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हासिये पर शैक्षणिक व्यवस्था, निश्चिंत पड़ा विभाग

सुपौल। प्रखंड के अधिकाश प्राथमिक व मध्य विद्यालयों की शैक्षणिक व्यवस्था हासिए पर है। पदस्थापन के अनुपात में शिक्षकोपस्थिति की भारी कमी एवं सतत निगरानी व लचर प्रबंधन की वजह से पठनीय व्यवस्था चौपट हो रही है। शिक्षकों को जहा एमडीएम व हाजरी बनाने से मतलब रह गया है।
वहीं छात्रों का अधिकार मध्याह्न भोजन एवं छात्रवृति व पोशाक राशि तक सीमित कर दिया गया है। यहा तक कि विद्यालय पहुंचने वाले छात्रों की हाजरी भी नियमित रूप से नहीं बन पाती है। बने भी कैसे जब वर्गवार शिक्षक मौजूद ही नहीं होंगे तो इक्के-दुक्के मौजूद शिक्षक का तो कार्य दिवस हाजरी बनाने में ही खप जायेगा। उपर से एमडीएम के लिए चूल्हे चौकी की चिंता अलग से। नतीजा है कि दो चार पैसे वाले अभिभावक गाव गाव तक फैल चुके कन्वेंट संस्कृति पर ही निर्भर होकर रह गये हैं। गौर करने वाली बात है कि फि र सरकारी
स्कूल का मुंह उन्हीं परिवार के बच्चे देखते हैं जिनकी गरीबी व बेचारगी
उन्हें पेट से उपर सोचने ही नहीं देती। ऐसे में यदि गरीबों के बच्चों को समुचित शिक्षा से वंचित रहना पड़े तो कतिपय समाज व राष्ट्र के लिए न्यायोचित नहीं है। मंगलवार को राह से गुजरते सड़क किनारे ऐसे चंद
विद्यालयों पर नजर पड़ी जिसकी स्थिति चौकाने वाली थी। जिक्र करें तो
उत्क्रमित मध्य विद्यालय नियामतपट्टी में 215 नामाकन के विरूद्ध सभी वर्गो के मात्र 34 छात्रों की उपस्थिति थी। वर्ग एक से पाच तक का संयुक्त वर्ग संचालन हो रहा था। जिसमें वर्ग एक के दो, दो के दो, तीन के चार, चार के एक एवं कक्षा पाच के छह छात्रों की मौजूदगी का भार एक मात्र शिक्षक उठा रहे थे। वहीं वर्ग छह से आठ तक के संयुक्त कक्षा में वर्ग छह के तीन, सात के तीन एवं आठ के तीन बच्चे मौजूद थे। पाच शिक्षकों के पदस्थापन में चार
शिक्षकों की मौजूदगी अवश्य थी। लेकिन प्रधान एमडीएम की व्यवस्था में मस्त तो एक अन्य सहायक परिसर में भ्रमणशील थे। विकट स्थिति तो चुन्नी-चरणे पथ के मध्य प्रा वि कटही शर्मा टोला की थी। जहा बीते एक पखवाड़े से चूल्हा ठंडा पड़ा था और दर्जनों बच्चे शिक्षकों की अनुपस्थिति में
रसोई के आगे शोर मचा रहे थे। ढूंढने पर तत्काल एकमात्र शिक्षक मिले
जो वर्ग कक्ष के कोने में खिड़की पर पैर रख नींद का आनंद ले रहे थे।
छात्रों की सूचना पर प्रधान रमेश कुमार रमण कहीं से पहुंचे। जिन्होंने
आगंतुक देख बच्चों को फटकार वर्ग कक्ष तक भेजा। चौकाने वाली बात यह थी कि एमडीएम बंद रहने के बावजूद विद्यालय के नामंाकित 334 छात्रों में 206 की उपस्थिति थी। मगर हैरानी की बात यह कि पदस्थापित आधा दर्जन शिक्षकों में मात्र दो ही मौजूद थे सो 'पढो रे ' की संस्कृति पर अमल हो रहा था। वित्तीय वर्ष 2012-13 की राशि से निर्माणाधीन रसोई गृह पूर्णता की बाट जोह रहा है तो भवन के पुराने वर्ग कक्ष में चापाकल लगा कर रसोई के तौर पर उपयोग हो रहा है। पूछने पर प्रधान श्री रमण ने बीते छह अप्रैल से चावल के अभाव में एमडीएम बंद रहने की बात कही। वहीं एमडीएम प्रभारी मनोज कुमार ने बताया
कि बीते सात जनवरी को कार्यक्रम पदाधिकारी एसएसए राजेंद्र राजू द्वारा

विद्यालय के निरीक्षण में खाद्यान्न हिसाब में अनियमितता पायी गयी थी जिस कारण आवंटन पर रोक लगायी गयी थी। कहा कि एक दो दिनों के भीतर विद्यालय को चावल की आपूर्ति कर दी जायेगी।
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