बांका। शिक्षक बहाली का फर्जीवाड़ा जांचने में जुटी निगरानी टीम को बांका में परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। फर्जी शिक्षकों को बचाने के लिए शिक्षा माफिया का गिरोह बांका में सक्रिय हो गया है। इससे जांच अधिक लंबा खींच सकता है। दरअसल, फर्जी शिक्षक और फर्जी बहाली को जांचने के लिए निगरानी को जितनी कागजात की जरूरत है इसमें अधिकांश पंचायत नियोजन समिति बाधा उत्पन्न कर रहा है।
आदेश के बाद जब पंचायत सचिवों से शिक्षक बहाली का मूल आवेदन और मेधा सूची मांगी जा रही है तो अधिकांश पंचायत इससे हाथ खड़ा कर रहे हैं। खास कर आवेदन के नाम पर उनका पसीना उतर रहा है। पिछले एक सप्ताह से इसको लेकर पंचायतों में खलबली मची है। किसी नियोजन समिति का मूल आवेदन चूहा कतर गया तो किसी पंचायत के पंचायत सचिव का तबादला हो गया। हाल यह है कि कुछ पंचायत तो फर्जी शिक्षकों को बचाने के लिए उसके द्वारा जमा मूल प्रमाण पत्र लौटाने तक से इंकार कर रही है। इससे असली प्रमाण पत्र वाले शिक्षकों की भी मुसीबत बढ़ गयी है।
प्रथम व द्वितीय चरण की बहाली में गड़बड़ी
नीतीश कुमार की सरकार बनने के बाद 2006 में प्रथम चरण की शिक्षक बहाली शुरू हुई। फिर 2008 में बहाली का दूसरा चरण पूरा हुआ। दोनों चरणों की बहाली में पंचायतों की खूब चली। मुखिया जी और पंचायत सचिव ने जिसे चाहा गुरुजी बना दिया। मेधा सूची बनाने से आवेदन बदलने और बहाली पंजी तक बदलने में उन्हें कोई देरी नहीं लगती थी। निश्चित रूप से इसमें पांच दर्जन से अधिक पंचायतों में जम कर धांधली हुई। अब जब जांच की बात सामने आ रही है, तो ऐसे पंचायतों का ही आवेदन और मेधा सूची गायब हो रहा है।
टीईटी में भी फर्जीवाड़ा
इतना ही 2011 में शिक्षक पात्रता परीक्षा आयोजित कर इस पर 2013 से बहाली शुरू हुई। शुरूआती दौर में तो कुछ असली आवेदन पर बहाल भी हुए। पर बाद में टीईटी का कमाल देख 2014 की बहाली में टीईटी में फर्जीवाड़ा शुरू हो गया। पंचायत और प्रखंड में इसकी जांच नहीं होने से स्कैन वाले टीईटी से भी बड़ी संख्या में लोग शिक्षक बन बैठे। जानकारी के अनुसार हाल के महीने में बांका प्रखंड में बहाल अधिकांश प्राइमरी और मिडिल स्कूल शिक्षक का टीईटी फर्जी है। जांच के बाद इनका भी राज खुलने वाला है।
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क्या कहते हैं अधिकारी
जिला नोडल पदाधिकारी डीपीओ स्थापना अब्दुल मोकित ने बताया कि निगरानी टीम जांच के लिए शिक्षक का सत्यापित प्रमाण पत्र के साथ मेधा सूची और मूल आवेदन जमा ले रहा है। उच्च माध्यमिक और माध्यमिक शिक्षक का कागजात उपलब्ध हो गया है। प्रखंड नियोजन में इसकी खोज जारी है। लेकिन, कई पंचायतों से आवेदन नहीं मिलने की बात सामने आ रही है। निगरानी अधिकारी के मुताबिक कागजात नहीं देने वाले पंचायत या प्रखंड नियोजन के संबंधित अधिकारी को इसके लिए दोषी मानते हुए कानूनी कार्रवाई की जाएगी। जिला से 10 जून तक हर हाल में सभी कागजात टीम को उपलब्ध करा देना है।
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आदेश के बाद जब पंचायत सचिवों से शिक्षक बहाली का मूल आवेदन और मेधा सूची मांगी जा रही है तो अधिकांश पंचायत इससे हाथ खड़ा कर रहे हैं। खास कर आवेदन के नाम पर उनका पसीना उतर रहा है। पिछले एक सप्ताह से इसको लेकर पंचायतों में खलबली मची है। किसी नियोजन समिति का मूल आवेदन चूहा कतर गया तो किसी पंचायत के पंचायत सचिव का तबादला हो गया। हाल यह है कि कुछ पंचायत तो फर्जी शिक्षकों को बचाने के लिए उसके द्वारा जमा मूल प्रमाण पत्र लौटाने तक से इंकार कर रही है। इससे असली प्रमाण पत्र वाले शिक्षकों की भी मुसीबत बढ़ गयी है।
प्रथम व द्वितीय चरण की बहाली में गड़बड़ी
नीतीश कुमार की सरकार बनने के बाद 2006 में प्रथम चरण की शिक्षक बहाली शुरू हुई। फिर 2008 में बहाली का दूसरा चरण पूरा हुआ। दोनों चरणों की बहाली में पंचायतों की खूब चली। मुखिया जी और पंचायत सचिव ने जिसे चाहा गुरुजी बना दिया। मेधा सूची बनाने से आवेदन बदलने और बहाली पंजी तक बदलने में उन्हें कोई देरी नहीं लगती थी। निश्चित रूप से इसमें पांच दर्जन से अधिक पंचायतों में जम कर धांधली हुई। अब जब जांच की बात सामने आ रही है, तो ऐसे पंचायतों का ही आवेदन और मेधा सूची गायब हो रहा है।
टीईटी में भी फर्जीवाड़ा
इतना ही 2011 में शिक्षक पात्रता परीक्षा आयोजित कर इस पर 2013 से बहाली शुरू हुई। शुरूआती दौर में तो कुछ असली आवेदन पर बहाल भी हुए। पर बाद में टीईटी का कमाल देख 2014 की बहाली में टीईटी में फर्जीवाड़ा शुरू हो गया। पंचायत और प्रखंड में इसकी जांच नहीं होने से स्कैन वाले टीईटी से भी बड़ी संख्या में लोग शिक्षक बन बैठे। जानकारी के अनुसार हाल के महीने में बांका प्रखंड में बहाल अधिकांश प्राइमरी और मिडिल स्कूल शिक्षक का टीईटी फर्जी है। जांच के बाद इनका भी राज खुलने वाला है।
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क्या कहते हैं अधिकारी
जिला नोडल पदाधिकारी डीपीओ स्थापना अब्दुल मोकित ने बताया कि निगरानी टीम जांच के लिए शिक्षक का सत्यापित प्रमाण पत्र के साथ मेधा सूची और मूल आवेदन जमा ले रहा है। उच्च माध्यमिक और माध्यमिक शिक्षक का कागजात उपलब्ध हो गया है। प्रखंड नियोजन में इसकी खोज जारी है। लेकिन, कई पंचायतों से आवेदन नहीं मिलने की बात सामने आ रही है। निगरानी अधिकारी के मुताबिक कागजात नहीं देने वाले पंचायत या प्रखंड नियोजन के संबंधित अधिकारी को इसके लिए दोषी मानते हुए कानूनी कार्रवाई की जाएगी। जिला से 10 जून तक हर हाल में सभी कागजात टीम को उपलब्ध करा देना है।
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