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लोक शिक्षक के प्रमाणपत्र पर मिलता है 20 प्रतिशत का वेटेज : बिहार शिक्षक नियोजन Latest Updates


फर्जी संस्थानों के प्रमाणपत्रों का भी जम कर हुआ उपयोग
सीवान : शुक्रवार के अंक में फर्जीवाड़े की आंच में छूट रहे पसीने शीर्षक से खबर के प्रकाशन के बाद एक तरफ जहां फर्जी शिक्षक ों में हड़कंप मचा रहा, वही नियोजन से वंचित रह गये अभ्यर्थियों ने ‘प्रभात खबर’ से अपना दर्द साझा किया तथा उन बिंदुओं को भी उजागर किया, जहां से फर्जीवाड़े की जड़ का पता चलता है. आज के अंक में पढ़िए किन-किन बिंदुओं पर नियोजन इकाइयों सहित फर्जी अभ्यर्थियों ने झांसा देने का किया सफल प्रयास.
लोक शिक्षक के प्रमाणपत्र पर भी संदेह :
 
शिक्षा मित्र की बहाली तथा 2006 व 2008 के शिक्षक नियोजन से वंचित आवेदकों ने बताया कि आवेदन के समय नियोजन इकाइयों की मिलीभगत से फर्जी शैक्षणिक व प्रशैक्षणिक प्रमाणपत्र के साथ-साथ अपने चाहने वालों के नियोजन के लिए लोक शिक्षक के भी फर्जी प्रमाणपत्र का प्रयोग किया गया. इसका कारण मेधा सूची में लोक शिक्षक को 20 प्रतिशत का वेटेज देना था. इसमें मुखिया व पंचायत सचिवों द्वारा बड़े पैमाने पर धांधली की गयी.
 
जाति, निवास व विकलांगता प्रमाणपत्र भी संदेह के घेरे में : 2003 व 2005 के शिक्षा मित्र की बहाली में आरक्षण का गलत ढंग से लाभ लेने के लिए जाति, निवास व विकलांगता प्रमाण पत्र को भी मनोनुकू ल बनाकर पेश किया गया. इस संबंध में नियोजन से वंचित आवेदकों की बातों पर गौर करें तो संबंधित पंचायत नियोजन इकाई बहाल हुए शिक्षा मित्र द्वारा तत्कालीन समय में दिये गये जाति निवास और विकलांगता प्रमाणपत्र आरटीआइ से मांगने पर उपलब्ध नहीं कराने की बात कहती है. 
 
वहीं जिसके द्वारा उपलब्ध कराया भी जाता है, वह नियोजन के काफी बाद की तिथि का होता है. इससे नियोजन में फर्जीवाड़े की आशंका को बल मिलता है. वहीं 2006 व 2008 के नियोजन में बिहार का निवासी होना अनिवार्य था, जिसका लाभ लेने के लिये फर्जी निवास प्रमाण पत्र संलगA किया गया.

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