मधेपुरा। केंद्र सरकार की मजदूर नीतियों के खिलाफ गुरुवार को मजदूर संघ
की नौ से अधिक इकाईयों ने समाहरणालय के समक्ष प्रदर्शन व विरोध मार्च किया।
प्रदर्शन में ऐटक, इंटक, सीटू, एक्टू, एआईयूटीयूसी, एसएमएस, टीयूसीसी,
यूटीयूसी, एआईएमयू मजदूर संगठनों ने एक साथ शामिल होकर अपना शक्ति प्रदर्शन
किया।
क्या है मामला : केंद्र सरकार के स्टार्ट अप इंडिया नीति के खिलाफ मजदूर संघ ने अपनी 12 सूत्री मांगें सरकार के समक्ष रखी भी जिसमें महंगाई, बेरोजगारी, रिक्त पदों पर नियुक्ति, नियुक्ति पर लगी रोक को वापस लेने, सामाजिक सुरक्षा स्कीम, भूमि अधिग्रहण व अध्यादेश वापस लेने, रक्षा, रेल, बीमा व पेंशन में विदेशी निवेश को बंद करने, ठेकाकरण पर रोक लगाने, समान काम-समान वेतन भत्ता लागू करने, यूनियन का 45 दिनों के अंदर रजिस्ट्रेशन करने, न्यूनतम मजदूरी व न्यूनतम पेंशन तय करने जैसे ज्वलंत मुद्दे शामिल हैं। साथ ही संघ का कहना है कि सरकार ने अभी तक उन मुद्दो पर ध्यान नहीं दिया है।
क्या है सरकार पर आरोप : मजदूर संघ का आरोप है कि केंद्र सरकार ने स्टार्ट-अप इंडिया की घोषणा कर औद्योगिक घरानों को औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947, ट्रेड यूनियन अधिनियम 1926, भवन एवं अन्य सनिर्माण मजदूर अधिनियम 1996, औद्योगिक नियोजन 1946, प्रवासी मजदूर अधिनियम 1979, उपादान भुगतान अधिनियम 1972, संविदा कामगार, ईपीएफ अधिनियम 1952 के तहत लाभ पहुंचाया है। आरोप यह भी है कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 में सुधार के नाम पर किसानों की जमीन जबरदस्ती छीनने के प्रयास में असफल सरकार ने एक के बाद एक तीन अध्यादेश जारी कर राज्यों के जमीन छीनने का प्रशासकीय अधिकार दे दिया है।
इन तमाम तथ्यों पर मजदूर संघ के राज्य कार्यकारिणी सदस्य प्रमोद प्रभाकर ने कहा कि केन्द्र सरकार मजदूरों के प्रति उदासीनता बरत रही है। जिला मंत्री विद्याधर मुखिया ने कहा कि आज आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका, आशा वर्कर, रसोइया, वित्त रहित विद्यालयों के शिक्षकों एवं अन्य मजदूरों का शोषण पहले की तरह बदस्तूर जारी है। ऐटक के जिला संयोजक विरेन्द्र नारायण सिंह ने कहा कि सरकार की मजदूर नीति वादाखिलाफी है। इसके विरोध में हमने राष्ट्रीय स्तर पर पर अखिल भारतीय प्रतिरोध दिवस मनाने का संकल्प लिया है। मौके पर दिलीप पटेल, रमण कुमार, मोहन सिंह, सनाउल्लाह, अनिलाल यादव, हीरालाल पासवान, गणेश मानव, शैलेन्द्र कुमार, दुर्गा देवी, रूबैदा खातुन, विश्वकर्मा जी, विरेन्द्र ठाकुर, नृपेन्द्र कृष्ण महतो, शत्रुघन शर्मा, हरेराम शर्मा, मु. जियाउल, वासुदेव शर्मा, रामचन्द्र शर्मा समेत अन्य मजदूर नेता शामिल हुए।

सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
क्या है मामला : केंद्र सरकार के स्टार्ट अप इंडिया नीति के खिलाफ मजदूर संघ ने अपनी 12 सूत्री मांगें सरकार के समक्ष रखी भी जिसमें महंगाई, बेरोजगारी, रिक्त पदों पर नियुक्ति, नियुक्ति पर लगी रोक को वापस लेने, सामाजिक सुरक्षा स्कीम, भूमि अधिग्रहण व अध्यादेश वापस लेने, रक्षा, रेल, बीमा व पेंशन में विदेशी निवेश को बंद करने, ठेकाकरण पर रोक लगाने, समान काम-समान वेतन भत्ता लागू करने, यूनियन का 45 दिनों के अंदर रजिस्ट्रेशन करने, न्यूनतम मजदूरी व न्यूनतम पेंशन तय करने जैसे ज्वलंत मुद्दे शामिल हैं। साथ ही संघ का कहना है कि सरकार ने अभी तक उन मुद्दो पर ध्यान नहीं दिया है।
क्या है सरकार पर आरोप : मजदूर संघ का आरोप है कि केंद्र सरकार ने स्टार्ट-अप इंडिया की घोषणा कर औद्योगिक घरानों को औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947, ट्रेड यूनियन अधिनियम 1926, भवन एवं अन्य सनिर्माण मजदूर अधिनियम 1996, औद्योगिक नियोजन 1946, प्रवासी मजदूर अधिनियम 1979, उपादान भुगतान अधिनियम 1972, संविदा कामगार, ईपीएफ अधिनियम 1952 के तहत लाभ पहुंचाया है। आरोप यह भी है कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 में सुधार के नाम पर किसानों की जमीन जबरदस्ती छीनने के प्रयास में असफल सरकार ने एक के बाद एक तीन अध्यादेश जारी कर राज्यों के जमीन छीनने का प्रशासकीय अधिकार दे दिया है।
इन तमाम तथ्यों पर मजदूर संघ के राज्य कार्यकारिणी सदस्य प्रमोद प्रभाकर ने कहा कि केन्द्र सरकार मजदूरों के प्रति उदासीनता बरत रही है। जिला मंत्री विद्याधर मुखिया ने कहा कि आज आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका, आशा वर्कर, रसोइया, वित्त रहित विद्यालयों के शिक्षकों एवं अन्य मजदूरों का शोषण पहले की तरह बदस्तूर जारी है। ऐटक के जिला संयोजक विरेन्द्र नारायण सिंह ने कहा कि सरकार की मजदूर नीति वादाखिलाफी है। इसके विरोध में हमने राष्ट्रीय स्तर पर पर अखिल भारतीय प्रतिरोध दिवस मनाने का संकल्प लिया है। मौके पर दिलीप पटेल, रमण कुमार, मोहन सिंह, सनाउल्लाह, अनिलाल यादव, हीरालाल पासवान, गणेश मानव, शैलेन्द्र कुमार, दुर्गा देवी, रूबैदा खातुन, विश्वकर्मा जी, विरेन्द्र ठाकुर, नृपेन्द्र कृष्ण महतो, शत्रुघन शर्मा, हरेराम शर्मा, मु. जियाउल, वासुदेव शर्मा, रामचन्द्र शर्मा समेत अन्य मजदूर नेता शामिल हुए।
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