Patna : स्कूल से मेटरनिटी लीव पर थी। डिलीवरी के बाद बच्चे के मलद्वार में दिक्कतें थीं। डॉक्टर ने ऑपरेशन कराने का सुझाव दिया। जन्म के सात दिन के अंदर ऑपरेशन हुआ। इसके बाद फिर चार महीने के बाद ऑपरेशन हुआ।
इस बीच मेरा मेटरनिटी लीव समाप्त हो गया। लेकिन, मैं हर दो महीने पर इसकी जानकारी स्कूल प्रशासन, जिला शिक्षा कार्यालय और नगर पंचायत कार्यालय को देती रही। अब जब मेरे बच्चे की तकलीफ थोड़ी ठीक हुई है, तो स्कूल ज्वाइन करने आयी। लेकिन, स्कूल प्रशासन ज्वाइन नहीं करा रहे हैं। एक अप्रैल से ही स्कूल का चक्कर लगा रही हूं। परेशान होकर शिक्षिका अर्चना पटना जिला शिक्षा कार्यालय पहुंची।
स्कूल में शिक्षक हैं नहीं और जो शिक्षक हैं, उन्हें किसी-ना-किसी कारण से स्कूल से दूर रखा जा रहा है। कुछ ऐसी ही कहानी है शिक्षिका अर्चना की। अर्चना हाईस्कूल, फतुहा में फिजिकल एजुकेशन की शिक्षिका हैं। पिछले तीन महीने से अर्चना स्कूल में ज्वाइन करना चाह रही है। लेकिन, उन्हें यह कह कर वापस कर दिया जा रहा है कि उनकी सेवा समाप्त कर दी गयी है।
बच्चा बीमार था सर, कैसे करती ड्यूटी ज्वाइन
शिक्षिका अर्चना ने बताया कि मैं एक अप्रैल से ही रोज चक्कर लगा रही हूं। स्कूल प्राचार्य के अलावा फतुहा नगर पंचायत को कई बार आवेदन दिया। नगर पंचायत ने मुझे यह कह कर वापस भेज दिया कि अब जो होगा, जिला शिक्षा कार्यालय से ही होगा। मुझे डीइओ कार्यालय भेज दिया गया। अभी तक ज्वाइनिंग नहीं हुई है।
नियमावली की जानकारी नहीं, दौड़ाते है शिक्षकों को
शिक्षक नियोजन नियमावली में जो भी परिवर्तन होता है, इसकी जानकारी का अभाव होने के कारण नगर पंचायत स्तर पर सही निर्णय नहीं लिया जाता है। इसका खामियाजा संबंधित शिक्षकों को भुगतना पड़ता है। शिक्षक नियोजन नियमावली 2006 के 12 में संशोधन किया गया है। संशोधित नियमावली के अनुसार तीन माह के बाद पर्याप्त कारण बता कर अगर कोई शिक्षक स्कूल में अनुपस्थित रहते हैं, लेकिन साथ में इसकी सूचना प्रमाण के साथ देते हैं, तो उनकी छुट्टी मान्य होगी।
लेकिन, इसकी जानकारी फतुहा नगर पंचायत को नहीं है। इसका खामियाजा शिक्षिका अर्चना को भुगतना पड़ रहा है।
इस बीच मेरा मेटरनिटी लीव समाप्त हो गया। लेकिन, मैं हर दो महीने पर इसकी जानकारी स्कूल प्रशासन, जिला शिक्षा कार्यालय और नगर पंचायत कार्यालय को देती रही। अब जब मेरे बच्चे की तकलीफ थोड़ी ठीक हुई है, तो स्कूल ज्वाइन करने आयी। लेकिन, स्कूल प्रशासन ज्वाइन नहीं करा रहे हैं। एक अप्रैल से ही स्कूल का चक्कर लगा रही हूं। परेशान होकर शिक्षिका अर्चना पटना जिला शिक्षा कार्यालय पहुंची।
स्कूल में शिक्षक हैं नहीं और जो शिक्षक हैं, उन्हें किसी-ना-किसी कारण से स्कूल से दूर रखा जा रहा है। कुछ ऐसी ही कहानी है शिक्षिका अर्चना की। अर्चना हाईस्कूल, फतुहा में फिजिकल एजुकेशन की शिक्षिका हैं। पिछले तीन महीने से अर्चना स्कूल में ज्वाइन करना चाह रही है। लेकिन, उन्हें यह कह कर वापस कर दिया जा रहा है कि उनकी सेवा समाप्त कर दी गयी है।
बच्चा बीमार था सर, कैसे करती ड्यूटी ज्वाइन
शिक्षिका अर्चना ने बताया कि मैं एक अप्रैल से ही रोज चक्कर लगा रही हूं। स्कूल प्राचार्य के अलावा फतुहा नगर पंचायत को कई बार आवेदन दिया। नगर पंचायत ने मुझे यह कह कर वापस भेज दिया कि अब जो होगा, जिला शिक्षा कार्यालय से ही होगा। मुझे डीइओ कार्यालय भेज दिया गया। अभी तक ज्वाइनिंग नहीं हुई है।
नियमावली की जानकारी नहीं, दौड़ाते है शिक्षकों को
शिक्षक नियोजन नियमावली में जो भी परिवर्तन होता है, इसकी जानकारी का अभाव होने के कारण नगर पंचायत स्तर पर सही निर्णय नहीं लिया जाता है। इसका खामियाजा संबंधित शिक्षकों को भुगतना पड़ता है। शिक्षक नियोजन नियमावली 2006 के 12 में संशोधन किया गया है। संशोधित नियमावली के अनुसार तीन माह के बाद पर्याप्त कारण बता कर अगर कोई शिक्षक स्कूल में अनुपस्थित रहते हैं, लेकिन साथ में इसकी सूचना प्रमाण के साथ देते हैं, तो उनकी छुट्टी मान्य होगी।
लेकिन, इसकी जानकारी फतुहा नगर पंचायत को नहीं है। इसका खामियाजा शिक्षिका अर्चना को भुगतना पड़ रहा है।