बांका । फर्जीवाड़ा से शिक्षकों की बहाली का खेल बांका में काफी पुराना
है। नियोजित शिक्षकों की बात हो या नियमित की, फर्जी शिक्षकों की तादात अब
भी सैकड़ों में है। खास बात यह कि शिक्षा माफियाओं की मिलीभगत से इन्हें
विभागीय संरक्षण भी प्राप्त है।
अब जब मामला उजागर हुआ है तो शिक्षा विभाग के बाबूओं के हाथ पांव फूल गये हैं। इस मामले में किसकी गर्दन फंस जाएगी, इस डर से कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है। सच्चाई यह भी कि ऐसे शिक्षकों का मामला सामने पर कई बार जांच हुई, लेकिन संचिका को माफिया की ताकत कार्रवाई के पहले ही जमींदोज कर दे रहे हैं। वैसे बांका में पिछले तीन साल के दौरान दो दर्जन से अधिक फर्जी शिक्षकों को विभागीय जांच के बाद पकड़े जाने पर सेवा से बर्खास्त करते प्राथमिकी भी दर्ज करायी जा चुकी है। इस सबके बावजूद फर्जी शिक्षक अपना ¨पड छोड़ने को तैयार नहीं है। अपनी कुर्सी बचाये रखने के लिए ऐसे शिक्षक विभागीय कार्यालय को भी नियमित रूप से खाद-पानी डालते रहे हैं। दैनिक जागरण में खबर प्रकाशित होने और मामला डीएम तक पहुंचने के बाद अबकी माफियाओं की परेशानी ज्यादा बढ़ी हुई है।
हर साल लाखों लाख की वसूली
बांका के विभिन्न विद्यालयों में तैनात ऐसे फर्जी शिक्षकों ने विभागीय अधिकारी और कर्मी सलाना लाखों की वसूली करते हैं। जानकारों के मुताबिक हर फर्जी शिक्षक की जानकारी विभागीय कार्यालय को रहती है। यह विभिन्न प्रकार के प्राप्त आवेदन और इसकी जांच से उजागर होता रहा है। फिर संबंधित कार्यालय ही ऐसे शिक्षकों से साल के 12 महीनों में से दो महीने का वेतन अधिकारियों के मैनेज में वसूल लेता है। सभी शिक्षकों से प्राप्त इसकी राशि लाखों लाख में पहुंच जाती है। इस बीच अधिकारियों के तबादला लगा रहने से मलाई का अधिकांश हिस्सा बाबू के पास ही छूट जाता है।
फर्जी की जांच के बाद दब रहा मामला
विभागीय सूत्रों के मुताबिक आधा दर्जन से अधिक फर्जी शिक्षकों का मामला विभाग के पास लंबित है। जांच के बाद भी संचिका को अंतिम मुकाम नहीं मिलता है। कन्या मध्य विद्यालय कुशाहा शंभूगंज के शिक्षक रोहित यादव डीपीओ की जांच में फर्जी मिले। इसके बाद भी उन्हें नहीं हटाया गया। नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्र जांच में भी पिछली बार दो दर्जन से अधिक फर्जी शिक्षकों का मामला सामने आया। इसमें एक दो ने तो डर से नौकरी छोड़ी, लेकिन बांकी विभागीय के संरक्षण में फल फूल रहे हैं। कोल्हासार प्राथमिक विद्यालय कलाहंडीहा के शिक्षक चंद्रमोहन यादव को फर्जी होने हटाया गया। लेकिन, वे फिर भंडारकोला स्कूल में नौकरी करने लगे।
वैसे बांका में स्थानांतरण के अलावा नियोजन से लेकर 34 हजार तक में फर्जी शिक्षकों की कमी नहीं है। हाल यह कि निगरानी जांच भी इसके मकड़जाल को साल भर में सुलझाने में कामयाब नहीं हो सका है।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
अब जब मामला उजागर हुआ है तो शिक्षा विभाग के बाबूओं के हाथ पांव फूल गये हैं। इस मामले में किसकी गर्दन फंस जाएगी, इस डर से कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है। सच्चाई यह भी कि ऐसे शिक्षकों का मामला सामने पर कई बार जांच हुई, लेकिन संचिका को माफिया की ताकत कार्रवाई के पहले ही जमींदोज कर दे रहे हैं। वैसे बांका में पिछले तीन साल के दौरान दो दर्जन से अधिक फर्जी शिक्षकों को विभागीय जांच के बाद पकड़े जाने पर सेवा से बर्खास्त करते प्राथमिकी भी दर्ज करायी जा चुकी है। इस सबके बावजूद फर्जी शिक्षक अपना ¨पड छोड़ने को तैयार नहीं है। अपनी कुर्सी बचाये रखने के लिए ऐसे शिक्षक विभागीय कार्यालय को भी नियमित रूप से खाद-पानी डालते रहे हैं। दैनिक जागरण में खबर प्रकाशित होने और मामला डीएम तक पहुंचने के बाद अबकी माफियाओं की परेशानी ज्यादा बढ़ी हुई है।
हर साल लाखों लाख की वसूली
बांका के विभिन्न विद्यालयों में तैनात ऐसे फर्जी शिक्षकों ने विभागीय अधिकारी और कर्मी सलाना लाखों की वसूली करते हैं। जानकारों के मुताबिक हर फर्जी शिक्षक की जानकारी विभागीय कार्यालय को रहती है। यह विभिन्न प्रकार के प्राप्त आवेदन और इसकी जांच से उजागर होता रहा है। फिर संबंधित कार्यालय ही ऐसे शिक्षकों से साल के 12 महीनों में से दो महीने का वेतन अधिकारियों के मैनेज में वसूल लेता है। सभी शिक्षकों से प्राप्त इसकी राशि लाखों लाख में पहुंच जाती है। इस बीच अधिकारियों के तबादला लगा रहने से मलाई का अधिकांश हिस्सा बाबू के पास ही छूट जाता है।
फर्जी की जांच के बाद दब रहा मामला
विभागीय सूत्रों के मुताबिक आधा दर्जन से अधिक फर्जी शिक्षकों का मामला विभाग के पास लंबित है। जांच के बाद भी संचिका को अंतिम मुकाम नहीं मिलता है। कन्या मध्य विद्यालय कुशाहा शंभूगंज के शिक्षक रोहित यादव डीपीओ की जांच में फर्जी मिले। इसके बाद भी उन्हें नहीं हटाया गया। नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्र जांच में भी पिछली बार दो दर्जन से अधिक फर्जी शिक्षकों का मामला सामने आया। इसमें एक दो ने तो डर से नौकरी छोड़ी, लेकिन बांकी विभागीय के संरक्षण में फल फूल रहे हैं। कोल्हासार प्राथमिक विद्यालय कलाहंडीहा के शिक्षक चंद्रमोहन यादव को फर्जी होने हटाया गया। लेकिन, वे फिर भंडारकोला स्कूल में नौकरी करने लगे।
वैसे बांका में स्थानांतरण के अलावा नियोजन से लेकर 34 हजार तक में फर्जी शिक्षकों की कमी नहीं है। हाल यह कि निगरानी जांच भी इसके मकड़जाल को साल भर में सुलझाने में कामयाब नहीं हो सका है।
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