इंटर रिजल्ट घोटाला : दामाद, बेटे के साले व स्टोरकीपर के संग लालकेश्वर ने खेला खेल

जांच में पूर्व बोर्ड अध्यक्ष के िखलाफ िमले अहम सबूत
पटना : इंटर रिजल्ट घोटाले में बिहार बोर्ड (बिहार विद्यालय परीक्षा समिति) के पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह के अलावा तीन अन्य लोग भी मुख्य रूप से शामिल हैं. ये तीन लोग विकास उर्फ डब्ल्यू, विकास कुमार और विवेक हैं. ये तीनों फरार हैं.  इसमें डब्ल्यू लालकेश्वर प्रसाद सिंह के बड़े बेटे का साला है, जबकि विवेक उनका इकलौता दामाद है. विवेक सर्टिफिकेट और मार्कशीट की छपाई का ठेका लेनेवाला सबसे प्रमुख व्यक्ति है. तीसरा व्यक्ति विकास कुमार बिहार बोर्ड में स्टोरकीपर है. विकास  लालकेश्वर के लिए लाइजनिंग का काम करता था. उसकी पहचान बोर्ड कार्यालय के प्रमुख लाइजनर के रूप में थी.
 
सूत्रों के अनुसार, विकास कुमार बिहार बोर्ड का पुराना स्टाफ है और काफी समय से यहां हर तरह की सेटिंग-गेटिंग में माहिर है. परीक्षा में कॉपी की सेटिंग करनी हो या यहां अन्य किसी तरह के ठेके या टेंडर की सेटिंग करनी हो, इसमें विकास को महारत हासिल है. वह यहां अवैध तरीके के काम को दिलाने का माध्यम था.  डब्ल्यू के साथ विकास की अच्छी-खासी सांठगांठ थी, जिसके माध्यम से यह काफी कम समय में अध्यक्ष का करीबी बन गया. वीआर कॉलेज, कीरपुर भगवानपुर, वैशाली के प्राचार्य डॉ अमित कुमार उर्फ बच्चा राय को विकास ही पूरे सिस्टम में घुसाया था. यानी अध्यक्ष का करीबी बनाया और टॉपर्स घोटाले को अंजाम देने में अहम भूमिका निभायी. 
 
एक बेटे का साला, तो दूसरा दामाद
 
पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह का दामाद विवेक ही वह शख्स है, जिसने सर्टिफिकेट और मार्कशीट छापने का पूरा ठेका लिया था. सूत्रों के मुताबिक यह काम जिस कंपनी को मिला है, वह है तो बेंगलुरु की, लेकिन इसमें इसमें विवेक की हिस्सेदारी काफी बड़ी है.  सूत्र यह भी बताते हैं कि सर्टिफिकेट और मार्कशीट में अंक चढ़ाने के नाम पर भी बड़े स्तर पर घपलेबाजी हुई है.
 
टैबलेशन शीट पर अंक बदल कर इसके आधार पर मार्कशीट में भी अंक बदल दिये जाते हैं. फिर इसे प्रिंट कर दिया जाता है. प्रिंट होने के बाद इसकी फिर से कॉपी से क्रॉस वेरिफिकेशन नहीं होने से यह गड़बड़ी सामने नहीं आ पाती है. प्राप्त सूचना के अनुसार, बड़ी संख्या में लोगों से पैसे लेकर उन्हें ‘फर्स्ट क्लास’ दे दिया गया है. 
 
पहले निजी पीए बना डब्ल्यू
 
लालकेश्वर सिंह ने जब से अध्यक्ष का पद संभाला, तब से ही डब्ल्यू उनका निजी पीए बना हुआ था. डब्ल्यू ही वह व्यक्ति था, जो किसी सेटिंग या लेन-देन को अंतिम रूप देता था. इसके बाद ही वह काम अध्यक्ष की तरफ से ‘ओके’ किया जाता था. डब्ल्यू के साथ स्टोरकीपर विकास कुमार खासतौर से सहयोग करता था. विकास की नियुक्ति अनुकंपा के आधार पर हुई है. 
 
