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New education policy: एक-दूसरे से पढ़ना-पढ़ाना सीख रहे 80 हजार शिक्षक

 यहां गुरु ही शिष्य, शिष्य ही गुरु हैं। प्रदेश के 80 हजार शिक्षक एक ही मंच पर मौजूद हैं। इनमें 12वीं स्तर तक की कक्षाओं के 16 हजार व्याख्याता भी शामिल हैं। 4,000 पेशेवर शिक्षण समुदायों (प्रोफेशनल लर्निंग कम्युनिटी, पीएलसी) को राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद का प्रोत्साहन नई दिशा प्रदान कर रहा है।

हर विषय के शिक्षकों को सरकारी वेबसाइट (सीजी स्कूल डाट इन) पर पंजीकृत किया जा रहा है। सभी को एक-दूसरे से बेहतरीन तरीके से पढ़ाने का तरीका सीखने-सिखाने का समान अवसर मिला रहा है। इस तरह स्कूली बच्चों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए कोरोना काल को शिक्षकों ने आपसी तालमेल से अवसर के रूप में सृजित कर लिया है। स्वयं ही ज्ञान का निरंतर प्रवाह आदर्श आकार प्राप्त करने लगा है।

छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है जहां पर पीएलसी के जरिए शिक्षकों का प्रशिक्षण हो रहा है। बिहार, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में कुछ जगहों पर शिक्षकों का समूह बनाया गया था लेकिन वहां सफलता नहीं मिल सकी। छत्तीसगढ़ में स्कूल शिक्षा के प्रमुख सचिव डा. आलोक शुक्ला ने बताया कि शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए नई श्ािक्षा नीति के अनुसार काम शुरू हो गया है।

आठवीं तक के बच्चों में भाषा, गणित और विज्ञान की शिक्षा के लिए कौशल विकसित करने की दिशा में प्रयास हो रहे हैं। बच्चों में सहज तरीके से अंग्रेजी में अपनी बात कहने की क्षमता विकसित करने, आनलाइन पढ़ाने, वीडियो बनाने, क्यूआर कोड बनाने में शिक्षक भी सक्षम होने लगे हैं।

केस 01 शिक्षा एक्सप्रेस: दुर्ग जिले की शासकीय प्राथमिक शाला सेलूद पाटन के शिक्षक मिलिंद्र चंद्रा ने शिक्षा एक्सप्रेस समूह बनाया। इसके तहत बच्चों के लिए आनलाइन थीम आधारित क्विज सीरीज का आयोजन किया। इसे माध्यमिक शाला महमरा दुर्ग की शिक्षिका नीलू महिकवार ने भी अपनाया। वे बताती हैं कि वह भी बच्चों के लिए आनलाइन थीम पर क्विज सीरीज बना रही हैं।

केस 02 नवाचारी समूह: शासकीय प्राथमिक शाला भगवानपुर, सरगुजा की शिक्षिका प्रमिला कुशवाहा बताती हैं कि वे भी अंबिकापुर की पीएलसी सदस्य बनी हैं। इससे शिक्षण गुणवत्ता में निखार आया है। उन्होंने बताया कि कक्षा को तस्वीरों से सुसज्जित करने से माहौल बदल गया। मुहल्ला क्लास में कैसे पढ़ाएं, इसका भी प्रशिक्षण मिला।

केस 03 पीएलसी कोटा: शासकीय प्राथमिक शाला खरगहनी, बिलासपुर की शिक्षिका दीप्ति दीक्षित बताती हैं कि कोरोना काल में पीएलसी का महत्वपूर्ण योगदान रहा। वह पीएलसी कोटा से जुड़ी हैं। युवाओं को शिक्षा सारथी बनाकर उन्हें छोटे बच्चों को पढ़ाने का तरीका सिखाया। कोरोना के समय में मुहल्लों में हमने इसी के जरिए कालेज और स्कूल के बड़े बच्चों को शिक्षा सारथी बनाकर अध्ययन-अध्यापन जारी रखा।

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