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नियुक्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी बेअसर

मधेपुरा। माध्यमिक शिक्षा विभाग में 29 वर्ष से सहायक शिक्षकों की नियुक्ति का मामला अटका हुआ है। नियुक्ति को लेकर शिक्षा विभाग टाल मटोल की नीति पर काम कर रही है। जबकि माध्यमिक शिक्षा विभाग के निर्देश पर विद्यालय सेवा बोर्ड के द्वारा 1608 अभ्यर्थी का चयन हाई स्कूलों में बहाल करने के लिए किया गया था। लेकिन चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति के मामले को टालने की कोशिश विभागीय स्तर पर होती रही है।
बहाली को लेकर हाई कोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट ने भी कई बार राज्य सरकार एवं माध्यमिक शिक्षा विभाग के वरीय अधिकारी को फटकार लगाई। लेकिन विभाग के अधिकारी कोर्ट के निर्देश के बावजूद लगातार इसकी अनदेखी करते रहे। हद तो तब हो गई जब माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने कोर्ट में ही गलत हलफनामा पेश कर दिया।
जानकारी के अनुसार 6 जनवरी 2016 को माध्यमिक शिक्षा विभाग ने हाई कोर्ट में दिए हलफनामा में 321 सहायक शिक्षकों को नियुक्त कर लिए जाने की बात कही। जबकि पूर्व में शिक्षा विभाग ने 312 सहायक शिक्षकों का पद रिक्त रहने की कह रही थी। ऐसे में किस आधार पर 9 अन्य लोगों की नियुक्ति कर ली गई। वहीं बचे हुए 152 अभ्यर्थी के नियुक्ति को लेकर शिक्षा कोर्ट को बरगलाने की कोशिश कर रही है। जबकि चयनित अभ्यर्थियों ने कई बार शिक्षा विभाग के अधिकारियों का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराया है। मालूम हो कि वित्त विभाग से मार्च 2015 में विज्ञान गणित विषय में मात्र 312 पद का सृजन कराया गया था। वहीं पद सृजित किए बगैर कैसे 9 अन्य लोगों को सहायक शिक्षक के पद पर बहाल कर दिया गया। ऐसे में माध्यमिक शिक्षा विभाग के कार्यशैली पर भी प्रश्न चिन्ह खड़ा हो रहा है। इधर

विज्ञान गणित विषय के लिए चयनित अभ्यर्थी रूपनारायण यादव ने मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री एवं माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक को पत्र लिख कर बचे हुए चयनित अभ्यर्थी को बहाल करने की गुहार लगाई है। उन्होंने सीएम को लिखे पत्र में कहा है कि राज्य सरकार ने जब अभ्यर्थी का चयन बहाल करने के लिए किया था तो अब उसमे टाल मटोल क्यों कर रही है।
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