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जिले में 16 हजार से अधिक मैट्रिक परीक्षार्थी हुए फेल

कैमूर । परीक्षा मे कदाचार रोकने का सीधा प्रभाव जिले में इस बार मैट्रिक के रिजल्ट पर दिखा है। शिक्षा विभाग को बिहार बोर्ड से मिले आंकड़े चौकाने वाले हैं। जिले में 16 हजार से अधिक परीक्षार्थी परीक्षा में फेल हुए हैं। 24 हजार से अधिक परीक्षार्थियों में मात्र एक तिहाई हीं पास हुए हैं।
ज्ञात हो कि मैट्रिक का रिजल्ट गत 28 मई को प्रकाशित हुआ था। जिसका डिटेल्स हाल हीं में शिक्षा विभाग को प्राप्त हुआ है।
शिक्षाविभाग से मिली जानकारी के अनुसार कैमूर जिले में वार्षिक परीक्षा मैट्रिक 2016 के लिए कुल 25875 छात्र-छात्राएं नामांकित हुए थे। जिसमें से 25612 छात्र-छात्राएं परीक्षा में शामिल हुए। परीक्षा में शामिल हुए छात्र-छात्राओं में से केवल 8926 छात्र-छात्राएं विभिन्न श्रेणी में उत्तीर्ण होकर मैट्रिक की परीक्षा पास किया। जबकि 16682 छात्र-छात्राएं परीक्षा में अनुत्तीर्ण रहे। जिसमें मात्र 2391 परीक्षार्थी प्रथम श्रेणी से उतीर्ण हुए। जबकि द्वितीय श्रेणी से पास होने वालों की संख्या 4869 रही। वहीं 1666 परीक्षार्थी थर्ड डिविजन से पास हुए। गत वर्ष अनुसार वर्ष 2015 के मैट्रिक परीक्षा में कैमूर जिला का परीक्षा परिणाम साठ प्रतिशत रहा था। जबकि वर्ष 2016 की मैट्रिक परीक्षा में कैमूर जिला का परीक्षा फल 34.85 प्रतिशत रहा।
उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं की स्थिति -
श्रेणी - छात्र - छात्रा
प्रथम श्रेणी - 1589 - 802
द्वितीय श्रेणी - 2970 - 1899
तृतीय श्रेणी - 908 - 758
फेल - 7674 - 9008
इंसेट
माध्यमिक शिक्षा पर लगा प्रश्न चिन्ह
जासं भभुआ (कैमूर): बिहार विद्यालय परीक्षा समिति 2016 के मैट्रिक के परिणाम घोषित होते ही जिले के 112 विद्यालयों के माध्यम से संचालित हो रही माध्यमिक शिक्षा पर प्रश्न चिन्ह खड़ा हो गया है। अभिभावकों की माने तो सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों की कमी की वजह से माध्यमिक शिक्षा का स्तर दिनों दिन गिरता जा रहा है। शिक्षकों के अभाव में विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को प्राइवेट ट्यूशन पढ़ कर परीक्षा की वैतरणी पार करना मजबूरी बनी हुई है। अभिभावकों की माने तो 2016 मैट्रिक का परीक्षा परिणाम बीते वर्ष की अपेक्षा काफी कम है। साथ ही सरकार द्वारा इस वर्ष परीक्षा को कदाचार मुक्त संपन्न कराये जाने के लिए ठोस प्रयास किये गये थे। जिससे बिना पढ़ाई परीक्षा पास करने वाले छात्र-छात्राओं को भी असफलता का मुंह देखना पड़ा है। अभिभावकों व छात्रों ने कदाचार मुक्त परीक्षा संपन्न कराये जाने के सरकार के कदम की सराहना भी की है। परंतु अभिभावकों का कहना है कि गुणात्मक शिक्षा में सकारात्मक सुधार तभी होगा जब विद्यालयों में विषयवार शिक्षकों की नियुक्ति का प्रबंध सरकार द्वारा मुक्कमल तौर पर कराया जाए। ज्ञात हो कि परीक्षा के पूर्व स्पेशल क्लास का संचालन भी विद्यालयों में शिक्षकों के अभाव में नहीं हो पाया था।
क्या कहते हैं डीईओ
शैक्षणिक व्यवस्था को चुस्त-दुरूस्त करने के लिए विद्यालयों के शैक्षणिक माहौल को ठीक किया जाएगा। शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए उच्च अधिकारियों को लिखा जाएगा।
रामराज प्रसाद, डीईओ
कैमूर

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