भोजपुर । छह साल से भोजपुर जिले के गड़हनी प्रखंड के हरपुर पंचायत में
कथित फर्जी तरीके से बहाल किए गए आठ पंचायत शिक्षकों पर प्राथमिकी दर्ज
कराने व उन्हें सेवा मुक्त करने की कार्रवाई का मामला कानूनी दांव पेंच में
उलझ गया है।
शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आर.के.महाजन ने भोजपुर जिलाधिकारी को पत्र भेजा है, जिसमें कहा गया है कि बिहार पंचायत प्रारंभिक शिक्षक नियोजन एवं सेवा शर्त नियमावली 2006 के आलोक में ग्राम पंचायत हरपुर प्रखंड में पंचायत शिक्षक की नियुक्ति के लिए कुल आठ पद स्वीकृत किए गए। नियोजन वर्ष 2006 में मात्र चार पदों पर नियुक्ति की गई। उसके बाद नियोजन वर्ष 2008 में शेष चार पद विज्ञापित किए किए गए, जिसके आलोक में नियोजन की कार्रवाई की गई। मगर वर्ष 2010 में पुन: इसी पद पर दोबारा आठ शिक्षक का नियोजन मुखिया व पंचायत सचिव के हस्ताक्षर से कर ली गई।
बिना रिक्त पद व बिना विहित प्रक्रिया का अनुपालन कर अवैध एवं अनियमित तरीके से लाभ पहुंचाने के लिहाज से जालसाजी कर नियुक्ति की गई है। इस मामले में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना भोजपुर के द्वारा उच्च न्यायालय, पटना में दायर प्रतिशपथ पत्र के अवलोकन से ज्ञात होता है कि तत्कालीन प्रखंड सचिव हरपुर विनोद कुमार सिंह की भी इसमें सहभागिता हैं। जिसे गंभीरता से लेते हुए उन्हें निलंबित कर दिया जाए। साथ ही साथ नियोजन इकाई पर भी प्राथमिकी दर्ज की जाए। मगर अभी तक इस पूरे मामला में कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं किया गया है।
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क्या था मामला:
जिले के गड़हनी प्रखंड के हरपुर पंचायत में फर्जी तरीके से आठ पंचायत शिक्षकों की नियुक्ति का मामला वर्ष 2012 में उस समय प्रकाश में आया, जब तत्कालीन खाद्य एवं आपूर्ति संरक्षण विभाग के मंत्री श्याम रजक ने राज्य के मुख्य सचिव से इस नियुक्ति के संबंध में बात की। इसके बाद मुख्य सचिव ने इस बाबत मानव संसाधन विकास विभाग के प्रधान सचिव को पत्र भेजा। जिसके आलोक में तत्कालीन डीएम भोजपुर प्रतिमा वर्मा ने शिक्षकों के वेतन पर रोक लगाते हुए जांच का आदेश जारी किया था। जांच में यह पाया गया कि आठ शिक्षकों की बहाली अवैध तरीके से की गई है। जिसमें फर्जी तरीके से बहाल किए गए शिक्षकों को हटाने की बात कही गई। मगर कौन फर्जी है, यह बात नहीं होने के कारण मामला अब तक लटका है। जबकि इस मामले में तत्कालीन मुखिया शांति देवी पर भी प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।
वहीं सभी कार्यरत शिक्षकों का वेतन भुगतान किया जा रहा है। कारण इनके पक्ष में जिला अपीलीय प्राधिकार भोजपुर ने वेतन देने का आदेश जारी किया है। मगर अभी भी फर्जी तरीके से बहाल शिक्षक की पहचान नहीं हो पाई है। इस मामले को अपीलीय प्राधिकार में लेकर गए शिक्षकों का कहना है कि मानसिक रूप से तंग करने के लिए पूर्व मुखिया शांति देवी के द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है।
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क्या कहते है डीपीओ :
जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना ओम प्रकाश ने कहा कि इस मामले में कुछ लोग अपीलीय प्राधिकार में चले गए, वही कुछ लोग कोर्ट में चले गए। इधर इस बाबत फिर प्रधान सचिव का पत्र प्राप्त हुआ है, जिसमें कहा गया है कि आठ स्वीकृत पद पर 16 लोगों की बहाली कर ली गई है। मगर यह पता नहीं चल रहा है कि कौन सही है, और कौन गलत। जिस कारण मामला ठंडे बस्ते में चला गया है। हालांकि इस बाबत संबंधित नियोजन इकाई को पत्र भेज दिया गया है।
शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आर.के.महाजन ने भोजपुर जिलाधिकारी को पत्र भेजा है, जिसमें कहा गया है कि बिहार पंचायत प्रारंभिक शिक्षक नियोजन एवं सेवा शर्त नियमावली 2006 के आलोक में ग्राम पंचायत हरपुर प्रखंड में पंचायत शिक्षक की नियुक्ति के लिए कुल आठ पद स्वीकृत किए गए। नियोजन वर्ष 2006 में मात्र चार पदों पर नियुक्ति की गई। उसके बाद नियोजन वर्ष 2008 में शेष चार पद विज्ञापित किए किए गए, जिसके आलोक में नियोजन की कार्रवाई की गई। मगर वर्ष 2010 में पुन: इसी पद पर दोबारा आठ शिक्षक का नियोजन मुखिया व पंचायत सचिव के हस्ताक्षर से कर ली गई।
बिना रिक्त पद व बिना विहित प्रक्रिया का अनुपालन कर अवैध एवं अनियमित तरीके से लाभ पहुंचाने के लिहाज से जालसाजी कर नियुक्ति की गई है। इस मामले में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना भोजपुर के द्वारा उच्च न्यायालय, पटना में दायर प्रतिशपथ पत्र के अवलोकन से ज्ञात होता है कि तत्कालीन प्रखंड सचिव हरपुर विनोद कुमार सिंह की भी इसमें सहभागिता हैं। जिसे गंभीरता से लेते हुए उन्हें निलंबित कर दिया जाए। साथ ही साथ नियोजन इकाई पर भी प्राथमिकी दर्ज की जाए। मगर अभी तक इस पूरे मामला में कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं किया गया है।
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क्या था मामला:
जिले के गड़हनी प्रखंड के हरपुर पंचायत में फर्जी तरीके से आठ पंचायत शिक्षकों की नियुक्ति का मामला वर्ष 2012 में उस समय प्रकाश में आया, जब तत्कालीन खाद्य एवं आपूर्ति संरक्षण विभाग के मंत्री श्याम रजक ने राज्य के मुख्य सचिव से इस नियुक्ति के संबंध में बात की। इसके बाद मुख्य सचिव ने इस बाबत मानव संसाधन विकास विभाग के प्रधान सचिव को पत्र भेजा। जिसके आलोक में तत्कालीन डीएम भोजपुर प्रतिमा वर्मा ने शिक्षकों के वेतन पर रोक लगाते हुए जांच का आदेश जारी किया था। जांच में यह पाया गया कि आठ शिक्षकों की बहाली अवैध तरीके से की गई है। जिसमें फर्जी तरीके से बहाल किए गए शिक्षकों को हटाने की बात कही गई। मगर कौन फर्जी है, यह बात नहीं होने के कारण मामला अब तक लटका है। जबकि इस मामले में तत्कालीन मुखिया शांति देवी पर भी प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।
वहीं सभी कार्यरत शिक्षकों का वेतन भुगतान किया जा रहा है। कारण इनके पक्ष में जिला अपीलीय प्राधिकार भोजपुर ने वेतन देने का आदेश जारी किया है। मगर अभी भी फर्जी तरीके से बहाल शिक्षक की पहचान नहीं हो पाई है। इस मामले को अपीलीय प्राधिकार में लेकर गए शिक्षकों का कहना है कि मानसिक रूप से तंग करने के लिए पूर्व मुखिया शांति देवी के द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है।
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क्या कहते है डीपीओ :
जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना ओम प्रकाश ने कहा कि इस मामले में कुछ लोग अपीलीय प्राधिकार में चले गए, वही कुछ लोग कोर्ट में चले गए। इधर इस बाबत फिर प्रधान सचिव का पत्र प्राप्त हुआ है, जिसमें कहा गया है कि आठ स्वीकृत पद पर 16 लोगों की बहाली कर ली गई है। मगर यह पता नहीं चल रहा है कि कौन सही है, और कौन गलत। जिस कारण मामला ठंडे बस्ते में चला गया है। हालांकि इस बाबत संबंधित नियोजन इकाई को पत्र भेज दिया गया है।