भागलपुर [अमरेन्द्र कुमार तिवारी] जिला शिक्षा विभाग प्रारंभिक विद्यालयों में फर्जी तरीके से चार चरणों
में हुई शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के साथ
जूझता रहा। 2006 से चार चरणों में अब तक प्रारंभिक विद्यालयों में आठ हजार
से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति हुई है।
जिसकी निगरानी जांच उच्च न्यायालय के आदेश पर चल रही है।
76 शिक्षकों के विरुद्ध प्राथमिकी
निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के पुलिस निरीक्षक एके सरोज ने जिला शिक्षा विभाग द्वारा दिए गए नियोजित शिक्षकों की नियोजन फोल्डर की जांच के उपरांत गलत प्रमाण पत्र पाए जाने पर अब तक 76 शिक्षकों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई है। इंटर स्तरीय एवं माध्यमिक विद्यालयों में हुए शिक्षक नियोजन की जांच प्रक्रिया भले ही पूरी कर ली गई है परंतु प्रारंभिक विद्यालयों में बड़ी संख्या में हुए शिक्षक नियोजन की जांच पूरी करना टेड़ी खीर है।
ढाई लाख बच्चों को बिना किताब करनी पड़ी पढ़ाई
जिले में प्रारंभिक शिक्षा का वर्ष भर पूरा हाल रहा। करीब ढाई लाख बच्चों को बिना किताब की पढ़ाई करनी पड़ी। प्रारंभिक स्कूलों में बच्चों की संख्या करीब छह लाख 27 हजार है। विभाग के अधिकारी बच्चों को सत्र प्रारंभ होते ही पुस्तक उपलब्ध कराने का आश्वासन देते रहे। डीपीओ सर्वशिक्षा नसीम अहमद ने गर्मी छुट्टी के पूर्व तक पुस्तक सभी स्कूलों को उपलब्ध कराने का भरोसा दिलाया था। लेकिन राज्य स्तर से डिमांड के अनुरुप पुस्तकें उपलब्ध नहीं हो पाई। नतीजतन करीब ढाई लाख बच्चे किताब के बगैर ही पढ़ाई कर रहे हैं।
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में शिक्षा विभाग फिसड्डी
प्रारंभिक स्कूलों से लेकर उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में जिला शिक्षा विभाग असफल रहा। उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में विज्ञान शिक्षक के अभाव में इंटर साइंस की पढ़ाई भगवान भरोसे रही। इंटर विद्यालयों में गणित, रसायन एवं भौतिकी विषय को मिलाकर करीब 256 साइंस शिक्षकों का अभाव है। एसटीईटी पास अभ्यर्थियों के अभाव में जिले में पंचम चरण के दौरान चल रही नियोजन प्रक्रिया में भी साइंस शिक्षकों का पद रिक्त रह जाएगा। वहीं माध्यमिक एवं प्रारंभिक स्कूलों में कहीं छात्र हैं तो शिक्षक नहीं और जहां शिक्षक हैं वहां छात्रों की संख्या बहुत कम है। ऐसे में गुणोत्तर शिक्षा के लिए सरकार ने शिक्षकों के समायोजन का निर्देश दिया था, जो अब तक फाइलों में में सीमित होकर रह गया है।
प्रोन्नति को लेकर भी सुर्खियों में रहा विभाग
जिले के प्रारंभिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक व स्नातक कला एवं विज्ञान पद पर शिक्षकों को प्रोन्नति देने के मामले को लेकर भी डीईओ कार्यालय सुर्खियों में रहा। शिक्षक अपने हक की मांग को लेकर आंदोलनरत रहे। पहले तो डीईओ ने प्रोन्नति के हकदार शिक्षकों की प्रोन्नति फोल्डर की जांच में समय लगाया। फिर प्रोन्नति समिति की बैठक को टालते रहे। हालांकि रिक्तियों के हिसाब से अभ्यर्थियों की कमी थी, बावजूद इसके विभाग के अधिकारियों ने टाल-मटोल के बाद शिक्षकों को प्रोन्नति का लाभ दिया। स्नातक कला का 501, विज्ञान का 612 एवं प्रधानाध्यापक का जिले में 587 पद रिक्त हैं। जिसमें से अब तक 400 अधिक शिक्षकों को प्रोन्नति का लाभ मिल पाया है।
आरडीडीई के नहीं रहने से निरीक्षण प्रभावित
जिले में सालों भर उप शिक्षा निदेशक का कार्यालय बांका जिले के अधिकारियों के भरोसे चलता रहा। सरकार ने ऐसे अधिकारी को आरडीडीई का प्रभार दिया जिन पर बांका जिले का दो-दो प्रभार था। नतीजतन वे माह में भी एक बार यहां के कार्यालय में नहीं पहुंच पाते थे। जिसके कारण विद्यालयों का निरीक्षण सहित शिक्षकों की कई समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया। सिर्फ वहां के कर्मियों को चार-चार माह तक वेतन के लिए भी तरसना पड़ा।
उपलब्धि : परीक्षा बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय
जिले में बिहार विद्यालय परीक्षा बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय खोलने की योजना भागलपुर प्रमंडल के लिए बड़ी उपलब्धि रही। उक्त कार्यालय नववर्ष के लिए इस प्रमंडल के लोगों के लिए बड़ी सौगात साबित होगी। इससे भागलपुर सहित कोसी क्षेत्र के मैट्रिक व इंटर परीक्षार्थियों को अब परीक्षा व प्रमाण पत्र संबंधित किसी भी कार्य के लिए पटना का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा।
