राज्यके 34 हजार शिक्षकों और पुस्तकालयाध्यक्षों की नौकरी पर तलवार लटकती
दिख रही है। प्राथमिक से लेकर उच्चतर माध्यमिक स्कूलों के 34 हजार शिक्षकों
के सर्टिफिकेट की फाइल गायब है। 3,65,152 शिक्षकों और पुस्तकालयाध्यक्षों
में से तीन लाख से अधिक सर्टिफिकेट की जांच हो चुकी है।
माना जा रहा है कि फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर बहाल शिक्षकों के सर्टिफिकेट निगरानी विभाग के अधिकारियों को उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। विभिन्न स्तरों के नियोजन इकाइयों से सर्टिफिकेट नहीं दिए जा रहे हैं।
करीब दो साल से निगरानी विभाग नियोजित शिक्षकों और पुस्तकालयाध्यक्षों के सर्टिफिकेट की जांच कर रहा है। सर्टिफिकेट की जांच के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारियों से भी मदद ली जा रही है। फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर पटना हाईकोर्ट में दायर याचिका के बाद कोर्ट के आदेश पर सभी नियोजित शिक्षकों के सर्टिफिकेट की जांच हो रही है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट में 40 हजार फर्जी शिक्षक होने का मामला दर्ज कराया था। मई, 2015 में पटना उच्च न्यायालय ने 2006 के बाद बहाल सभी शिक्षकों और पुस्तकालयाध्यक्षों के सर्टिफिकेट जांच निगरानी से कराने के लिए कहा था। इस्तीफा नहीं देने वाले फर्जी तरीके से बहाल शिक्षकों से मानदेय की वसूली के साथ ही कानूनी कार्रवाई की भी चेतावनी दी गई है।
अधिकारियों-जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत से हुए बहाल
पंचायतनियोजन इकाई में मुखिया और अन्य में संबंधित जनप्रतिनिधियों को शिक्षकों के नियोजन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली थी। इस दौरान कम अंक वालों या फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर नियुक्ति के आरोप लगे। गलत तरीके से शिक्षकों के नियोजन के मामले में कई मुखिया जेल भी भेजे गए थे। कई और लोग संदेह के घेरे में हैं, जिन पर कार्रवाई हो सकती है।
जांच से पहले 3000 शिक्षकों का इस्तीफा
जांचशुरू होने के पहले ही शिक्षा विभाग ने फर्जी डिग्री पर बहाल शिक्षकों से कहा था कि इस्तीफा देने पर उनसे राशि वसूली नहीं की जाएगी। इसके बाद तीन हजार शिक्षकों ने इस्तीफा दे दिया था। शिक्षा विभाग में पिछली बार समीक्षा में पाया गया कि निगरानी जांच में उच्चतर माध्यमिक में 121, माध्यमिक में 66, प्राथमिक में 136 और पुस्तकालयाध्यक्षों में 13 सर्टिफिकेट फर्जी हैं। नवादा में 2008 की रिक्ति के आधार पर 800 शिक्षकों का नियोजन विभागीय अधिकारियों और मुखिया की मिलीभगत से किया गया था। इस मामले में शिक्षा विभाग को लगातार शिकायत मिल रही थी। बैकलॉग के आधार पर रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए विभाग से अनुमति नहीं ली गई थी। इस मामले की जांच भी शिक्षामंत्री ने निगरानी विभाग से कराने के लिए कहा था।
माना जा रहा है कि फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर बहाल शिक्षकों के सर्टिफिकेट निगरानी विभाग के अधिकारियों को उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। विभिन्न स्तरों के नियोजन इकाइयों से सर्टिफिकेट नहीं दिए जा रहे हैं।
करीब दो साल से निगरानी विभाग नियोजित शिक्षकों और पुस्तकालयाध्यक्षों के सर्टिफिकेट की जांच कर रहा है। सर्टिफिकेट की जांच के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारियों से भी मदद ली जा रही है। फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर पटना हाईकोर्ट में दायर याचिका के बाद कोर्ट के आदेश पर सभी नियोजित शिक्षकों के सर्टिफिकेट की जांच हो रही है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट में 40 हजार फर्जी शिक्षक होने का मामला दर्ज कराया था। मई, 2015 में पटना उच्च न्यायालय ने 2006 के बाद बहाल सभी शिक्षकों और पुस्तकालयाध्यक्षों के सर्टिफिकेट जांच निगरानी से कराने के लिए कहा था। इस्तीफा नहीं देने वाले फर्जी तरीके से बहाल शिक्षकों से मानदेय की वसूली के साथ ही कानूनी कार्रवाई की भी चेतावनी दी गई है।
अधिकारियों-जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत से हुए बहाल
पंचायतनियोजन इकाई में मुखिया और अन्य में संबंधित जनप्रतिनिधियों को शिक्षकों के नियोजन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली थी। इस दौरान कम अंक वालों या फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर नियुक्ति के आरोप लगे। गलत तरीके से शिक्षकों के नियोजन के मामले में कई मुखिया जेल भी भेजे गए थे। कई और लोग संदेह के घेरे में हैं, जिन पर कार्रवाई हो सकती है।
जांच से पहले 3000 शिक्षकों का इस्तीफा
जांचशुरू होने के पहले ही शिक्षा विभाग ने फर्जी डिग्री पर बहाल शिक्षकों से कहा था कि इस्तीफा देने पर उनसे राशि वसूली नहीं की जाएगी। इसके बाद तीन हजार शिक्षकों ने इस्तीफा दे दिया था। शिक्षा विभाग में पिछली बार समीक्षा में पाया गया कि निगरानी जांच में उच्चतर माध्यमिक में 121, माध्यमिक में 66, प्राथमिक में 136 और पुस्तकालयाध्यक्षों में 13 सर्टिफिकेट फर्जी हैं। नवादा में 2008 की रिक्ति के आधार पर 800 शिक्षकों का नियोजन विभागीय अधिकारियों और मुखिया की मिलीभगत से किया गया था। इस मामले में शिक्षा विभाग को लगातार शिकायत मिल रही थी। बैकलॉग के आधार पर रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए विभाग से अनुमति नहीं ली गई थी। इस मामले की जांच भी शिक्षामंत्री ने निगरानी विभाग से कराने के लिए कहा था।