सुपौल: इंटर टॉपर घोटाले में पटना पुलिस द्वारा गिरफ्तार बिहार बोर्ड के दोनों पूर्व सचिव हरिहर नाथ झा व श्रीनिवास चंद्र तिवारी सुपौल में जिला शिक्षा अधीक्षक के पद पर पदस्थापित रह चुके हैं. गिरफ्तार पूर्व सचिव श्रीनिवास चंद्र तिवारी सुपौल में पदस्थापना के दौरान चर्चा में रहे हैं. श्री तिवारी पर वित्तीय वर्ष 2004-05 में सुपौल कोषागार से 02 करोड़ 17 लाख 05 हजार 750 रुपये की फर्जी निकासी का भी आरोप है.परीक्षा घोटाला व सरकारी राशि के गबन करने के सहित कई अन्य मामलों में संलिप्तता उजागर होने के कारण श्री तिवारी काफी सुर्खियों में रह चुके हैं. श्री तिवारी वर्ष 2005 में सुपौल के अनुमंडल शिक्षा पदाधिकारी, जिला शिक्षा अधीक्षक, जिला शिक्षा पदाधिकारी तथा सहरसा के क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक का पद पर आसीन थे. अवैध कार्याें व भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक लोकहित याचिका भी श्री तिवारी के विरुद्ध पटना उच्च न्यायालय में दायर किया जा चुका है. श्री तिवारी सहित बिहार शिक्षा सेवा के 143 पदाधिकारियों के विरुद्ध बीएड डिग्री घोटाला, अवैध नियुक्ति, सरकारी राशि का गबन, भ्रष्टाचार सहित कई गंभीर मामले को लेकर विभागीय कार्यवाही सालों से लंबित है.
आठवीं की परीक्षा को लेकर आया था मामला : सुपौल में पदस्थापना के दौरान श्रीनिवास चंद्र तिवारी ने वर्ष 2005 में आठवीं बोर्ड परीक्षा के दौरान जिले के सभी छात्र-छात्राओं के लिए कॉपी और प्रश्नपत्र का निविदा प्रकाशित करवाया था. निविदा की शर्त को पूरा नहीं करने के बावजूद इन्होंने अपने चहेते आपूर्तिकर्ता को कॉपी आपूर्ति करने का आदेश दे दिया. जानकारी के अनुसार सुपौल पदस्थापना से पूर्व श्रीनिवास तिवारी वैशाली जिले में जिला शिक्षा पदाधिकारी के पद पर पदस्थापित थे, जहां उनका कई आपूर्तिकर्ताओं से संपर्क था. वैशाली के आपूर्तिकर्ता ने तिवारी की मिलीभगत से वैशाली जिले में विगत वर्ष के दौरान परीक्षा में शेष बच गयी कॉपी की आपूर्ति कर दी. आपूर्ति की गयी कॉपी काफी निम्न स्तर की थी. सूत्रों की मानें तो श्रीनिवास तिवारी की मिलीभगत से आपूर्तिकर्ता को संपूर्ण राशि का भुगतान कर दिया, जिसके बाद प्राप्त शिकायत के आलोक में मामले की जांच की गयी. इसमें तिवारी दोषी पाये गये.
मध्याह्न भोजन में हुई थी फर्जी निकासी
सुपौल में जिला शिक्षा अधीक्षक सह अनुमंडल शिक्षा पदाधिकारी के पद पर कार्यरत रहने के दौरान श्रीनिवास चंद्र तिवारी द्वारा मध्याह्न भोजन योजना मद का वित्तीय वर्ष 2004-05 में सुपौल कोषागार से 02 करोड़ 17 लाख 05 हजार 750 रु पये की फर्जी निकासी कोषागार की मिलीभगत से की गयी थी. मामले को उजागर करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता विद्यापुरी सुपौल निवासी अनिल कुमार सिंह ने 15 सितंबर 2010 को सुपौल के तत्कालीन जिला पदाधिकारी कुमार रवि को विस्तृत साक्ष्य के साथ लिखित आवेदन दे कर जांच का अनुरोध किया था. जिला पदाधिकारी कुमार रवि ने मामले को गंभीरता से लेते हुए अपने गोपनीय शाखा के पत्रांक 1765-2 दिनांक 16 सितंबर के माध्यम से जिला शिक्षा पदाधिकारी सुपौल को श्री सिंह के आवेदन में वर्णित तथ्यों की अविलंब जांच कर अपने मंतव्य के साथ जांच प्रतिवेदन उपलब्ध कराने का आदेश दिया था. तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी ने आरोप को जांचोपरांत सही पाते हुए जांच प्रतिवेदन डीएम को समर्पित किया था, लेकिन इस मामले में श्री तिवारी के विरुद्ध कार्रवाई नहीं हुई.
