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BSSC क्वेश्चन पेपर लीक के पहले, सुपरवाइजर से अफसर तक की परीक्षाओं में धांधली

पटना.परीक्षाओं में धांधली-गड़बड़ी-सेटिंग। बिहार में होने वाली हर प्रतियोगी परीक्षा के बाद ऐसे आरोप लगते हैं। छात्र हंगामा-प्रदर्शन करते हैं। धरना देते हैं। हंगामा-प्रदर्शन हल्का होता है तो सारे आरोप दब जाते हैं। अगर मामला बढ़ा तो अफसरों की नींद टूटती है और तब जांच होने लगती है।
इसके बाद तो गड़बड़ी-धांधली का परत-दर-परत खुलने लगती है, इन्हीं परतों में से लालकेश्वर-परमेश्वर जैसे लोगों के चेहरों पर से नकाब उतारती है।यह है राज्य की शिक्षा का हाल...
- राज्य में शिक्षा व्यवस्था की पोल असर (एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट) 2016 की रिपोर्ट खोल देती है।
- 11 वर्ष की आयु में भी बच्चे तीसरी कक्षा के सवाल नहीं हल कर पा रहे।
- आठवीं कक्षा के 39 फीसदी बच्चे भाग देना नहीं जानते। इसके लिए शिक्षकों की गुणवत्ता को दोषी माना गया है।
शिक्षक नियुक्ति में भी खूब खेल

- वर्ष 2007 में पारा शिक्षक नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हुई। पंचायतों को मिले इस अधिकार का खूब दुरुपयोग हुआ।
- वर्ष 2009 में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट) की अनिवार्यता के बाद यह खेल रुका।
- टेट का अायोजन न होने से माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्कूलों में गणित व विज्ञान शिक्षक की कमी दूर नहीं हो रही है।
बीएसएससी : 15 परीक्षाएं लीं, सिर्फ तीन के परिणाम आए
1. सहायक पर्यटन सूचना अधिकारी नियुक्ति परीक्षा 2010
2. प्रथम स्नातक स्तरीय संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा 2010
3. मोटरयान निरीक्षक, वाहन चालक, राजकीयकृत उच्च विद्यालयों में लिपिक नियुक्ति प्रक्रिया 2011

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