मधुबनी। सूबे के मुखिया नीतीश कुमार शिक्षा व्यवस्था में सुधार के चाहे कितने भी दावे कर लें लेकिन हकीकत कुछ और ही है। मधुबनी जिले के झंझारपुर प्रखंड के रुपौली गांव का राजकीय मध्य विद्यालय इस अव्यवस्था और शिक्षा की बदहाली का सबसे सटीक उदाहरण है।
ऐसा नहीं है कि इस विद्यालय के पास संसाधन नहीं हैं लेकिन यहां किसी को शिक्षा और विद्यालय का उद्देश्य ही पता नहीं है। शिक्षक के साथ-साथ प्रधानाध्यापक की मनमानी ऐसी की स्कूल का मजाक बना कर रख दिया।
महीने में सिर्फ 15 दिन खुलता है :
रुपौली गांव की यह विद्यालय जहां विद्यालय भवन के साथ-साथ सभी संसाधन उपलब्ध हैं पर विद्यालय के प्रधानाध्यापक और शिक्षकों की मनमानी के कारण यह विद्यालय महीने में मात्र 15 से 20 दिन ही खुलता है और खुलने के बावजूद भी शिक्षक नदारत रहते हैं। इस विद्यालय में 750 विद्यार्थी एवं 14 शिक्षक पदस्थापित हैं पर शिक्षकों की अनुपस्थिति के कारण बच्चे भी स्कूल नहीं आते।
जब विद्यालय पहुंची मीडिया :
इन समस्याओं को लेकर कुछ पूर्व ही छात्रों ने हंगामा भी किया था। छात्रों और उनके परिजनों की शिकायत पे जब मीडिया पहुंची तो इस विद्यालय में एक भी छात्र मौजूद नहीं था। छात्र-छात्राओं के लिए चलने वाली मिड डे मील योजना में भारी लूट मची थी। और शिक्षक के नाम पर 4 शिक्षक उपस्थित थे।
शिक्षकों की बंदर बांट :
विद्यार्थीयों के नाम पर मिड डे मील योजना के पैसे बंदरबांट किया जा रहा है। रसोइया उर्मिला देवी ने बताई की 35 किलो के हिसाब से 2 बार में 70 किलो चावल प्रतिदिन बनाया जाता है। रसोइया माला देवी ने बताया कि 400 बच्चे प्रतिदिन खाते हैं। ये हैरानी की बात है कि जब विद्यालय में एक भी बच्चा नहीं तो खाने के लिए 400 बच्चे कहां से आते हैं।
क्या बोले अधिकारी :
वहीं जब इस मामले पर BDO रूपेंद्र कुमार झा से पूछा गया तो उन्होंने बताया पहले भी इस विद्यालय की शिकायतें कई बार आ चुकी हैं। जांच किया गया था फिर शिकायतें आई हैं। फिर से जांच कर मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी।
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ऐसा नहीं है कि इस विद्यालय के पास संसाधन नहीं हैं लेकिन यहां किसी को शिक्षा और विद्यालय का उद्देश्य ही पता नहीं है। शिक्षक के साथ-साथ प्रधानाध्यापक की मनमानी ऐसी की स्कूल का मजाक बना कर रख दिया।
महीने में सिर्फ 15 दिन खुलता है :
रुपौली गांव की यह विद्यालय जहां विद्यालय भवन के साथ-साथ सभी संसाधन उपलब्ध हैं पर विद्यालय के प्रधानाध्यापक और शिक्षकों की मनमानी के कारण यह विद्यालय महीने में मात्र 15 से 20 दिन ही खुलता है और खुलने के बावजूद भी शिक्षक नदारत रहते हैं। इस विद्यालय में 750 विद्यार्थी एवं 14 शिक्षक पदस्थापित हैं पर शिक्षकों की अनुपस्थिति के कारण बच्चे भी स्कूल नहीं आते।
जब विद्यालय पहुंची मीडिया :
इन समस्याओं को लेकर कुछ पूर्व ही छात्रों ने हंगामा भी किया था। छात्रों और उनके परिजनों की शिकायत पे जब मीडिया पहुंची तो इस विद्यालय में एक भी छात्र मौजूद नहीं था। छात्र-छात्राओं के लिए चलने वाली मिड डे मील योजना में भारी लूट मची थी। और शिक्षक के नाम पर 4 शिक्षक उपस्थित थे।
शिक्षकों की बंदर बांट :
विद्यार्थीयों के नाम पर मिड डे मील योजना के पैसे बंदरबांट किया जा रहा है। रसोइया उर्मिला देवी ने बताई की 35 किलो के हिसाब से 2 बार में 70 किलो चावल प्रतिदिन बनाया जाता है। रसोइया माला देवी ने बताया कि 400 बच्चे प्रतिदिन खाते हैं। ये हैरानी की बात है कि जब विद्यालय में एक भी बच्चा नहीं तो खाने के लिए 400 बच्चे कहां से आते हैं।
क्या बोले अधिकारी :
वहीं जब इस मामले पर BDO रूपेंद्र कुमार झा से पूछा गया तो उन्होंने बताया पहले भी इस विद्यालय की शिकायतें कई बार आ चुकी हैं। जांच किया गया था फिर शिकायतें आई हैं। फिर से जांच कर मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी।
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