नियोजन इकाई से डरी वर्तमान सरकार
नियोजन इकाई पर कार्रवाई करने से बिहार सरकार इसलिए बचना चाहती है. क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती है कि इससे जुङे अध्यक्ष या सचिव व अन्य सदस्य किसी न किसी रूप में उस क्षेत्र विशेष के नेता हैं या अधिकारी हैं। अगर ये फंसते हैं तो इनके कारण वर्तमान सरकार की गर्दन भी फंस जाएगी और इसे वोट बैंक का जबर्दस्त नुकसान होगा. वरना नौ-दस हजार में अगर फर्जी शिक्षक भी पढ़ा ही रहे थे तब इनको ख्याल क्यों नही आया। वेतनमान देने मांग उठने लगी, तो इनकी प्रतिक्रया स्वरूप विद्रोही भावना जग गई। बिहार सरकार अच्छी तरह से जानती थी कि दबंग और धनी लोग ही इतने रूपये देकर नौकरी लेने का काम कर सकते है अथवा इस विधि से क्षेत्रीय या बङे कद के नेता, रिश्तेदार या हितैषी। जब इन लोगो का स्वार्थ सिद्ध होगा तो इनके श्रोतो से सरकार के लिए वोट बैंक बढ़ाने का काम आसान हो जाएगा, इसलिए सब जायज है।
नियोजन इकाई पर कार्रवाई करने से बिहार सरकार इसलिए बचना चाहती है. क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती है कि इससे जुङे अध्यक्ष या सचिव व अन्य सदस्य किसी न किसी रूप में उस क्षेत्र विशेष के नेता हैं या अधिकारी हैं। अगर ये फंसते हैं तो इनके कारण वर्तमान सरकार की गर्दन भी फंस जाएगी और इसे वोट बैंक का जबर्दस्त नुकसान होगा. वरना नौ-दस हजार में अगर फर्जी शिक्षक भी पढ़ा ही रहे थे तब इनको ख्याल क्यों नही आया। वेतनमान देने मांग उठने लगी, तो इनकी प्रतिक्रया स्वरूप विद्रोही भावना जग गई। बिहार सरकार अच्छी तरह से जानती थी कि दबंग और धनी लोग ही इतने रूपये देकर नौकरी लेने का काम कर सकते है अथवा इस विधि से क्षेत्रीय या बङे कद के नेता, रिश्तेदार या हितैषी। जब इन लोगो का स्वार्थ सिद्ध होगा तो इनके श्रोतो से सरकार के लिए वोट बैंक बढ़ाने का काम आसान हो जाएगा, इसलिए सब जायज है।