आज शिक्षकों से सम्बंधित बहुत से ज्वलंत और संवेदनशील मुद्दे हैं उनमें से पाँच मुद्दे निम्न प्रकार है....
●समान काम समान वेतनमान,
◆सेवाशर्त का निर्माण,
■फ़र्ज़ी TET शिक्षकों पर कार्यवाई
★दक्षता अनुतीर्ण की नौकरी समाप्ति,
☸रोज नए संघ का गठन
इत्यादि इत्यादि...।
इनमें से किसी भी मुद्दे को उठाया जाता है तो हर जगह कुछ समर्थन करने वाले तो कुछ विरोध करने वाले मिल जायेंगे।
● *पहला मुद्दा-
समान काम समान वेतन पर कोई विरोध नहीं है। यह मुद्दा सभी नियोजित शिक्षकों के हित के लिए लाभप्रद है इसलिए शिक्षकों के बीच से कोई विरोध नहीं है और हाँ हम सब के लिए सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट हमारा सहायक जरूर है। लेकिन फिर भी बिहार सरकार जरूर विरोध कर रही है इसके बहुत से कारण हो सकते हैं जैसे बिहार सरकार की वित्तीय स्थिति का ठीक नहीं होना।
◆*दूसरा मुद्दा-
सेवाशर्त के प्रकाशन में हो रहे विलम्ब पर बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी को लगातार शिक्षकों का विरोध झेलना पड़ रहा है। और विरोध भी बस इसलिये कि उनका बार बार समय का झूठा आश्वासन देना कि जल्द होगा सेवाशर्त का प्रकाशन...। मगर जल्द जल्द करते करते आज 18 माह यानि डेढ़ साल से ज्यादा का समय गुजर गया मगर आज भी डेट का निर्धारण नहीं हो पाया कि कब होगा सेवाशर्त का प्रकाशन।
■*तीसरा मुद्दा-
हालाँकि फर्जी शिक्षकों के मामले में कोर्ट के आदेश से सभी शिक्षकों के सर्टिफिकेट की जाँच निगरानी के माध्यम से चल रही है जिसमें बहुत से फ़र्ज़ी शिक्षकों पर कार्यवाई चल रही है। इसी क्रम में TET शिक्षकों की भी जाँच की जा रही है जिसमें बहुत से मामले सामने आए हैं,
एक भ्रष्टाचार में लिप्त एक DPO पर करवाई की मांग को लेकर जब एक संघ के द्वारा #फर्जी TET का मामला उठाया गया तो उन्हें प्रत्यक्ष न सही अप्रत्यक्ष रूप से TET शिक्षकों का विरोध झेलना पड़ा है चाहे उनमें फर्जी हो अथवा कुछ #ओरिजिनल वाले TET शिक्षक हों और वे शिक्षक उनसे दूर जाते रहे....और इसी का फायदा दूसरे संघ ने उठाते हुए उन लोगो को मोल्ड करके उनका विरोधी साबित कर अपने संघ में सम्मिलित कर रहे हैं, जो की बहुत ही गलत है।
जहाँ तक मेरा अनुभव कहता है गलत, गलत होता है और सही , सही। मगर कुछ लोग इसे मिर्च मसाला लगा कर पेश कर रहे हैं, पर इससे होगा क्या? मेरे समझ से परे है....!
