शोषित समाज सेवा समिति के संयोजक सह गया शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से बिहार
विधान परिषद के सदस्य संजीव श्याम सिंह ने कहा कि सामान्य वर्ग के साथ-साथ
मुस्लिमों को आरक्षण कैसे मिले इसके लेकर समाज में तेज
बहस चल रही है, लेकिन इस मुद्दे पर अधिकांश राजनीतिक दल गोलमटोल और गैर संवैधानिक बयान देते दिखाई दे रहे हैं। वे शनिवार को सर्किट हाउस में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि एस-4 यह समझता है कि 50 प्रतिशत के दायरे में सामान्य के साथ-साथ मुस्लिमों को भी शामिल किया जा सकता है। आजादी के 70 वर्ष बाद सामान्य वर्ग में काफी संख्या में भूमिहीन हुए हैं। ऐसे में इनकी सामाजिक स्थिति बदतर हुई है। उन्होंने बिहार के संदर्भ में कहा कि झारखंड निर्माण के बाद अनुसूचित जाति का आरक्षण 7.5 से घटकर एक प्रतिशत हो गया है। एमएलसी सदस्य ने कहा कि शोषित समाज सेवा समिति 5 नवंबर को अपनी पहली वर्षगांठ मना रहा है।
राष्ट्रीय स्तर पर गठित हो आयोग
राष्ट्रीय संदर्भ में उन्होंने कहा कि सामाजिक एवं मुस्लिम समेत सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े लोगों को गरीब और पिछड़ा मानकर उन्हें पिछड़ा वर्ग में शामिल किया जाए। इसी कदम से सामाजिक न्याय की अवधारणा सफल होगी। उन्होंने मांग की है कि राष्ट्रीय स्तर पर एक आयोग का गठन कर इसे संवैधानिक दर्जा प्रदान किया जाए। मौके पर समिति के प्रांतीय नेता अखिलेश्वर प्रसाद सिंह, रघुवर दयाल सिंह, हरेंद्र मिश्रा, वीरेंद्र कुमार, राजनारायण शर्मा, राजीव मिश्रा, अवधेश ठाकुर, राधेश्याम सिंह समेत कई लोग उपस्थित थे।
बहस चल रही है, लेकिन इस मुद्दे पर अधिकांश राजनीतिक दल गोलमटोल और गैर संवैधानिक बयान देते दिखाई दे रहे हैं। वे शनिवार को सर्किट हाउस में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि एस-4 यह समझता है कि 50 प्रतिशत के दायरे में सामान्य के साथ-साथ मुस्लिमों को भी शामिल किया जा सकता है। आजादी के 70 वर्ष बाद सामान्य वर्ग में काफी संख्या में भूमिहीन हुए हैं। ऐसे में इनकी सामाजिक स्थिति बदतर हुई है। उन्होंने बिहार के संदर्भ में कहा कि झारखंड निर्माण के बाद अनुसूचित जाति का आरक्षण 7.5 से घटकर एक प्रतिशत हो गया है। एमएलसी सदस्य ने कहा कि शोषित समाज सेवा समिति 5 नवंबर को अपनी पहली वर्षगांठ मना रहा है।
राष्ट्रीय स्तर पर गठित हो आयोग
राष्ट्रीय संदर्भ में उन्होंने कहा कि सामाजिक एवं मुस्लिम समेत सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े लोगों को गरीब और पिछड़ा मानकर उन्हें पिछड़ा वर्ग में शामिल किया जाए। इसी कदम से सामाजिक न्याय की अवधारणा सफल होगी। उन्होंने मांग की है कि राष्ट्रीय स्तर पर एक आयोग का गठन कर इसे संवैधानिक दर्जा प्रदान किया जाए। मौके पर समिति के प्रांतीय नेता अखिलेश्वर प्रसाद सिंह, रघुवर दयाल सिंह, हरेंद्र मिश्रा, वीरेंद्र कुमार, राजनारायण शर्मा, राजीव मिश्रा, अवधेश ठाकुर, राधेश्याम सिंह समेत कई लोग उपस्थित थे।