काफी समय से शिक्षक चौपाल फ़िर से लगने कि आवश्यकता महसूस कि जा रही थी ।
इसी कड़ी मे दिनांक 29 जून 2017,गुरुवार के दिन पूर्वाह्न 11 बजे से पटना के ऐतिहासिक गाँधी मैदान मे आम शिक्षक चौपाल लगाई जायेगी ।
विदित हो कि सर्वप्रथम शिक्षक चौपाल कि नींव 22 जनवरी 2017 को इसी गाँधी मैदान मे पड़ी ।
इन 5 महीनों मे शिक्षक चौपाल काफी मुश्किलात से गुजरने के बाद भी अपना अस्तित्व बचाये रखा ।ये कम बड़ी बात नही है ।
तमाम आरोप-प्रत्यारोप, लांछन आदि का सहजता पूर्वक सामना किया ।
हाँ इस बीच कुछ साथी चुनौतियों और असफलता से घबराकर इससे अलग हो गये, पर उससे ज्यादा नये लोग भी जुड़े इससे ।
आज़ चौपाल इस स्थिति मे है कि इसकी विश्वसनीयता पर कोई उँगली नही उठा सकता ।
ध्यातव्य है कि आम शिक्षक चौपाल कोई संघ नही है ।इसका उद्देश्य है समान मुद्दों पर सभी संघों को एक मंच पर लाना और आगामी आंदोलन के लिये तैयार करना ।
सभी संघों कि कार्यशैली से हताश तथा निराश हो चुके शिक्षकों कि आस्था का केंद्रबिंदू है शिक्षक चौपाल ।
मै एक बात और क्लियर कर देना चाहता हूँ कि चौपाल का कार्य सभी संघों कि आलोचना करना भर नही है, बल्कि उनके अच्छे कार्यों कि प्रशंसा करना तथा समय-समय पर सुझाव भी देना है ।
कुछ संघ के लोग चौपाल के लोगों को ही आगे आकर सारे कार्य करने को कहते है ....
तो भैया मेरा कहना है कि चंदा लो आप और कार्य करे हम !ये कैसी दोरंगि नीति है ?
कार्य तो आप ही लोग करोगे लेकिन शिक्षक हित मे ।किसी गफलत मे रखकर नही ।
शिक्षक चौपाल ने सभी संघों को देख लिया, परख लिया है ।कोई अपनी दुकानदारी छोड़ना नही चाहता ।सबको अपना अहम प्यारा है ।कोई किसी के साथ आने को तैयार नही है ।
अगर यही स्थिति बनी रही तो हमे #swsp और #राज्यकर्मी #का #दर्जा मिलने से रहा !
आगे चुनावी वर्ष भी है ।इसकी तैयारी अभी से करनी होगी ।अभी नही तो कभी नही मानकर चलना होगा ।
सभी संघों कि लम्बी चुप्पी दुर्भाग्यपूर्ण है ।
पिछले एकाकी आंदोलन का हश्र हम सभी देख ही चुके है कि कैसे सरकार पीट-पाटकर भगा दे रही है ।सरकार भी हमारी अनेकता का फायदा उठा रही है ।
7th pay मे मामूली बढ़ोत्तरी करके नियोजित शिक्षकों के अरमानों पर तुषारापात किया है ।
इसमे सरकार कही से भी दोषी नही है ।
दोषी है हमारे सभी संघ के लोग जो उचित तरीके से आवाज़ नही उठाई जिसका खामियाजा हमे आज उठाना पड़ रहा है ।
एक मायने मे संघ भी दोषी नही है ।दोषी तो हम लोग है जो संघों को बिना सोचे-समझे चंदा देते है ।उनसे ये भी नही पूछ पाते कि हम चंदा किस चीज़ के लिये दे रहे है ।हमारे चंदे के पैसे से ये लोग बड़े-बड़े होटलों मे रातें गुजारते है ।
बिना जाने-सुने उनके धरना-प्रदर्शन मे भाग लेते है ।
बस हुआ अब और नही 🙌 कब तक हम धोखा खाते रहेंगे ?
अब समय आ गया है जगने का ।वैसे भी जब जागो तब सबेरा होता है ।
सभी संघों को एक मंच पर लाने मे तथा उनकी मनमानी पर लगाम लगाने मे शिक्षक चौपाल अहम तथा निर्णायक भूमिका निभा सकता है ।
अत: आप सभी प्रबुद्ध आम शिक्षकों से अनुरोध है कि दिनांक 29 जून के पूर्वाह्न 11 बजे से पटना के ऐतिहासिक गाँधी मैदान मे शिक्षक चौपाल पर आकर अपने बहुमूल्य विचार रखे तथा अन्य लोगों के भी विचारो से अवगत हो ।
इस बैठक मे कुछ अहम निर्णय लिये जा सकते है जो आगे चलकर मिल का पत्थर साबित होगी ।
मुकेश गुप्ता
#आम_शिक्षक
#शिक्षक_चौपाल
इसी कड़ी मे दिनांक 29 जून 2017,गुरुवार के दिन पूर्वाह्न 11 बजे से पटना के ऐतिहासिक गाँधी मैदान मे आम शिक्षक चौपाल लगाई जायेगी ।
विदित हो कि सर्वप्रथम शिक्षक चौपाल कि नींव 22 जनवरी 2017 को इसी गाँधी मैदान मे पड़ी ।
इन 5 महीनों मे शिक्षक चौपाल काफी मुश्किलात से गुजरने के बाद भी अपना अस्तित्व बचाये रखा ।ये कम बड़ी बात नही है ।
तमाम आरोप-प्रत्यारोप, लांछन आदि का सहजता पूर्वक सामना किया ।
हाँ इस बीच कुछ साथी चुनौतियों और असफलता से घबराकर इससे अलग हो गये, पर उससे ज्यादा नये लोग भी जुड़े इससे ।
आज़ चौपाल इस स्थिति मे है कि इसकी विश्वसनीयता पर कोई उँगली नही उठा सकता ।
ध्यातव्य है कि आम शिक्षक चौपाल कोई संघ नही है ।इसका उद्देश्य है समान मुद्दों पर सभी संघों को एक मंच पर लाना और आगामी आंदोलन के लिये तैयार करना ।
सभी संघों कि कार्यशैली से हताश तथा निराश हो चुके शिक्षकों कि आस्था का केंद्रबिंदू है शिक्षक चौपाल ।
मै एक बात और क्लियर कर देना चाहता हूँ कि चौपाल का कार्य सभी संघों कि आलोचना करना भर नही है, बल्कि उनके अच्छे कार्यों कि प्रशंसा करना तथा समय-समय पर सुझाव भी देना है ।
कुछ संघ के लोग चौपाल के लोगों को ही आगे आकर सारे कार्य करने को कहते है ....
तो भैया मेरा कहना है कि चंदा लो आप और कार्य करे हम !ये कैसी दोरंगि नीति है ?
कार्य तो आप ही लोग करोगे लेकिन शिक्षक हित मे ।किसी गफलत मे रखकर नही ।
शिक्षक चौपाल ने सभी संघों को देख लिया, परख लिया है ।कोई अपनी दुकानदारी छोड़ना नही चाहता ।सबको अपना अहम प्यारा है ।कोई किसी के साथ आने को तैयार नही है ।
अगर यही स्थिति बनी रही तो हमे #swsp और #राज्यकर्मी #का #दर्जा मिलने से रहा !
आगे चुनावी वर्ष भी है ।इसकी तैयारी अभी से करनी होगी ।अभी नही तो कभी नही मानकर चलना होगा ।
सभी संघों कि लम्बी चुप्पी दुर्भाग्यपूर्ण है ।
पिछले एकाकी आंदोलन का हश्र हम सभी देख ही चुके है कि कैसे सरकार पीट-पाटकर भगा दे रही है ।सरकार भी हमारी अनेकता का फायदा उठा रही है ।
7th pay मे मामूली बढ़ोत्तरी करके नियोजित शिक्षकों के अरमानों पर तुषारापात किया है ।
इसमे सरकार कही से भी दोषी नही है ।
दोषी है हमारे सभी संघ के लोग जो उचित तरीके से आवाज़ नही उठाई जिसका खामियाजा हमे आज उठाना पड़ रहा है ।
एक मायने मे संघ भी दोषी नही है ।दोषी तो हम लोग है जो संघों को बिना सोचे-समझे चंदा देते है ।उनसे ये भी नही पूछ पाते कि हम चंदा किस चीज़ के लिये दे रहे है ।हमारे चंदे के पैसे से ये लोग बड़े-बड़े होटलों मे रातें गुजारते है ।
बिना जाने-सुने उनके धरना-प्रदर्शन मे भाग लेते है ।
बस हुआ अब और नही 🙌 कब तक हम धोखा खाते रहेंगे ?
अब समय आ गया है जगने का ।वैसे भी जब जागो तब सबेरा होता है ।
सभी संघों को एक मंच पर लाने मे तथा उनकी मनमानी पर लगाम लगाने मे शिक्षक चौपाल अहम तथा निर्णायक भूमिका निभा सकता है ।
अत: आप सभी प्रबुद्ध आम शिक्षकों से अनुरोध है कि दिनांक 29 जून के पूर्वाह्न 11 बजे से पटना के ऐतिहासिक गाँधी मैदान मे शिक्षक चौपाल पर आकर अपने बहुमूल्य विचार रखे तथा अन्य लोगों के भी विचारो से अवगत हो ।
इस बैठक मे कुछ अहम निर्णय लिये जा सकते है जो आगे चलकर मिल का पत्थर साबित होगी ।
मुकेश गुप्ता
#आम_शिक्षक
#शिक्षक_चौपाल