★*चौथा मुद्दा-
अब आइये एक और ज्वलंत आया मुद्दा है।
जो शिक्षक तीन मौका मिलने के बाद भी #दक्षता_परीक्षा उतीर्ण नहीं कर पाए हैं और #अनुतीर्ण हो गए। उन्हें सरकार के नियमावली के तहत हटा देना है। ऐसी स्थिति में अगर कोई संघ उनके लिए कोर्ट जाने की बात करते है तो वे भी TET शिक्षकों का विरोधी ही कहलायेंगे। अगर दक्षता अनुतीर्ण वाले का विरोध करते है तो कोई दूसरा संघ विरोध करेंगे। मतलब किसी भी स्थिति में #आगे_कुआँ_पीछे_खाई वाली स्थिति है। TET उतीर्ण शिक्षक संघ मांग कर रहा है कि उनको हटा कर उनके जगह पर TET शिक्षकों की बहाली की जाये। वहीँ कोई संघ नौकरी से हटाने के खिलाफ कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है क्योंकि इन शिक्षकों को नौकरी में रखा कौन? और नौकरी बांटते समय ये दक्षता उतीर्ण होने की शर्त थी या नहीं? इस पर भी लंबी बहस चलने वाली है। वहीँ यह भी आवाज़ उठ रही है कि अगर उन्हें नौकरी से हटा दिया गया तो वे जायेंगे कहाँ?? सवाल जायज भी है।
चुकी ये शैक्षणिक कार्यों के लिए अनुपयोगी हो गए हैं तो उन्हें गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाया जा सकता है।
☸पांचवा मुद्दा-
रोज रोज नए नए संघ का निर्माण किया जा रहा है मगर सभी अपने मुद्दों से भटक रहे है। एकाध संघ को छोड़ कर कोई संघ एकता की बात नहीं करते और नहीं सब को साथ लेकर चलना चाहते हैं। यही वजह है कि आज एक सेवानिवृत संघ से लेकर बचवा संघ तक कर्यरत है। मगर किसी को शिक्षकों के हितों से कोई सरोकार नहीं है।
बस...! सभी अपना अपना वाहवाही लूटने में लगे है।
इस संबंध में और विशेष नहीं कहना है मुझे सभी शिक्षक बुद्धिजीवी हैं वे अपना भला-बुरा अच्छी तरह समझते है।
वे उन्हीं का साथ देने की बात करते है जो सबको साथ लेकर चलेंगे और उनका सोचना सही भी है.....
मेरा भी मानना है कि सभी शिक्षक ये चाहते हैं कि सभी शिक्षक संघ एक होकर लड़े तो सभी मुद्दों का अंत स्वयं ही हो जाएंगे।
जब एक होकर चाइनीज़ वेतनमान पा सकते हैं तो पूर्ण वेतनमान/या सातवाँ वेतनमान क्यों नहीं?
जय हिंद! जय शिक्षक!! जय शिक्षक एकता!!!
आपका
Tr Sanjeev Sameer
बकटपुर, काँटी, मुज़0।
●समान काम समान वेतनमान,
◆सेवाशर्त का निर्माण,
■फ़र्ज़ी TET शिक्षकों पर कार्यवाई
★दक्षता अनुतीर्ण की नौकरी समाप्ति,
☸रोज नए संघ का गठन
इत्यादि इत्यादि...।
इनमें से किसी भी मुद्दे को उठाया जाता है तो हर जगह कुछ समर्थन करने वाले तो कुछ विरोध करने वाले मिल जायेंगे।
● *पहला मुद्दा-
समान काम समान वेतन पर कोई विरोध नहीं है। यह मुद्दा सभी नियोजित शिक्षकों के हित के लिए लाभप्रद है इसलिए शिक्षकों के बीच से कोई विरोध नहीं है और हाँ हम सब के लिए सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट हमारा सहायक जरूर है। लेकिन फिर भी बिहार सरकार जरूर विरोध कर रही है इसके बहुत से कारण हो सकते हैं जैसे बिहार सरकार की वित्तीय स्थिति का ठीक नहीं होना।
◆*दूसरा मुद्दा-
सेवाशर्त के प्रकाशन में हो रहे विलम्ब पर बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी को लगातार शिक्षकों का विरोध झेलना पड़ रहा है। और विरोध भी बस इसलिये कि उनका बार बार समय का झूठा आश्वासन देना कि जल्द होगा सेवाशर्त का प्रकाशन...। मगर जल्द जल्द करते करते आज 18 माह यानि डेढ़ साल से ज्यादा का समय गुजर गया मगर आज भी डेट का निर्धारण नहीं हो पाया कि कब होगा सेवाशर्त का प्रकाशन।
■*तीसरा मुद्दा-
हालाँकि फर्जी शिक्षकों के मामले में कोर्ट के आदेश से सभी शिक्षकों के सर्टिफिकेट की जाँच निगरानी के माध्यम से चल रही है जिसमें बहुत से फ़र्ज़ी शिक्षकों पर कार्यवाई चल रही है। इसी क्रम में TET शिक्षकों की भी जाँच की जा रही है जिसमें बहुत से मामले सामने आए हैं,
एक भ्रष्टाचार में लिप्त एक DPO पर करवाई की मांग को लेकर जब एक संघ के द्वारा #फर्जी TET का मामला उठाया गया तो उन्हें प्रत्यक्ष न सही अप्रत्यक्ष रूप से TET शिक्षकों का विरोध झेलना पड़ा है चाहे उनमें फर्जी हो अथवा कुछ #ओरिजिनल वाले TET शिक्षक हों और वे शिक्षक उनसे दूर जाते रहे....और इसी का फायदा दूसरे संघ ने उठाते हुए उन लोगो को मोल्ड करके उनका विरोधी साबित कर अपने संघ में सम्मिलित कर रहे हैं, जो की बहुत ही गलत है।
जहाँ तक मेरा अनुभव कहता है गलत, गलत होता है और सही , सही। मगर कुछ लोग इसे मिर्च मसाला लगा कर पेश कर रहे हैं, पर इससे होगा क्या? मेरे समझ से परे है....!
