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शराब के बाद अब गुटखा-तंबाकू के खिलाफ चलेगा अभियान, नीति के लिए बैठक

पटना .शराब के बाद अब राज्य में गुटखे, तंबाकू, पान मसाला और जर्दा की बिक्री पर सख्ती बढ़ेगी। गुरुवार को मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह की अध्यक्षता में तंबाकू उत्पादों पर नियंत्रण के लिए राज्य नीति तैयार करने पर बैठक हुई। इसमें तय हुआ कि दो माह बाद से पूरी तैयारी के साथ गुटखा, सुगंधित सुपारी, पान मसाला और जर्दा के उत्पादन, बिक्री व भंडारण पर रोक लगाने के लिए सघन अभियान चलाया जाएगा।

इन उत्पादों पर वर्ष 2012 से ही रोक है लेकिन प्रशासन की ढिलाई की वजह से यह बिहार में हर जगह उपलब्ध हैं। मुख्य सचिव ने कहा कि लोगों को तंबाकू और इससे जुड़े उत्पादों का सेवन नहीं करने के लिए जागरूक किया जाएगा। सिर्फ कानून को सख्त बना देने से समस्या का समाधान नहीं होने वाला है। स्कूलों में सूचना संपर्क विभाग की ओर से डॉक्यूमेंट्री दिखाई जाएगी। बिहार में गुटखा पर प्रतिबंध लगाया गया तो कई कंपनियों ने ब्रांड ही बदल दिया। ऐसी कंपनियों के खिलाफ सख्ती की जाएगी।
पहले की तुलना में बीड़ी-सिगरेट पीने वालों की संख्या घटी है लेकिन युवाओं में गुटखा का बढ़ता प्रचलन चिंता का विषय है। स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव आरके.महाजन ने कहा कि दो माह बाद से पूरी तैयारी के साथ गुटखा, सुगंधित सुपारी, पान मसाला और जर्दा के उत्पादन, बिक्री व भंडारण पर रोक लगाने के लिए सघन अभियान चलाया जाएगा। बैठक में डीजीपी पी.के.ठाकुर, विकास आयुक्त शिशिर सिन्हा, डॉ. एल.स्वस्तिचरण, उद्योग सचिव डॉ. एस.सिद्धार्थ और राज्य स्वास्थ्य समिति के निदेशक जीतेंद्र श्रीवास्तव मौजूद थे।
किसानों को तंबाकू की खेती छोड़ने के लिए किया जाएगा प्रेरित
राज्य में किसानों को तंबाकू की खेती छोड़ने के लिए प्रेरित किया जाएगा। मुख्य सचिव ने कहा कि किसानों को वैकल्पिक खेती करने को कहा जाएगा। अनेक ऐसी फसलें हैं जिनकी खेती करके तंबाकू से अधिक कमाई की जा सकती है। बेगूसराय और समस्तीपुर के बीच सड़क बनने के बाद से उस इलाके में तंबाकू की खेती में कमी आई है।
शिक्षकों के बीड़ी, सिगरेट और गुटखा सेवन पर रोक
युवा पीढ़ी को बीड़ी, सिगरेट, गुटखा, सुगंधित सुपारी, पान मसाला और जर्दा के सेवन से बचाने के लिए शिक्षकों के इन पदार्थों के सेवन पर रोक लगेगी। मुख्य सचिव ने शिक्षा विभाग को इस संबंध में कार्रवाई करने का आदेश दिया। मुख्य सचिव ने कहा कि बच्चे स्कूल में अपने शिक्षक को ऐसे पदार्थों का सेवन करते नहीं देखेंगे तो वे इससे दूर रहेंगे। मिडिल और हाई स्कूलों में जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।

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