लेकिन, उसकी जितनी तनख्वाह है, उससे कहीं ज्यादा महंगा उसका रहन-सहन है. महंगी घड़ी और गाड़ी हमेशा उसके पास रहती है. ब्रांडेड कपड़े में हमेशा सजा-धजा रहनेवाले विकास को देख कर कोई नहीं कह सकता कि वह इतने साधारण से पद पर काम करनेवाला है. इन तीन सूत्रधारों के अलावा दो और लोग विनोद और पांडेयजी इसमें प्रमुख रूप से शामिल हैं. ये दोनों इनके सहयोगी हैं.
 
एमयू के पूर्व वीसी प्रो अरुण कुमार का बेटा है विवेक
 
लालकेश्वर का दामाद विवेक कुमार मगध विवि के पूर्व वीसी प्रो अरुण कुमार सिन्हा का छोटा बेटा है. मगध विवि में प्राचार्य बहाली घोटाले के प्रो अरुण कुमार मुख्य अभियुक्तों में   हैं. यह मामला फिलहाल कोर्ट में विचाराधीन इस मामले में निगरानी ने उन्हें गिरफ्तार भी किया था. अपने पिता के समय से ही वह विवि में ठेकेदारी और इस तरह के अन्य धांधलियों में काफी संलिप्त रहा है. इसी अनुभव के आधार पर उसने बोर्ड ऑफिस में भी जम कर धांधली की.
 
राजदेव राय िडग्री कॉलेज के छह कमरों का ताला तोड़ कर ली गयी तलाशी, सील
 
वैशाली के डीइओ हिरासत में, गिरफ्तार पांच आरोपितों को भेजा गया जेल
 
पटना/हाजीपुर. एसआइटी ने शुक्रवार की शाम वैशाली के डीइओ सत्यनारायण प्रसाद को हिरासत में  ले लिया. डीइओ को उनके कार्यालय से ही उठाया गया.  हिरासत में लिये जाने के बाद उन्हें हाजीपुर सदर थाने में रखा गया है. इधर पटना के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ओमप्रकाश  द्वितीय के कोर्ट ने गिरफ्तार पांच आरोपितों को न्यायिक हिरासत  में 20 जून तक के लिए जेल भेज दिया. पुलिस पूछताछ के लिए उन्हें रिमांड पर  लेगी. इसके लिए वह कोर्ट में आवेदन करेगी. जिन आरोपितों को  जेल भेजा गया, उनमें मूल्यांकन केंद्र ब्याज हाइस्कूल, राजेंद्रनगर के  प्राचार्य विशेश्वर प्रसाद यादव व शिक्षक सह संयोजक संजीव कुमार सुमन,  परीक्षा केंद्र जीए इंटर स्कूल, हाजीपुर की प्राचार्या शैल कुमारी, बिहार बोर्ड  के प्रशाखा पदाधिकारी शंभूनाथ दास व सहायक रंजीत कुमार मिश्रा शामिल हैं.
 
इस  बीच एसआइटी ने शुक्रवार को भी हाजीपुर में बच्चा राय के आवास और एक रिश्तेदार के घर पर छापेमारी की. इस दौरान घर की देखभाल करनेवाले दो लोगों को हिरासत  में ले लिया गया. इसके पहले पटना के डीएसपी ऑपरेशन अनुपम कुमार के  नेतृत्व में एसआइटी ने वीआर कॉलेस परिसर पहुंच कर राजदेव  राय डिग्री कॉलेज खंड की जांच की. इस दौरान कॉलेज के छह कमरों का ताला  तोड़ कर उसकी तलाशी ली गयी. कार्यालय और अन्य कमरे से बड़ी संख्या में  महत्वपूर्ण दस्तावेज, अंकपत्र, पासबुक, चेकबुक और कई अन्य कागजात को जब्त  किया गया. कॉलेज के कमरे को खंगालने के बाद पुलिस दल ने पुन: सभी कमरों को  सील कर दिया.
 
