छपरा। हिंदुस्तान प्रतिनिधि
शिक्षा विभाग से जुड़े करीब 300 शिक्षक व कर्मचारियों को लगभग तीन महीने से वेतन नहीं मिल रहा है । सिस्टम का दोष हो या लापरवाही लेकिन अब नौकरी करते हुए पैसे के लाले पड़ गए हैं। यह वैसे शिक्षक व कर्मचारी हैं
जिनका सैलेरी अकाउंट जिस बैंक में है उस बैंक का विलय दूसरे बैंक में हो गया है । स्वाभाविक है कि एक बैंक दूसरे बैंक में विलय होगा तो आईएफएससी कोड बदल जाएगा। नया कोड उपलब्ध कराने के बाद भी वेतन भुगतान शुरू नहीं हो सका है जिसकी वजह से बहुत ऐसे कर्मी व शिक्षक हैं जिनके यहां मरीज की दवा तक खरीदारी नहीं की जा रही है। मरीज परेशान हैं। घर में बेटे -बेटी की शादी से जुड़ी तैयारियां नहीं हो पा रही है। बच्चों का ट्यूशन फी नहीं दिया जा रहा है। दैनिक खर्च किसी तरह दुकानदार से उधार सामान लेकर चलाया जा रहा है। जब इस सम्बंध में स्थापना डीपीओ निशांत गुंजन से बात की गयी तो उनका कहना था कि सम्बंधित शिक्षक व कर्मियों के वेतन का विपत्र पास कर सीएफएमएस से छोड़ दिया गया था। आईएफएससी कोड बदलने के कारण उनका वेतन अटक गया। फिर ट्रेजरी से यूटीआर नम्बर मंगाकर पुन: वित्त विभाग को पटना भेजा ताकि पता चल सके कि सम्बंधित शिक्षक व कर्मियों का वेतन कहां फंसा है। थोड़ा और वक्त लग सकता है। शिक्षक व कर्मियों की परेशानी को महसूस कर रहा हूं। प्रयासरत हूं कि जल्द भुगतान हो जाये।डीएलएड शिक्षकों का भी रुका है वेतन भुगतान
शिक्षकों की डीएलएड की परीक्षा हुई थी। जिन शिक्षकों का किसी विषय में क्रॉस लगा उन्हें अप्रशिक्षित मानते हुए उनके वेतन भुगतान पर रोक लगा दी गई। बाद में ऐसे अप्रशिक्षित शिक्षक पटना हाई कोर्ट चले गए। कोर्ट ने विभाग के फैसले पर रोक लगा दी। बावजूद इसके ऐसे अप्रशिक्षित शिक्षकों का वेतन भुगतान बंद है, जबकि ऐसे शिक्षक नियमित अपनी ड्यूटी कर रहे हैं।
समय पर ईएमआई नहीं हो रहा जमा,दोहरी मार झेल रहे शिक्षक
सीएफएमएस वेतन प्रणाली लागू होने पर आवंटन मिलने में आसानी होने व वेतन ससमय मिलने की बात कही गयी थी परंतु इसके विपरीत हो रहा है । शिक्षकों के हमेशा वेतन के लाले पड़े रह हैं जिससे उनको परेशानी होती है। खासकर वैसे शिक्षकों पर असमय वेतन होने से मुसीबतों का पहाड़ टूट रहा है जिन्होंने बैंको से लोन ले रखा है। समय पर ईएमआई नहीं देने से दोहरा ब्याज देना पड़ता है। सीएफएमएस प्रणाली में भी आवंटन का आभाव व मिलने में देरी होने की बात कहकर कई- कई महीने तक वेतन बाधित रहता है।