जिसकी निगरानी जांच उच्च न्यायालय के आदेश पर चल रही है।
76 शिक्षकों के विरुद्ध प्राथमिकी
निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के पुलिस निरीक्षक एके सरोज ने जिला शिक्षा विभाग द्वारा दिए गए नियोजित शिक्षकों की नियोजन फोल्डर की जांच के उपरांत गलत प्रमाण पत्र पाए जाने पर अब तक 76 शिक्षकों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई है। इंटर स्तरीय एवं माध्यमिक विद्यालयों में हुए शिक्षक नियोजन की जांच प्रक्रिया भले ही पूरी कर ली गई है परंतु प्रारंभिक विद्यालयों में बड़ी संख्या में हुए शिक्षक नियोजन की जांच पूरी करना टेड़ी खीर है।
ढाई लाख बच्चों को बिना किताब करनी पड़ी पढ़ाई
जिले में प्रारंभिक शिक्षा का वर्ष भर पूरा हाल रहा। करीब ढाई लाख बच्चों को बिना किताब की पढ़ाई करनी पड़ी। प्रारंभिक स्कूलों में बच्चों की संख्या करीब छह लाख 27 हजार है। विभाग के अधिकारी बच्चों को सत्र प्रारंभ होते ही पुस्तक उपलब्ध कराने का आश्वासन देते रहे। डीपीओ सर्वशिक्षा नसीम अहमद ने गर्मी छुट्टी के पूर्व तक पुस्तक सभी स्कूलों को उपलब्ध कराने का भरोसा दिलाया था। लेकिन राज्य स्तर से डिमांड के अनुरुप पुस्तकें उपलब्ध नहीं हो पाई। नतीजतन करीब ढाई लाख बच्चे किताब के बगैर ही पढ़ाई कर रहे हैं।
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में शिक्षा विभाग फिसड्डी
प्रारंभिक स्कूलों से लेकर उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में जिला शिक्षा विभाग असफल रहा। उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में विज्ञान शिक्षक के अभाव में इंटर साइंस की पढ़ाई भगवान भरोसे रही। इंटर विद्यालयों में गणित, रसायन एवं भौतिकी विषय को मिलाकर करीब 256 साइंस शिक्षकों का अभाव है। एसटीईटी पास अभ्यर्थियों के अभाव में जिले में पंचम चरण के दौरान चल रही नियोजन प्रक्रिया में भी साइंस शिक्षकों का पद रिक्त रह जाएगा। वहीं माध्यमिक एवं प्रारंभिक स्कूलों में कहीं छात्र हैं तो शिक्षक नहीं और जहां शिक्षक हैं वहां छात्रों की संख्या बहुत कम है। ऐसे में गुणोत्तर शिक्षा के लिए सरकार ने शिक्षकों के समायोजन का निर्देश दिया था, जो अब तक फाइलों में में सीमित होकर रह गया है।
प्रोन्नति को लेकर भी सुर्खियों में रहा विभाग
जिले के प्रारंभिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक व स्नातक कला एवं विज्ञान पद पर शिक्षकों को प्रोन्नति देने के मामले को लेकर भी डीईओ कार्यालय सुर्खियों में रहा। शिक्षक अपने हक की मांग को लेकर आंदोलनरत रहे। पहले तो डीईओ ने प्रोन्नति के हकदार शिक्षकों की प्रोन्नति फोल्डर की जांच में समय लगाया। फिर प्रोन्नति समिति की बैठक को टालते रहे। हालांकि रिक्तियों के हिसाब से अभ्यर्थियों की कमी थी, बावजूद इसके विभाग के अधिकारियों ने टाल-मटोल के बाद शिक्षकों को प्रोन्नति का लाभ दिया। स्नातक कला का 501, विज्ञान का 612 एवं प्रधानाध्यापक का जिले में 587 पद रिक्त हैं। जिसमें से अब तक 400 अधिक शिक्षकों को प्रोन्नति का लाभ मिल पाया है।
आरडीडीई के नहीं रहने से निरीक्षण प्रभावित
जिले में सालों भर उप शिक्षा निदेशक का कार्यालय बांका जिले के अधिकारियों के भरोसे चलता रहा। सरकार ने ऐसे अधिकारी को आरडीडीई का प्रभार दिया जिन पर बांका जिले का दो-दो प्रभार था। नतीजतन वे माह में भी एक बार यहां के कार्यालय में नहीं पहुंच पाते थे। जिसके कारण विद्यालयों का निरीक्षण सहित शिक्षकों की कई समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया। सिर्फ वहां के कर्मियों को चार-चार माह तक वेतन के लिए भी तरसना पड़ा।
उपलब्धि : परीक्षा बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय
जिले में बिहार विद्यालय परीक्षा बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय खोलने की योजना भागलपुर प्रमंडल के लिए बड़ी उपलब्धि रही। उक्त कार्यालय नववर्ष के लिए इस प्रमंडल के लोगों के लिए बड़ी सौगात साबित होगी। इससे भागलपुर सहित कोसी क्षेत्र के मैट्रिक व इंटर परीक्षार्थियों को अब परीक्षा व प्रमाण पत्र संबंधित किसी भी कार्य के लिए पटना का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा।