मधेपुरा। सरकारी स्कूलों की मॉनिटरिग के लिए विद्यालय शिक्षा समिति का फिर से पुनर्गठन होगा। इसके लिए बिहार शिक्षा परियोजना ने डीपीओ एसएसए को पत्र जारी किया है। इसके तहत जिले के 1,564 प्राइमरी स्कूलों में विद्यालय शिक्षा समिति का गठन किया जाएगा।
मालूम हो कि बिहार राज के बच्चों को मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा संशोधित नियमावली 2013 के तहत तीन वर्षों के लिए गठित की गई थी। पत्र में कहा गया है कि जिले के प्राथमिक विद्यालय में जहां तीन साल का कार्यकाल पूरा हो चुका है या 30 जून तक होने वाला है, वहां विद्यालय कार्य को बनाए रखने के उद्देश्य से जून 21 तक विस्तारित कर देना है। पत्र में कहा गया है कि जहां शिक्षा समितियों ने तीन साल की अवधि पूरी कर ली है। वैसे सभी विद्यालयों में शिक्षा समिति के दोबारा गठन 31 जून तक कर लेना है। समिति में बच्चे की मां होंगी सचिव शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार पूर्व की भांति स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों की मां समिति की सचिव होंगी। विद्यालय शिक्षा समिति के अध्यक्ष वार्ड सदस्य होंगे। समिति के गठन की जिम्मेदारी संकुल समन्वयकों को दी गई है। शिक्षा समिति का गठन अभिभावकों की आमसभा बुला कर नियमानुसार किया जाएगा। इसकी सूचना निबंधक पदाधिकारी सह बीईओ को भी देना होगा। समिति के गठन में है आरक्षण का प्रावधान नई शिक्षा समिति में हेडमास्टर सदस्य होंगे। इसके अलावा नौ सदस्य भी होंगे। जिनके बच्चे स्कूल में पढ़ रहे हैं। समिति के सदस्यों के चुनाव में भी आरक्षण का प्रावधान है। नौ सदस्यों में पिछड़े वर्ग से दो, अत्यंत पिछड़ा वर्ग से दो, सामान्य वर्ग से दो व दिव्यांग बच्चों की एक मां शामिल होंगी। संबंधित पोषक क्षेत्र की जीविका दीदी भी इस समिति में शामिल होंगी। सचिव के रूप में इन्हीं माताओं में एक का चयन किया जाएगा। शिक्षा समिति के अधिकार व कर्तव्य
विद्यालय शिक्षा समिति स्कूल संचालन की हर गतिविधि पर नजर रखती है। इसमें शिक्षकों की समय पर उपस्थिति कराना, स्कूल भवन निर्माण तथा एमडीएम की मॉनिटरिग, स्कूल में राइट-टू-एजुकेशन के साथ ही सरकार की ओर से संचालित हो रही योजनाओं को पूरा कराने जैसे महत्वपूर्ण कार्यों की जिम्मेवारी भी है। कोट राज्य परियोजना का पत्र मिला है। इसे सभी बीआरसी को जारी कर दिया गया है। सभी को 31 जून तक विद्यालय में शिक्षा समिति का पुनर्गठन कर लेना है। -गिरिश कुमार, डीपीओ