लेिकन अब तक लालकेश्वर व बच्चा राय को नहीं पकड़ पायी पटना पुलिस
 
पटना . बिहार बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह व वीआर कॉलेज के प्राचार्य बच्चा राय को पुलिस अब तक पकड़ नहीं पायी है. पटना पुलिस की बनी चार टीमों ने शुक्रवार को भी पटना से लेकर वैशाली तक कई ठिकानों पर छापेमारी की, लेकिन वे हाथ नहीं आये. पुलिस की एक टीम ने पटना में बहादुरपुर फ्रेंडस कॉलोनी स्थित लालेकश्वर के आलीशान मकान में छापेमारी की. लेकिन, पुलिस को वहां कोई नहीं मिला.
 
पुलिस बैरंग लौट गयी. दूसरी ओर जमशेदपुर स्थित बच्चा राय की ससुराल में भी पुलिस ने छापेमारी की. लेकिन, वहां भी वह नहीं मिला.  पुलिस ने लालेश्वर व उनकी पत्नी पूर्व विधायक उषा सिन्हा के मोबाइल पर संपर्क का प्रयास किया, तो दोनों के ही मोबाइल बंद मिले. बच्चा राय का भी मोबाइल फोन भी स्विच ऑफ है. पुलिस सूत्रों का कहना है कि दोनों के मोबाइल पटना में ही स्विच ऑफ हुए, क्योंकि ऑफ होने से पूर्व उनका लोकशन पटना में ही था.
 
एसएसपी मनु महाराज ने शुक्रवार को सिटी एसपी चंदन कुमार कुशवाहा व विधि-व्यवस्था डीएसपी डाॅ मो शिबली नोमानी के साथ बैठक की और आवश्यक रणनीति बनायी. इसके बाद देर रात भी दोनों को पकड़ने के लिए छापेमारी की गयी.  एसएसपी मनु महाराज ने बताया कि दोनों को पकड़ने के लिए छापेमारी की जा रही है. उन्होंने बताया कि इस मामले में पुलिस को काफी साक्ष्य हाथ लगे हैं और कई लोगों के नाम भी धीरे-धीरे सामने आ रहे हैं.
 
सख्ती : सभी वित्तरहित कॉलेजों की होगी जांच  
 
पटना. राज्य के करीब 825 वित्तरहित इंटर कॉलेज और स्थापना की अनुमति प्राप्त संस्थानों की जांच की जायेगी. शिक्षा विभाग ने   बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को सभी कॉलेजों की जांच करने को कहा है. जांच की शुरुआत पहले पांच साल के रिजल्ट के आधार पर की जायेगी. इसमें जिन कॉलेजों का रिजल्ट औसत से बहुत ज्यादा बेहतर है, उनकी जांच बिहार बोर्ड 
 
करायेगा. सूत्रों की मानें, तो ऐसे 25 वित्तरहित कॉलेजों का चयन किया गया है, जहां रिजल्ट औसत से बेहतर है. उनकी जांच में कुछ भी गड़बड़ी मिली, तो उनकी संबद्धता रद्द कर दी जायेगी. इसके बाद वैसे सभी वित्तरहित इंटर कॉलेज और स्थापना की अनुमति प्राप्त संस्थान, जिन्हें बिहार बोर्ड से प्रस्वीकृति मिली हुई है, उनकी जांच की जायेगी. 
 
