टीइटी में भी हुआ है जम कर फर्जीवाड़ा :
वर्ष 2011 में आयोजित टीइटी परीक्षा पास आवेदकों की बहाली में शिक्षक
नियोजन नियमावली 2012 के तहत बिहार में प्रथम बार लगभग नौ हजार नियोजन
इकाइयों की औपबंधिक व अंतिम मेधा सूचियां वेबसाइड पर जारी करने का आदेश
शिक्षा विभाग द्वारा दिया गया था. विभाग का यह भी निर्देश था कि जिस नियोजन
इकाई की मेधा सूची वेबसाइट पर नहीं अपलोड होगी, वहां का नियोजन अवैध होगा व
वहां के नियोजन को स्थगित माना जायेगा.
बावजूद इसके कई नियोजन इकाइयों ने वेबसाइट पर मेधा सूची जारी किये
बिना नियोजन की प्रक्रिया पूरी की. टीइटी के अंक पत्र को स्कैन कर भी
नियोजन करने की जानकारी नियोजन से वंचित अभ्यर्थी दे रहे हैं. वंचित
अभ्यर्थियों की मानें तो जब से बिहार बोर्ड की वेबसाइट पर से टीइटी रिजल्ट
का लिंक हटा है, जब से लेकर अब तक नियोजन कराने के लिये टीइटी के फर्जी
अंक पत्र धड़ल्ले से स्कैन करा कर संलगA किये गये हैं.
यही नहीं एक ही आवेदक ने एक साथ दर्जनों इकाइयों में आवेदन किया था,
लेकिन नियोजन अपनी पसंद की किसी एक जगह पर ही कर रहा है. फर्जीवाड़ा के
माहिर लोग इस वास्तविक आवेदक द्वारा अन्य जगहो पर आवेदन के साथ लगाये गये
प्रमाणपत्र को नियोजन इकाइयों से सेटिंग कर निकाल उसी वास्तविक आवेदक के
नाम पर किसी अन्य फर्जी व्यक्ति का नियोजन सुदूर अन्य नियोजन इकाइयों में
करा दिया. ऐसे में एक ही प्रमाण पत्र पर दो से तीन व्यक्तियों द्वारा
अलग-अलग नियोजन इकाइयों में नौकरी करने की बात सामने आ रही है. नियोजन
में फर्जी संस्थानों के प्रमाणपत्रों का खूब प्रयोग किया गया. खुद शिक्षा
विभाग के वरीय पदाधिकारी स्वीकार्य करते हुए कहते है कि ऐसे प्रमाणपत्रों
के जांच में देरी होने व सही समय पर कार्रवाई नहीं होने से फर्जीवाड़ा करने
वालों को बल मिला है.
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