यह पोस्ट सभी शिक्षकों के लिये है......
शिक्षा मंत्री सुधारेंगे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की दिशा,पर क्यों नहीं दिखता नियोजित शिक्षकों की दुर्दशा ?
सभी शिक्षकों को नमस्कार.एक कहावत है- “नया भजनिया टिक में झाल”.कुछ ऐसा ही हाल बिहार के शिक्षा मंत्री श्री अशोक चौधरी और उनकी टीम का है.
गठबंधन सरकार में आते ही मंत्रीजी ने कहा हम गुणवत्तापूर्ण शिक्षा लायेंगे और अपने भजनियों (टीम) के साथ 22 सूत्री कार्यक्रम जारी कर दिया.कुछ आपके सामने रखना चाहता हूँ-
(1) विद्यालय में शिक्षकों का समय सुधारने के लिये बायोमैट्रिक मशीन लगेगी.
(2) CCTV कैमरा लगेगा.
(3) उपस्थिति का फोटो खींचकर what’s app पर भेजना है.
(4) अधिकारी प्रत्येक माह स्कूलों का रिपोर्ट भेजेंगे.
(5) फोन पर भी स्कूलों का रिपोर्ट बतलाना है.
(6) इसके अलावा सभी गैर शैक्षणिक कार्यों को करते हुए रिपोर्टों का पुलिंदा भी भेजना है.साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा भी देनी है.
मंत्रीजी अपना संदेश मीडिया और सोशल मीडिया पर जारी करते है.पर सवाल पूछने पर कोई जबाव ही नहीं देते है.
महाशय,हम आपकी बात समझ गये.अगर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा चाहिये तो हम नियोजित शिक्षकों की बात भी सुनिये और समझिये ...........
(1) सबसे पहले समय से वेतन भुगतान की व्यवस्था कीजिये.6-7 माह वेतन नहीं मिलता है.शिक्षकों की क्या दुर्दशा है,आपको पता है? कभी एसी चैम्बर से बाहर निकल कर देखिये.
(2) 50-60 किलोमीटर की दुरी तय करके शिक्षक विद्यालय पहुँचते है.कभी ठंढ में ठिठुरते हुये तो कभी गर्मी में धूल-पसीने से नहा कर तो कभी बरसात में भींगकर भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देते है.स्थांतरण और सेवा-शर्त पर क्यों चुप्पी साधे हुये है? शीघ्र ही गृह स्थांतरण की व्यवस्था करिये.
(3) आपलोग शिक्षकों में ही भेदभाव करते है.नियमित और नियोजित.क्या है ये?सामान काम तो सामान वेतनमान के बिना गुणवत्तापूर्ण शिक्षा फ्लॉप है.
मंत्रीजी मैं आपसे एक आग्रह करता हूँ.आप एक महीना के लिये अपना एसी चैम्बर,गाड़ी,सुख-सुविधा को छोड़कर नियोजित शिक्षक की तरह मेरे साथ विद्यालय आये और जाये.9:30 से 4:00 बजे तक.और हाँ वेतन भी उतना ही लिजिये जितना हमें मिलता है.सिर्फ एक महीने की बात है.गुणवत्तापूर्ण शिक्षा किसे कहते है और कैसे दी जाती है तब शायद आप अच्छी तरह समझ पायेंगे.
जब तक नियोजित शिक्षकों की दुर्दशा नहीं सुधरेंगी तब तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की दिशा में सुधार मुश्किल है.एक हाथ से समान काम-समान वेतनमान और स्थांतरण दीजिये और दुसरे हाथ से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा लीजिये.हम तो पहले से ही तैयार है,आप अपनी तरफ से तैयारी शुरू करिये...........
शिक्षा मंत्री सुधारेंगे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की दिशा,पर क्यों नहीं दिखता नियोजित शिक्षकों की दुर्दशा ?
सभी शिक्षकों को नमस्कार.एक कहावत है- “नया भजनिया टिक में झाल”.कुछ ऐसा ही हाल बिहार के शिक्षा मंत्री श्री अशोक चौधरी और उनकी टीम का है.
गठबंधन सरकार में आते ही मंत्रीजी ने कहा हम गुणवत्तापूर्ण शिक्षा लायेंगे और अपने भजनियों (टीम) के साथ 22 सूत्री कार्यक्रम जारी कर दिया.कुछ आपके सामने रखना चाहता हूँ-
(1) विद्यालय में शिक्षकों का समय सुधारने के लिये बायोमैट्रिक मशीन लगेगी.
(2) CCTV कैमरा लगेगा.
(3) उपस्थिति का फोटो खींचकर what’s app पर भेजना है.
(4) अधिकारी प्रत्येक माह स्कूलों का रिपोर्ट भेजेंगे.
(5) फोन पर भी स्कूलों का रिपोर्ट बतलाना है.
(6) इसके अलावा सभी गैर शैक्षणिक कार्यों को करते हुए रिपोर्टों का पुलिंदा भी भेजना है.साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा भी देनी है.
मंत्रीजी अपना संदेश मीडिया और सोशल मीडिया पर जारी करते है.पर सवाल पूछने पर कोई जबाव ही नहीं देते है.
महाशय,हम आपकी बात समझ गये.अगर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा चाहिये तो हम नियोजित शिक्षकों की बात भी सुनिये और समझिये ...........
(1) सबसे पहले समय से वेतन भुगतान की व्यवस्था कीजिये.6-7 माह वेतन नहीं मिलता है.शिक्षकों की क्या दुर्दशा है,आपको पता है? कभी एसी चैम्बर से बाहर निकल कर देखिये.
(2) 50-60 किलोमीटर की दुरी तय करके शिक्षक विद्यालय पहुँचते है.कभी ठंढ में ठिठुरते हुये तो कभी गर्मी में धूल-पसीने से नहा कर तो कभी बरसात में भींगकर भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देते है.स्थांतरण और सेवा-शर्त पर क्यों चुप्पी साधे हुये है? शीघ्र ही गृह स्थांतरण की व्यवस्था करिये.
(3) आपलोग शिक्षकों में ही भेदभाव करते है.नियमित और नियोजित.क्या है ये?सामान काम तो सामान वेतनमान के बिना गुणवत्तापूर्ण शिक्षा फ्लॉप है.
मंत्रीजी मैं आपसे एक आग्रह करता हूँ.आप एक महीना के लिये अपना एसी चैम्बर,गाड़ी,सुख-सुविधा को छोड़कर नियोजित शिक्षक की तरह मेरे साथ विद्यालय आये और जाये.9:30 से 4:00 बजे तक.और हाँ वेतन भी उतना ही लिजिये जितना हमें मिलता है.सिर्फ एक महीने की बात है.गुणवत्तापूर्ण शिक्षा किसे कहते है और कैसे दी जाती है तब शायद आप अच्छी तरह समझ पायेंगे.
जब तक नियोजित शिक्षकों की दुर्दशा नहीं सुधरेंगी तब तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की दिशा में सुधार मुश्किल है.एक हाथ से समान काम-समान वेतनमान और स्थांतरण दीजिये और दुसरे हाथ से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा लीजिये.हम तो पहले से ही तैयार है,आप अपनी तरफ से तैयारी शुरू करिये...........