सुपौल:उच्च
न्यायालय द्वारा जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए 18 मई को एक आदेश पारित
किया गया. इसमें कहा गया था कि राज्य में 2006 से नियोजित शिक्षकों के
शैक्षणिक एवं प्रशिक्षण प्रमाणपत्रों की जांच निगरानी अन्वेषण द्वारा की
जायेगी. उच्च न्यायालय के इस आदेश के बाद जहां शिक्षा विभाग ने इस बाबत
तैयारी आरंभ कर दी है, वहीं फर्जी डिग्री पर कार्यरत शिक्षकों में खलबली
मची हुई है. कयास लगाये जा रहे हैं कि जिले में फिलहाल सैकड़ों फर्जी
शिक्षक तैनात हैं. गाज केवल फर्जी शिक्षकों पर ही नहीं गिरेगी, बल्कि इसके
लिए जिम्मेवार शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर भी कार्रवाई होनी तय है. इसी
फर्जीवाड़े की जांच के लिए निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की टीम सोमवार को सुपौल
पहुंच रही है.
होगी डिग्री की जांच : वर्ष 2006 से लेकर अब तक प्राथमिक, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में नियोजित शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाणपत्र, प्रशिक्षण प्रमाणपत्र, टीइटी प्रमाणपत्र एवं अन्य सभी प्रमाणपत्रों की जांच की जायेगी. वर्ष 2006 में बहाल शिक्षामित्र भी जांच के इस दायरे में होंगे. जिला स्तर पर प्रमाणपत्रों का सत्यापन किया जायेगा और फर्जी प्रमाणपत्र वाले शिक्षकों की सेवा समाप्त कर उनके विरुद्ध एफआइआर दर्ज करायी जायेगी और मानदेय की भी वसूली की जायेगी.
होगी डिग्री की जांच : वर्ष 2006 से लेकर अब तक प्राथमिक, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में नियोजित शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाणपत्र, प्रशिक्षण प्रमाणपत्र, टीइटी प्रमाणपत्र एवं अन्य सभी प्रमाणपत्रों की जांच की जायेगी. वर्ष 2006 में बहाल शिक्षामित्र भी जांच के इस दायरे में होंगे. जिला स्तर पर प्रमाणपत्रों का सत्यापन किया जायेगा और फर्जी प्रमाणपत्र वाले शिक्षकों की सेवा समाप्त कर उनके विरुद्ध एफआइआर दर्ज करायी जायेगी और मानदेय की भी वसूली की जायेगी.
डीपीओ स्थापना बने नोडल पदाधिकारी : निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के सहयोग
के लिए जिला स्तर पर नोडल पदाधिकारी के रूप में डीपीओ स्थापना दीप नारायण
यादव को मनोनीत किया गया है. उनके सहयोग के लिए कार्यक्रम पदाधिकारी
राघवेंद्र प्रताप सिंह को सहायक नोडल पदाधिकारी बनाया गया है. शिक्षा विभाग
के प्रधान सचिव आरके महाजन ने इस बाबत शुक्रवार को एक आदेश जारी किया है.
प्रत्येक शुक्रवार को प्रगति प्रतिवेदन प्राथमिक शिक्षा एवं माध्यमिक
शिक्षा निदेशक को भेजने का निर्देश नोडल पदाधिकारी को दिया गया है.
जिले में सैकड़ों फर्जी शिक्षक हैं बहाल
विगत एक दशक से जिले में फर्जी डिग्री के आधार पर शिक्षक की नौकरी
दिलाने का संगठित गिरोह कार्यरत है. मैट्रिक-इंटर से लेकर टीचर्स ट्रेनिंग
तक के प्रमाणपत्र और अंक पत्र गिरोह द्वारा उपलब्ध कराये जाते रहे हैं.
इसके अलावा दूसरे जिले में कार्यरत शिक्षकों के प्रमाणपत्र पर भी इस जिले
में नौकरी करने वालों की संख्या अच्छी-खासी है. वहीं टीइटी की अनिवार्यता
आरंभ होने के बाद फर्जी टीइटी प्रमाणपत्र भी गिरोह द्वारा धड़ल्ले से
उपलब्ध कराया गया है. खास बात यह है कि 2006 से अब तक किसी भी स्तर पर
नियोजित शिक्षकों के प्रमाणपत्र की जांच नहीं हुई है, जबकि प्रमाणपत्रों की
जांच बीइओ की जिम्मेवारी थी. ऐसे में जांच के दायरे में ना केवल फर्जी
शिक्षक आयेंगे, बल्कि विभाग के अधिकारी भी आयेंगे.
निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने मांगी सूचना
निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने अपनी कवायद तेज कर दी है. इस कड़ी में
ब्यूरो ने आम लोगों से आग्रह किया है कि यदि उनके पास जाली अथवा गलत
प्रमाणपत्र के आधार पर नियुक्त होने वाले शिक्षकों के बारे में कोई सूचना
हो, तो ब्यूरो के नियोजित शिक्षक जांच कोषांग को दें. कोषांग के प्रभारी
पदाधिकारी अपर पुलिस अधीक्षक राकेश कुमार सिन्हा हैं, जो कुछ माह पूर्व तक
जिले के अपर पुलिस अधीक्षक पद पर तैनात थे.
प्रधान सचिव के निर्देश के आलोक में सभी बीइओ को निगरानी जांच में
सहयोग के आदेश दिये गये हैं. सोमवार को निगरानी टीम के पहुंचने की संभावना
है.
मो जाहिद हुसैन, डीइओ
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