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Bihar Teacher Recruitment: बिहार में बेरोजगारी, फिर भी सीटें रह जाती हैं खाली, ग्राउंड रिपोर्ट में सामने आई सच्चाई

 दीनबंधु सिंह, सिवान

बिहार में 94 हजार पदों के लिए छठे चरण का प्राथमिक शिक्षक नियोजन चल रहा है। लेकिन नियोजन में हर जिले में बड़ी संख्या में सीटें खाली रह जा रही हैं। कहा जा रहा है कि बिहार में शिक्षक बनने के लिए योग्यता से अधिक किस्मत के साथ देने की जरूरत है। कुछ नियोजन इकाइयों में कम अंक वाले अभ्यर्थी बहाल हो रहे हैं। कहीं पर अधिक अंक होते हुए भी बहाली से वंचित होना पड़ रहा है। इन सबके बावजूद सीटें भी खाली रह जा रही हैं।

सीटों के खाली रहने की वजह योग्य अभ्यर्थियों की कमी नहीं बल्कि सरकार की नीति है। बिहार में एक पद पर सैकड़ों योग्य अभ्यर्थियों की नजरें टिकी रहती हैं। ऐसे में सीटों का खाली रह जाना नियोजन प्रक्रिया पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। सिवान में एनबीटी संवाददाता ने नियोजन इकाई से ग्राउंड रिपोर्टिंग की है। आपको बताते हैं सीटों कैसे रह जाती हैं खाली।

तीन सीटें, तीन उम्मीदवार फिर भी एक सीट खाली
सिवान के हुसैनगंज प्रखंड में विज्ञान-गणित विषय में सामान्य कोटे की महिला के लिए दो और EBC (इकोनॉमिकल बैकवर्ड क्लास) कोटा की महिला के लिए एक सीट थी। रिक्ति के मुताबिक, नियोजन समिति ने पहले सामान्य कोटे के लिए दो महिलाओं की काउंसलिंग की। सब कुछ ठीक होने पर महिलाओं का एकेडमिक प्रमाणपत्र जमा कर लिया गया।

ऐसे हो जाता है उलट फेर, फिर खाली रह जाती है सीट
इसके बाद EBC के एक सीट के लिए काउंसलिंग शुरू हुई। EBC कोटे से जो महिला अभ्यर्थी उपस्थित हुई, उसका अंक सामान्य कोटे की दोनों महिला अभ्यर्थियों से अधिक था। ऐसे में नियोजन इकाई ने EBC कोटे वाली महिला को सामान्य कोटे की सीट पर ले लिया। जिससे सामान्य कोटे की एक महिला को काउंसलिंग के बाद भी नियोजन से बाहर कर दिया गया। जबकि EBC महिला के सामान्य कोटे में आने से उसकी अपनी सीट रिक्त रह गई। कमोबेश यही स्थिति हर नियोजन इकाई की है। जिससे सीटें खाली रह जा रही हैं। जबकि योग्य अभ्यर्थी बहाली से वंचित हो रहे हैं।

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