ये संस्थान निर्धारित मापदंडों का पालन कर रहे हैं या नहीं, उनके यहां बिल्डिंग है या नहीं, छात्र-छात्राएं हैं कि नहीं, पढ़ाई होती है या नहीं, पुस्तकालय व प्रयोगशाला है या नहीं, उसकी जांच करेगी. जांच टीम को अगर कॉलेज निर्धारित मापदंडों का पालन करते हुए नहीं पाये गये, तो उनकी मान्यता खत्म करने की वह अनुशंसा करेंगे. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ऐसे संस्थानों का जांच संबंधित जिले के डीइओ-डीपीओ-बीइओ से करवायेगी. इन अधिकारियों द्वारा दी गयी रिपोर्ट की री-चेकिंग भी होगी और बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की टीम औचक निरीक्षण करेगी. अगर जांच टीम की रिपोर्ट सही रही, तो ठीक, नहीं तो रिपोर्ट देनेवाली जांच टीम पर भी कार्रवाई की जायेगी. 
 
पूर्व अध्यक्ष के काल में संबद्ध किये गये कॉलेजों की भी जांच
 
शिक्षा विभाग के सूत्रों की मानें, तो बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह द्वारा पिछले दो सालों में 125 इंटर कॉलेजों को संबंद्धता दी गयी. सरकार उनकी भी जांच करायेगी. अगर उसमें गड़बड़ी मिली और वे निर्धारित मापदंडों पर खरे नहीं उतरे, तो उनकी भी संबंद्धता खत्म कर दी जायेगी.
 
टॉपर घोटाले की वजह से पड़ी जरूरत
 
इंटर टॉपर घोटाले की वजह से वित्तरहित व स्थानापना की अनुमति प्राप्त संस्थानों की जांच कराने का निर्णय लिया गया है. विभाग को भी लगातार यह सूचना मिल रही थी कि वित्तरहित कॉलेजों में न क्लास होती है और न ही पढ़ाई होती है, बावजूद इसके वहां का रिजल्ट बड़े कॉलेजों से आगे रहता है. विभाग को यह भी शिकायत मिली है कि कॉलेजों में एडमिशन तो हो जाता है और छात्र सीधे परीक्षा देने ही आते हैं. ऐसे कॉलेज सर्टिफिकेट देने का काम कर रहे हैं.
 
राहत : बोर्ड को स्क्रूटनी के लिए पांच दिनों का समय  
 
पटना. जेइइ मेन में सफल परीक्षार्थियों की  स्क्रूटनी का रिजल्ट भेजने के लिए सीबीएसइ ने बिहार बोर्ड को पांच दिनों  का समय दिया है. बोर्ड अब स्क्रूटनी का रिजल्ट 15 जून तक सीबीएसइ को भेज  सकता है. शुक्रवार को दिल्ली में सीबीएसइ  की ओर से आयोजित बैठक में यह निर्णय लिया गया. बैठक में देश भर के स्टेट  बोर्ड के प्रतिनिधि शामिल हुए थे. 
 
सीबीएसइ ने जेइइ मेन में सफल  परीक्षार्थियों की स्क्रूटनी का रिजल्ट 10 जून तक भेजने का निर्देश दिया  था. लेकिन, बिहार बोर्ड अब तक सिर्फ 200 ऐसे परीक्षार्थियों की स्क्रूटनी कर पाया है. अब भी 1752 परीक्षार्थियों की स्क्रूटनी का रिजल्ट पेंडिंग है.
 
िरपोर्ट : बच्चा की फरारी में दोनों  थानेदार दोषी  
 
पटना. वैशाली जिले के भगवानपुर और गोरौल के थानेदारों को एसआइटी को सहयोग नहीं देने व बच्चा राय के भगाने के मामले में दोषी पाया गया है. मुजफ्फरपुर के आइजी सुनील कुमार शुक्रवार को अपनी जांच रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय को सौंपी. रिपोर्ट में दोनों थानेदारों  पर सख्त कार्रवाई करने की अनुशंसा की गयी है. शनिवार तक इन पर कार्रवाई होनी तय मानी जा रही है.

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