छोटे-छोटे बच्चे स्कूल आते हुए दिख रहें है, स्कूल में कोई चपरासी नहीं है, पहले तो स्टूडेंट सब झारू लगा भी देता था, लेकिन जब से उ विनोदबा के पापा देख लिए उसको झारू लगाते हुए, प्रमोद गुरूजी को गरियाए दिए और बेईज्जत किए सो अलग, तब से किसी को झारू लगाने को भी नहीं कहते है, अभी तक कोई आया नहीं है, प्रमोद गुरू जी ने सोचा कि अभी कोई आया नहीं है, खुदे झारू लगा लेंगे तो कोई नहीं देखेगा, खुद झारू उठाया है और बरामदे की सफाई करना शुरू कर दिया है, टेबल निकाल कर बरामदे पर बैठ गए है, कुछ देर बाद लगभग 400 बच्चे आ चुके है, शिक्षकों का तो कोई पता नहीं है, प्रमोद गुरूजी ने सब को लाईन में लगवाकर प्रार्थना शुरू करवाए है,

“तू ही राम है तू रहींम है तू करीम कृष्ण खुदा हुआ…………….

प्रार्थना के पश्चात पहिला से पांचवां तक के बच्चा को बड़का हॉल वाले रूम में बईठाए है, सभी क्लास के मॉनिटर को बुलवाकर सबका अटेंडेंस लगवाए हैं और बोले है कि सबको पहाड़ा गिनती करवाओ, कुछ क्लासवर्क भी देकर सभी से बनवा रहे है।

कुछ देर बाद पंचायत समिति जी की शिक्षामित्र पतोहू हांथ में पियरका पॉलिथीन में उन लेकर स्वेटर बुनने के लिए स्कूल में आई है, वो 1-5वां क्लास तक अब संभाल रही है, प्रमोद जी 5-8वां तक के लईकबा सब को एक कमरे में बैठाकर अल्जेब्रा का बेसिक सवाल दे दिए है, 8-10 वां क्लास के लड़कों में से कई तो अटेंडेस लगाया और छड़की छड़प कर भाग गया है, कुछ लड़कियां बचीं है, वो खुद पढ़ रही है, सबको बोले है की मैथ बनाओ और डाउट है तो एक पेज में लिखो और दे दो,आज दोनो सर छुट्टी पर है, हम घर से बनाकर के कल लाएंगे और दे देंगे, , कुछ देर बाद प्रमुख साहेब की पतोहू भी पधारी है, 5-8वां वाला क्लास में चली गई है, अब वो वहां देख रही है, सबको काम देने के बाद अपने डेली वर्क में लग गए है,

चुनाव ड्यूटी का काम देखना है, स्कॉलरशिप वाला पैसबा का भी आज हिसाब जोड़ना है, जनगणना का भी झोल है, टेबल पर पड़ी हुई पेपर पर फिर नजर गई है, फ्रांट पेज पर ही बिहार की शिक्षा व्यवस्था को लेकर टिप्पणी की गई है।
प्रमोद बाबू पेपर पढ़ने के बाद डेली वर्क में लग गए है तभी 4था क्लास के प्रभुआ आकर बोला है, – जी सर जी देखिए न उ मुकेशबा हमर कान नोच के भाग गया है, तीसरा क्लास का रामगोपलबा आकर कंप्लेन किया है कि जी सरजी, देखिए न उ रोहितबा हमर शर्ट का बटन तोड़ दिया है, मम्मी हमरा मारेगी,

8वां किलास के सुनितिया आके रोते-रोते नालिस की है कि सरजी देखिए न उ बलरमबा हमर नाम अपना कोपी में दिल का चित्र बनाकर के और एक तीर भी क्रास करवाकर लिखा हुआ है, पूरा गांव में हल्ला हो जाएगा, पप्पा हमरा मारेंगे, बिहान से स्कूल भी न आने देंगे।

