न शिक्षक, न नामांकन, बस परीक्षा देते हैं

वीआर काॅलेज की महिमा :  हसन वारिस जांच कमेटी की रिपोर्ट और समिति के पास कॉलेज के डेटा में कई अंतर  पटना : इंटर की परीक्षा देने के लिए कॉलेज से संपर्क करें और परीक्षा में शामिल हों. न ही नामांकन लेने की जरूरत और न ही पढ़ने की और क्लास करने का झंझट. बस परीक्षा फाॅर्म भरें और इंटर की परीक्षा में शामिल हो जायें. बिना नामांकन के लिए परीक्षा देने और दिलवाने का खेल वीआर काॅलेज, कीरतपुर, वैशाली में हर साल होता हैै. सैकड़ों छात्र सीधे काॅलेज से इंटर की परीक्षा फाॅर्म भरते हैं.
 
पास करवाने की भी जिम्मेवारी कॉलेज की ही होती है. हाल में कॉलेज के लिए बनाये गये हसन वारिस जांच कमिटी की रिपोर्ट की माने तो कॉलेज के पास शिक्षकों की संख्या का कोई डाटा नहीं है. ना ही शिक्षको के बहाली को लेकर कोई जानकारी मिली. नामांकन का कोई प्रक्रिया यहां पर फॉलो नहीं होता है. बस यहां पर  परीक्षार्थी की संख्या ही जांच कमिटी को दिया गया. 
 
 अब तक नहीं हुआ कोई जांच 
 
वी आर कॉलेज, कीरतपुर, वैशाली को 1996 के आसपास ही मान्यता दिया गया था. इस कॉलेज की मान्यता पर कोई जांच भी इंटर काउंसिल की ओर से नहीं करवाया गया है. जब भी कॉलेज विवाद में आया तो तात्कालिक अध्यक्ष द्वारा उस रिजल्ट की जांच जरूर हुई, लेकिन कॉलेज की मान्यता पर कोई प्रश्न चिन्ह नहीं लगा. 2002 से 2005 तक रहे अध्यक्ष नागेश्वर प्रसाद शर्मा ने बताया कि 2005 में इंटर की परीक्षा में इस काॅलेज का फर्जीवाड़ा सामने आयी थी. जब 477 परीक्षार्थी इंटर साइंस की परीक्षा में शामिल हुए और इसमें से 473  इंटर की परीक्षा प्रथम श्रेणी से पास कर गये.  जांच के बाद रिजल्ट को ठीक किया गया. 
 
कागज पर चलती है मान्यता की सारी प्रक्रिया : वीआर कॉलेज, वैशाली का इंफ्रास्ट्रक्चर देखकर लगता है कि समिति बस कागजों तक ही मान्यता की प्रक्रिया पूरी करती है. जहां हसन वारिस जांच कमिटी जब काॅलेज कैंपस में गयी तो उन्हें कॉलेज में कमरा के अलावा कुछ नहीं मिला. ना तो शिक्षक दिखे और ना ही नामांकन की प्रक्रिया की कोई जानकारी मिली. 
 
पंजीयन हुआ नहीं, स्टूडेंट्स हो गये शामिल : वीआर काॅलेज, वैशाली से कितने छात्र का हर साल इंटर की परीक्षा के लिए पंजीयन होते हैं, इसकी कोई जानकारी नहीं है. हसन वारिस जांच कमिटी के अनुसार इंटर की परीक्षा में शामिल होने वाले परीक्षार्थी की संख्या तो कॉलेज के पास होता है. लेकिन इंटर की परीक्षा के लिए कितने छात्र पंजीकृत हुए, इसकी कोई जानकारी कॉलेज के पास से नहीं मिला. जांच कमिटी की ओर से पांच सालों का पंजीकृत छात्रों का डाटा मांगा गया, लेकिन कॉलेज ने नहीं दिया. 
 
ये बोले
 
इस कॉलेज के इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर जांच कमिटी बनायी गयी थी. जांच में कॉलेज ने ना तो शिक्षकों की जानकारी दिया, न ही शिक्षकों को मिलने वाली सैलरी के बारे में कुछ बताया. इसके अलावा काॅलेज में नामांकन की क्या प्रक्रिया है, इसकी भी कोई जानकारी नहीं है. बस परीक्षा में शामिल होने वाले परीक्षार्थी की संख्या दी गयी. 
हसन वारिस, अध्यक्ष, जांच कमिटी

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