★*चौथा मुद्दा-
अब आइये एक और ज्वलंत आया मुद्दा है।
जो शिक्षक तीन मौका मिलने के बाद भी #दक्षता_परीक्षा उतीर्ण नहीं कर पाए हैं और #अनुतीर्ण हो गए। उन्हें सरकार के नियमावली के तहत हटा देना है। ऐसी स्थिति में अगर कोई संघ उनके लिए कोर्ट जाने की बात करते है तो वे भी TET शिक्षकों का विरोधी ही कहलायेंगे। अगर दक्षता अनुतीर्ण वाले का विरोध करते है तो कोई दूसरा संघ विरोध करेंगे। मतलब किसी भी स्थिति में #आगे_कुआँ_पीछे_खाई वाली स्थिति है। TET उतीर्ण शिक्षक संघ मांग कर रहा है कि उनको हटा कर उनके जगह पर TET शिक्षकों की बहाली की जाये। वहीँ कोई संघ नौकरी से हटाने के खिलाफ कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है क्योंकि इन शिक्षकों को नौकरी में रखा कौन? और नौकरी बांटते समय ये दक्षता उतीर्ण होने की शर्त थी या नहीं? इस पर भी लंबी बहस चलने वाली है। वहीँ यह भी आवाज़ उठ रही है कि अगर उन्हें नौकरी से हटा दिया गया तो वे जायेंगे कहाँ?? सवाल जायज भी है।
चुकी ये शैक्षणिक कार्यों के लिए अनुपयोगी हो गए हैं तो उन्हें गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाया जा सकता है।
☸पांचवा मुद्दा-
रोज रोज नए नए संघ का निर्माण किया जा रहा है मगर सभी अपने मुद्दों से भटक रहे है। एकाध संघ को छोड़ कर कोई संघ एकता की बात नहीं करते और नहीं सब को साथ लेकर चलना चाहते हैं। यही वजह है कि आज एक सेवानिवृत संघ से लेकर बचवा संघ तक कर्यरत है। मगर किसी को शिक्षकों के हितों से कोई सरोकार नहीं है।
बस...! सभी अपना अपना वाहवाही लूटने में लगे है।
इस संबंध में और विशेष नहीं कहना है मुझे सभी शिक्षक बुद्धिजीवी हैं वे अपना भला-बुरा अच्छी तरह समझते है।
वे उन्हीं का साथ देने की बात करते है जो सबको साथ लेकर चलेंगे और उनका सोचना सही भी है.....
मेरा भी मानना है कि सभी शिक्षक ये चाहते हैं कि सभी शिक्षक संघ एक होकर लड़े तो सभी मुद्दों का अंत स्वयं ही हो जाएंगे।
जब एक होकर चाइनीज़ वेतनमान पा सकते हैं तो पूर्ण वेतनमान/या सातवाँ वेतनमान क्यों नहीं?
जय हिंद! जय शिक्षक!! जय शिक्षक एकता!!!
आपका
Tr Sanjeev Sameer
बकटपुर, काँटी, मुज़0।