पटना। 11वीं एवं 12वीं के रसायन शास्त्र का सिलेबस काफी कठिन है। जबकि
एक ही शिक्षकों को रसायन विज्ञान की सभी यूनिट को पढ़ाते हैं। शिक्षकों को
भी सभी यूनिट में कुशल नहीं होने के कारण बच्चों में जिज्ञासा नहीं बढ़ा
पाते है। इससे बच्चों को सोचने का समय नहीं मिलता और वह इससे भागने लगते
हैं।
ऐसे में वर्तमान समय में स्थिति यह है कि भारत में 22 फीसद ही साइंस के क्षेत्र में उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। जबकि विकसित देशों में यह स्थिति 70-80 फीसद हैं। पटना विश्वविद्यालय के रसायन शास्त्र विभाग में गुरुवार से दो दिवसीय यूजीसी प्रायोजित नेशनल सिम्पोजियम को संबोधित करते हुए ये बातें आरटीओयू इलाहाबाद के पूर्व कुलपति प्रो. एके बख्शी ने कहीं। उन्होंने कहा कि ई-लर्निग से शिक्षकों की कमी दूर हो जाएगी।
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत चल रहे ई-लर्निग कार्यक्रम से छात्रों को भी आसानी होगी, उन्हें मोबाइल पर ही सबकुछ उपलब्ध हो जाएगा। देश के विषय विशेषज्ञ शिक्षकों की जानकारी से सभी अवगत हो सकेंगे। ई-लर्निग से ई-टैक्स, वीडियो, लर्न मोड़ वैल्यू एडिशन तथा सेल्फ लर्निग व सेल्फ असेसमेंट की सुविधा मिलेगी। वर्तमान समय में पीजी विषयों में ई-पाठशाला की सुविधा आरंभ हो गई है। आधा दर्जन विषयों में महत्वपूर्ण लेक्चर को इंटरनेट से जोड़ दिए गए हैं।
रसायन शास्त्र को पर्यावरण फ्रेंडली बनाने की जरूरत
कोलकाता से आएं प्रो. बीसी रानू ने बताया कि रसायन को पर्यावरण फ्रेंडली बनाने की जरूरत है। ग्रीन सिंस्थेसिस में वेस्टेज की कोई गुंजाइश नहीं होती है। डाई सल्फाइड और डाई सेलेनाइट में टॉक्सिन मेटल और सॉल्वेंट का प्रयोग किया जाता है। जो काफी खतरनाक है। ऐसे में पर्यावरण फ्रेंडली रसायन का उद्देश्य है कि वह हानिकारक कारक केमिकल्स से बचना है। ऐसे में इन विषयों को ध्यान रखने की जरूरत है।
रसायन में शोध की जरूरत
पटना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वाईसी सिम्हाद्रि ने कहा कि आज रसायन शास्त्र जिंदगी के लिए कई महत्वपूर्ण अंग है। इसके सामने कई विषय पड़े है, जिस पर और शोध की जरूरत है। प्रदूषण, पर्यावरण पर काफी और शोध की जरूरत है। प्रतिकुलपति डॉ. रंजीत कुमार वर्मा ने कहा कि यूजीसी पाठ्यक्रम आधारित पीजी की पुस्तकें इंटरनेट पर उपलब्ध हैं। छात्र इसे निश्शुल्क पढ़ सकते है। इससे पूर्व स्वागत भाषण प्रो. एके घोष ने दिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. बीबी चांद, धन्यवाद ज्ञापन प्राचार्य प्रो. यू के सिन्हा ने दिया। मौके पर डीन डॉ. शिव जतन ठाकुर, प्रो. रजनीश कुमार, डॉ. आरके प्रसाद, डॉ. अभय कुमार भी थे।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
ऐसे में वर्तमान समय में स्थिति यह है कि भारत में 22 फीसद ही साइंस के क्षेत्र में उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। जबकि विकसित देशों में यह स्थिति 70-80 फीसद हैं। पटना विश्वविद्यालय के रसायन शास्त्र विभाग में गुरुवार से दो दिवसीय यूजीसी प्रायोजित नेशनल सिम्पोजियम को संबोधित करते हुए ये बातें आरटीओयू इलाहाबाद के पूर्व कुलपति प्रो. एके बख्शी ने कहीं। उन्होंने कहा कि ई-लर्निग से शिक्षकों की कमी दूर हो जाएगी।
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत चल रहे ई-लर्निग कार्यक्रम से छात्रों को भी आसानी होगी, उन्हें मोबाइल पर ही सबकुछ उपलब्ध हो जाएगा। देश के विषय विशेषज्ञ शिक्षकों की जानकारी से सभी अवगत हो सकेंगे। ई-लर्निग से ई-टैक्स, वीडियो, लर्न मोड़ वैल्यू एडिशन तथा सेल्फ लर्निग व सेल्फ असेसमेंट की सुविधा मिलेगी। वर्तमान समय में पीजी विषयों में ई-पाठशाला की सुविधा आरंभ हो गई है। आधा दर्जन विषयों में महत्वपूर्ण लेक्चर को इंटरनेट से जोड़ दिए गए हैं।
रसायन शास्त्र को पर्यावरण फ्रेंडली बनाने की जरूरत
कोलकाता से आएं प्रो. बीसी रानू ने बताया कि रसायन को पर्यावरण फ्रेंडली बनाने की जरूरत है। ग्रीन सिंस्थेसिस में वेस्टेज की कोई गुंजाइश नहीं होती है। डाई सल्फाइड और डाई सेलेनाइट में टॉक्सिन मेटल और सॉल्वेंट का प्रयोग किया जाता है। जो काफी खतरनाक है। ऐसे में पर्यावरण फ्रेंडली रसायन का उद्देश्य है कि वह हानिकारक कारक केमिकल्स से बचना है। ऐसे में इन विषयों को ध्यान रखने की जरूरत है।
रसायन में शोध की जरूरत
पटना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वाईसी सिम्हाद्रि ने कहा कि आज रसायन शास्त्र जिंदगी के लिए कई महत्वपूर्ण अंग है। इसके सामने कई विषय पड़े है, जिस पर और शोध की जरूरत है। प्रदूषण, पर्यावरण पर काफी और शोध की जरूरत है। प्रतिकुलपति डॉ. रंजीत कुमार वर्मा ने कहा कि यूजीसी पाठ्यक्रम आधारित पीजी की पुस्तकें इंटरनेट पर उपलब्ध हैं। छात्र इसे निश्शुल्क पढ़ सकते है। इससे पूर्व स्वागत भाषण प्रो. एके घोष ने दिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. बीबी चांद, धन्यवाद ज्ञापन प्राचार्य प्रो. यू के सिन्हा ने दिया। मौके पर डीन डॉ. शिव जतन ठाकुर, प्रो. रजनीश कुमार, डॉ. आरके प्रसाद, डॉ. अभय कुमार भी थे।
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