अजित कुमार, बिहार इंटरमीडिएट का रिजल्ट आ चुका है 65 प्रतिसत बच्चें फेल है. सूबे के शिक्षा मंत्री डॉ अशोक चौधरी का कहना है कि इसबार बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड परीक्षा में धांधली नहीं होने दिया जो बहुत जरूरी था इसलिए ऐसा रिजल्ट आया है.
बिहार के शिक्षा के लिए ये कड़वी दवाई आने वाले दिनों में बहुत कारगर साबित होगी.
आज इसी कड़वी दवाई की तहकीकात करने राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय गर्दनीबाग पटना का दौरा DBN की टीम ने किया और जानने की कोशिश कि क्या सूबे के शिक्षा मंत्री जो कड़वी दवाई की बात कर रहे है वह क्या इन स्कूल में शिक्षक इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए भी कड़वी दवाई का प्रयोग कर रहे है. हमने वहाँ के प्रधनाध्यपक के चार्ज में सरत कुमार सिन्हा से बात कि जिन्होंने बताया कि इस बार यहाँ से करीब 50 प्रतिशत छात्राएं साइंस में तथा 77 प्रतिशत आर्ट्स में पास हुई है जिनमें साइंस में मात्र 2 फर्स्ट डिवीजन से पास हुई है और आर्ट्स में मात्र 4 फास्ट डिवीजन से पास हुई है.
वहीं हैरान करने वाली बात यह है कि यहाँ मैथ का टीचर ही नहीं है. फिजिक्स के टीचर मैथ पढ़ाते है. वही आर्ट्स में इससे भी स्थिति ख़राब है यहाँ राजनीतिक शास्त्र, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र का कोई टीचर ही नहीं है. इस विषय की पढ़ाई राम भरोसे होती है. इस स्कूल में कंप्यूटर तो है लेकिन पढ़ाने वाले शिक्षक नहीं है यह बस स्कूल की शोभा बढ़ा रहा है.
इतना ही नहीं करीब 11 hundred छात्र है यहाँ पढ़ने वाले उनपर मात्र 30 शिक्षक है. ऐसे में शिक्षा मंत्री जिस कड़वी दावा की बात कर रहे है वह दावा असल में स्कूलों में टीचर और इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने में देते तो आज बिहार इंटरमीडियट में 65 प्रतिशत छात्र फ़ेल नही होते , इस बार बिहार के छात्र नही फ़ेल हुए है फ़ेल हुआ है पूरा सिस्टम आप खुद शिक्षा मंत्री जी.
रिपोर्ट के अनुसार बिहार के अधिकतर स्कूलों का यही हाल है. कहीं शिक्षक है तो कहीं शिक्षक टाइम पर नहीं आते तो कहीं शिक्षक का ही आभाव है ऐसे में सिर्फ परीक्षा में कड़ाई करके पल्ला नहीं झारा जा सकता बल्कि इनपर काम करने का भरोसा दिलाना होगा.
बिहार के शिक्षा के लिए ये कड़वी दवाई आने वाले दिनों में बहुत कारगर साबित होगी.
आज इसी कड़वी दवाई की तहकीकात करने राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय गर्दनीबाग पटना का दौरा DBN की टीम ने किया और जानने की कोशिश कि क्या सूबे के शिक्षा मंत्री जो कड़वी दवाई की बात कर रहे है वह क्या इन स्कूल में शिक्षक इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए भी कड़वी दवाई का प्रयोग कर रहे है. हमने वहाँ के प्रधनाध्यपक के चार्ज में सरत कुमार सिन्हा से बात कि जिन्होंने बताया कि इस बार यहाँ से करीब 50 प्रतिशत छात्राएं साइंस में तथा 77 प्रतिशत आर्ट्स में पास हुई है जिनमें साइंस में मात्र 2 फर्स्ट डिवीजन से पास हुई है और आर्ट्स में मात्र 4 फास्ट डिवीजन से पास हुई है.
वहीं हैरान करने वाली बात यह है कि यहाँ मैथ का टीचर ही नहीं है. फिजिक्स के टीचर मैथ पढ़ाते है. वही आर्ट्स में इससे भी स्थिति ख़राब है यहाँ राजनीतिक शास्त्र, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र का कोई टीचर ही नहीं है. इस विषय की पढ़ाई राम भरोसे होती है. इस स्कूल में कंप्यूटर तो है लेकिन पढ़ाने वाले शिक्षक नहीं है यह बस स्कूल की शोभा बढ़ा रहा है.
इतना ही नहीं करीब 11 hundred छात्र है यहाँ पढ़ने वाले उनपर मात्र 30 शिक्षक है. ऐसे में शिक्षा मंत्री जिस कड़वी दावा की बात कर रहे है वह दावा असल में स्कूलों में टीचर और इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने में देते तो आज बिहार इंटरमीडियट में 65 प्रतिशत छात्र फ़ेल नही होते , इस बार बिहार के छात्र नही फ़ेल हुए है फ़ेल हुआ है पूरा सिस्टम आप खुद शिक्षा मंत्री जी.
रिपोर्ट के अनुसार बिहार के अधिकतर स्कूलों का यही हाल है. कहीं शिक्षक है तो कहीं शिक्षक टाइम पर नहीं आते तो कहीं शिक्षक का ही आभाव है ऐसे में सिर्फ परीक्षा में कड़ाई करके पल्ला नहीं झारा जा सकता बल्कि इनपर काम करने का भरोसा दिलाना होगा.