शिक्षक साथियों
वर्तमान के सापेक्ष एक विनम्र अपील आप तमाम से निवेदित है.. ऐसा नहीं कि हम संघर्ष के लिए निर्णीत रणनीतियों को अमलो अन्जाम तक न पहुँच पाते देखकर दर्द से भींगते नहीं हैं.. बहुत दुःख होता है.. शिक्षक आंदोलन में खुद के जीवन को समर्पित सिपाही की तरह झोंक देने की चाहत लिए चलते हुए जब भी इसपर राजनैतिक वर्चस्व केलिये प्रपंचों के हमले देखता हूँ तो मन व्यथित हो जाता है..
आज के कठिन दौर में आप तमाम साथियों से बस यही गुजारिश है कि एक बार विचार करें..
शिक्षक आंदोलन में हमें हमारा ध्यान अपने लक्ष्य पर केंद्रित करना चाहिए या शक्ति प्रदर्शन के तिकड़मों पर..?
विचार करें कि
जब सरकार हमारे आंदोलन पर ध्यान देने को तनिक भी तैयार नहीं जिसका उदाहरण माध्यमिक शिक्षक संघ का आंदोलन है ,तो व्यापक जन-दबाव बनाने केलिये सभी संगठनों को एकजुट किये बिना और बिना कोई पूर्व तैयारी किये बेवक्त हड़ताल व् तालाबंदी जैसे बड़े आंदोलन का निर्णय क्या एकतरफा नहीं है..?
यह भी विचारणीय है कि
हम शिक्षक, क्या राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति और शक्तिप्रदर्शन के मानक प्रतीक का औजार मात्र ही बने रहने को अभिशप्त हैं क्या..?
हम पूरे सूबे बिहार के आम शिक्षकों से ये अपील करते हैं कि
बिना भेदभाव के और बिना राजनीतिक पूर्वाग्रहों के निष्पक्ष और निष्कलुष भाव से सोचकर निर्णय दें कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य हड़ताल का जो चेहरा सामने दिख रहा वो हमें किस मुकाम की ओर ले जाने वाला है..!
हम आपस में सिर फुटौल या गाली गलौज से कैसा समय गढ़ रहे हैं
हमारे tet के साथी इस मसले पर पूरे बिहार के आम शिक्षकों के बीच इस रणनीतिक निर्णय पर विमर्श करें, साथियों को प्रेरित करें, जो भोले भाले शिक्षक केवल नियोजित होने के भावपूर्ण लगाव के कारण किसी अंधनिर्णय के शिकार हो रहे तो उनके सामने पूरे मामले को खोलकर रखें.. उन्हें निर्णय लेने के लिए प्रेरित करें
आखिर किसी आंदोलन में भागीदार होने और न होने का निर्णय लेने सम्बन्धी पूरा हक उन्हें इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में प्राप्त है..तब जाकर जो तस्वीर उभरेगी वही हमारे आंदोलन की दिशा और दशा को तय करनेवाली सार्थक तस्वीर होगी तथा हमें यह ससम्मान स्वीकारना होगा..!!अंत में सूबे के तमाम शिक्षकों से अपील कि आपसी सौहार्द कायम रखते हुए सही वक़्त पर एकजुटता की बुनियाद पर पूरी ताकत के साथ आंदोलन का आगाज हो ...
आपका
राजू सिंह
प्रदेश उपाध्यक्ष
Tsunss बिहार
वर्तमान के सापेक्ष एक विनम्र अपील आप तमाम से निवेदित है.. ऐसा नहीं कि हम संघर्ष के लिए निर्णीत रणनीतियों को अमलो अन्जाम तक न पहुँच पाते देखकर दर्द से भींगते नहीं हैं.. बहुत दुःख होता है.. शिक्षक आंदोलन में खुद के जीवन को समर्पित सिपाही की तरह झोंक देने की चाहत लिए चलते हुए जब भी इसपर राजनैतिक वर्चस्व केलिये प्रपंचों के हमले देखता हूँ तो मन व्यथित हो जाता है..
आज के कठिन दौर में आप तमाम साथियों से बस यही गुजारिश है कि एक बार विचार करें..
शिक्षक आंदोलन में हमें हमारा ध्यान अपने लक्ष्य पर केंद्रित करना चाहिए या शक्ति प्रदर्शन के तिकड़मों पर..?
विचार करें कि
जब सरकार हमारे आंदोलन पर ध्यान देने को तनिक भी तैयार नहीं जिसका उदाहरण माध्यमिक शिक्षक संघ का आंदोलन है ,तो व्यापक जन-दबाव बनाने केलिये सभी संगठनों को एकजुट किये बिना और बिना कोई पूर्व तैयारी किये बेवक्त हड़ताल व् तालाबंदी जैसे बड़े आंदोलन का निर्णय क्या एकतरफा नहीं है..?
यह भी विचारणीय है कि
हम शिक्षक, क्या राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति और शक्तिप्रदर्शन के मानक प्रतीक का औजार मात्र ही बने रहने को अभिशप्त हैं क्या..?
हम पूरे सूबे बिहार के आम शिक्षकों से ये अपील करते हैं कि
बिना भेदभाव के और बिना राजनीतिक पूर्वाग्रहों के निष्पक्ष और निष्कलुष भाव से सोचकर निर्णय दें कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य हड़ताल का जो चेहरा सामने दिख रहा वो हमें किस मुकाम की ओर ले जाने वाला है..!
हम आपस में सिर फुटौल या गाली गलौज से कैसा समय गढ़ रहे हैं
हमारे tet के साथी इस मसले पर पूरे बिहार के आम शिक्षकों के बीच इस रणनीतिक निर्णय पर विमर्श करें, साथियों को प्रेरित करें, जो भोले भाले शिक्षक केवल नियोजित होने के भावपूर्ण लगाव के कारण किसी अंधनिर्णय के शिकार हो रहे तो उनके सामने पूरे मामले को खोलकर रखें.. उन्हें निर्णय लेने के लिए प्रेरित करें
आखिर किसी आंदोलन में भागीदार होने और न होने का निर्णय लेने सम्बन्धी पूरा हक उन्हें इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में प्राप्त है..तब जाकर जो तस्वीर उभरेगी वही हमारे आंदोलन की दिशा और दशा को तय करनेवाली सार्थक तस्वीर होगी तथा हमें यह ससम्मान स्वीकारना होगा..!!अंत में सूबे के तमाम शिक्षकों से अपील कि आपसी सौहार्द कायम रखते हुए सही वक़्त पर एकजुटता की बुनियाद पर पूरी ताकत के साथ आंदोलन का आगाज हो ...
आपका
राजू सिंह
प्रदेश उपाध्यक्ष
Tsunss बिहार