143 के विरुद्ध हैं गंभीर आरोप
टॉपर घोटाले में गिरफ्तार बिहार शिक्षा बोर्ड के पूर्व सचिव श्रीनिवास चंद्र तिवारी सहित बिहार शिक्षा सेवा के 143 अधिकारियों पदाधिकारियों पर बीएड डिग्री घोटाला, अवैध नियुक्ति, भ्रष्टाचार, सरकारी राशि का गबन सहित कई अन्य गंभीर मामलों में सालों से विभागीय कार्यवाही लंबित है. मामले का खुलासा सूचना का अधिकार के तहत हुआ है. विद्यापुरी सुपौल निवासी सामाजिक कार्यकर्ता अनिल कुमार सिंह को लोक सूचना पदाधिकारी सह उप निदेशक मानव संसाधन विकास विभाग बिहार, पटना द्वारा अपने कार्यालय पत्रांक 6 78 दिनांक 27 जून 2011 के द्वारा दी गयी जानकारी में बताया गया है कि वर्तमान में बिहार शिक्षा सेवा के कार्यरत व सेवानिवृत्त 143 पदाधिकारियों के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही चल रही है. उपलब्ध सूचना में अधिकारियों के विरुद्ध बीएड डिग्री घोटाला, अवैध रूप से शिक्षकों की नियुक्ति, मध्याह्न भोजन योजना में अनियमितता, निगरानी अन्वेषण ब्यूरो द्वारा गिरफ्तार किया जाना, भ्रष्टाचार, फर्जी निकासी, आय से अधिक संपत्ति, अनुकंपा के आधार पर नियम के विरुद्ध नियुक्ति सहित अन्य कई गंभीर आरोप का उल्लेख किया गया है. श्रीनिवास चंद्र तिवारी पर बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के सचिव रहते हुए नियम की अनदेखी कर वित्तीय अनियमितता सहित कई गंभीर आरोप हैं. अध्यक्ष संस्कृत शिक्षा बोर्ड पटना के पत्रांक 2845 दिनांक 22 सितंबर 2010 द्वारा श्री तिवारी पर विभिन्न आरोपों से संबंधित प्रपत्र क भी गठित किया गया था.
दायर हुई थी जनहित याचिका
पूर्व बोर्ड सचिव श्रीनिवास चंद्र तिवारी के सुपौल पदस्थापन के दौरान उनके क्रियाकलापों व भ्रष्टाचार को लेकर हाइकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गयी थी. सहरसा के अधिवक्ता विपिन कुमार सिंह द्वारा दायर लोकहित याचिका पर पटना उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति नागेंद्र राय एवं न्यायमूर्ति एमएल भीशा की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए माध्यमिक शिक्षा सचिव को जांच कर कार्रवाई करने का आदेश दिया था. याचिका का टोकन संख्या 7575/2005 था. याचिका में आरोप लगाया गया था कि श्री तिवारी ने वैशाली जिले में हुई आठवीं परीक्षा की कॉपी का इस्तेमाल सुपौल जिले में किया. अनुकंपा की नौकरी में अनियमितता बरती गयी. जिले में प्राइमरी व मिडिल स्कूल के लिए खरीद की गयी सामग्री की राशि का भुगतान आपूर्तिकर्ता के नाम नहीं कर अपने खाते में किया गया. वैशाली में जिला शिक्षा पदाधिकारी सह जिला शिक्षा अधीक्षक के पद पर रहने के दौरान करोड़ों रुपये के अवैध निकासी का भी आरोप लगाया गया था. उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में जांच भी करायी गयी. इसमें कई मामले सत्य पाये गये, लेकिन कार्यवाही को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.
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