"""" शिक्षक हूं सम्मान चाहिए """''
-----------------------------------(एक शिक्षक की व्यथा)
अब मुझे मेरी जिन्दगी या
श्मशान चाहिए!!
शिक्षक हूं साहब!
मुझे मेरा सम्मान चाहिए!!!
मैं रोता रहता हूं
सरकार के असयोग से!
घिन आती है मुझे अपने उपर हो रहे"
नीत नये प्रयोग से!!!
मुझे वैचारिक समानता!
अपने छात्रों का उत्थान चाहिए!!!
शिक्षक हूँ साहब!
मुझे मेरा सम्मान चाहिए!!
रोज लड़ता हूँ
मैं अपने वजूद से!
नफरत होती है मुझे मेरे
अपमान से!!!
मुझे शिक्षा का एक मंदिर "
और उसमें शिक्षा का ही
सामान चाहिए!!!
तुम अपना ये भोजन,
वजीफा, और पोशाक हटा लो!
शिक्षक के उपर से ये गंदा
मजाक हटा लो!!!
मुझे शिक्षण का माहौल
ना कि राजनीति की दुकान चाहिए,
मुझे बस मेरा सम्मान चाहिए!!!
कभी गुणवत्ता तो कभी
निरीक्षण के नाम पर!
बंद करो मिथ्या आरोप लगाना सिर्फ
शिक्षकों के ही काम पर!!!
अब और नहीं तुम्हारा ये
एहसान चाहिए!!
शिक्षक हूं मुझे मेरा सम्मान चाहिए!!!
तुम्हारे इस गंदे माहौल में
बिमार सा होता जा रहा हूं!
एक घटीया राजनीति का,
शिकार सा होता जा रहा हूँ!!
मुझे थोड़ी सी उन्मुक्त जमी
और मुठ्ठी भर खुला आसमान चाहिए!!!
शिक्षक हूँ साहेब!!! मुझे मेरा
सम्मान चाहिए !!!
-----------------------------------(एक शिक्षक की व्यथा)
अब मुझे मेरी जिन्दगी या
श्मशान चाहिए!!
शिक्षक हूं साहब!
मुझे मेरा सम्मान चाहिए!!!
मैं रोता रहता हूं
सरकार के असयोग से!
घिन आती है मुझे अपने उपर हो रहे"
नीत नये प्रयोग से!!!
मुझे वैचारिक समानता!
अपने छात्रों का उत्थान चाहिए!!!
शिक्षक हूँ साहब!
मुझे मेरा सम्मान चाहिए!!
रोज लड़ता हूँ
मैं अपने वजूद से!
नफरत होती है मुझे मेरे
अपमान से!!!
मुझे शिक्षा का एक मंदिर "
और उसमें शिक्षा का ही
सामान चाहिए!!!
तुम अपना ये भोजन,
वजीफा, और पोशाक हटा लो!
शिक्षक के उपर से ये गंदा
मजाक हटा लो!!!
मुझे शिक्षण का माहौल
ना कि राजनीति की दुकान चाहिए,
मुझे बस मेरा सम्मान चाहिए!!!
कभी गुणवत्ता तो कभी
निरीक्षण के नाम पर!
बंद करो मिथ्या आरोप लगाना सिर्फ
शिक्षकों के ही काम पर!!!
अब और नहीं तुम्हारा ये
एहसान चाहिए!!
शिक्षक हूं मुझे मेरा सम्मान चाहिए!!!
तुम्हारे इस गंदे माहौल में
बिमार सा होता जा रहा हूं!
एक घटीया राजनीति का,
शिकार सा होता जा रहा हूँ!!
मुझे थोड़ी सी उन्मुक्त जमी
और मुठ्ठी भर खुला आसमान चाहिए!!!
शिक्षक हूँ साहेब!!! मुझे मेरा
सम्मान चाहिए !!!