मास्टर साहब सबको धीरे-धीरे मैनेज किए है, कान नोचने वाले मुकेशबा को, दू डंडा मारे है, रोहितबा तो पिटाई खाने से पहिलही रोने लगा है, बलरमबा को तो सुनितिया के नाम कोपी में लिखने के जुर्म में 100 बार कान पकड़ के उठक बैठक और सब क्लासरूम में झारू लगाने का सजा दिया गया है।

11 बजने को है, तभी खिचड़ी बनाने वाली रसोईया फूलमतिया आकर के बोली है ऐ मास्टर साहेब, आप धियान काहे नहीं देते है, 15 दिन से कह रहे हैं कि शीशम के जलावन ठीक से नहीं जलता है, मुंह से फूंकते-फूंकते हालत खराब हे, आंख धुआं से भर जाता है, दमा धरा दीजिएगा कि हमरा, आप निमन जरना(जलावन) काहे नहीं लाते है, हमरा से ई सब नहीं होगा, आज जब तक आप ठीक जलावन नहीं लाते हम खाना नहीं बनाएंगे, प्रमोदजी टेंसन में पड़ गए, की खाना तो बच्चों के लिए जरूरी है, अरे रूको फूलमती तुम अदहन चढ़ाओं हम आ रहे है.

प्रमोद गुरूजी हीरो साईकिल निकाले हैं, धोती को कटि प्रदेश में खोंसे है और भाग के गए है बासदेव लोहार के यहां, बासदेव को बोले है लकड़िया दीजिए, बासदेव पिनक गया है, अरे गुरूजी पिछलका पैसा बांकिए है, गुरूजी बोले अरे पैसा मिलेगा न पहिले लकड़ी दीजिए, लईका सब हमारा भूखा है, लोहार बोला है, हमरा पास टाईम नहीं है, लेना है तो वहां पीछे पड़ा है खुदे ले लीजिए, बढ़िया बढ़िया सुखल-सुखल लकड़ी खुद चुन लिए है, रबड़ निकाल कर साईकिल के पीछे बांध लिया है, जेठ की दुपहरी न कहिए लगरहा है कि सूरूज देव सारा इनर्जी पृथ्वी पर ही झोंक देंगे, धोती कुरता पसीना से भीग गया है, भीगते हुए साईकिल का पैडिल मार रहै हैं। दू-तीन बार तो साईकिल का चैन भी उतरा है, कैसे भी चढ़ा कर के चलाते आ रहे है, तभी उपर जेब में रखे मोबाईल पर फोन बजा है, हम पूर्व प्रमुख साहेब, गोपाल सिंह बोल रहे हैं, कहां है मास्टर साहेब हाजिरी लगा कर कहां बऊआ रहें है, शिक्षा अधिकारी आए थे, आपको स्कूल से अटेंडेंस लगाकर अनुपस्थित रहने और यहां फैली कुव्यवस्था के कारण सस्पेंड कर दिया गया है,
प्रमोद जी का पूरा शरीर सुन्न पड़ चुका है, सस्पेंड होने की सुनते ही घर की आर्थिक स्थिति ख्याल आ रही है, दो जवान बिटियां है, बियाह भी करना है, हाथ से मोबाईल छूट कर नीचे गिर चुका है, जलावन भी एक-एक कर गिर रहा है, सामने से एक चुनाव प्रचार वाली बोलेरो आ रही है, अचानक से इनका साईकिल उस गाड़ी के सामने चला गया है, जबतक ब्रेक लगाए-लगाए जोरदार टक्कर के साथ आवाज, प्रमोदजी नीचे गिर चुके हैं, लकड़ी भी नीचे गिर गया है, कुछ देर तक छटपटाते हुए उन्होंने दम तोड़ दिया है। गाड़ी वाला तो छो़ड़छाड़ कर भाग गया है, पास खड़े कुछ सज्जनों ने उन्हें देखा है, एंबुलेंस को फोन भी किया है, लेकिन एंबुलेंस आने में लेट है, कुछ सज्जन ने ऑटो रिजर्व कर उन्हें उठा कर हॉस्पिटल ले जाने की कोशिश भी की है, लेकिन शव का शिव से अब मिलन हो चुका है।

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