त्यागी के तंज:- कुछ चुनिंदा शिक्षकों की फर्जी हड़ताल बन गया है एक मजाक और कामचोरी का नमूना

त्यागी के तंज:-
कुछ चुनिंदा शिक्षकों की फर्जी हड़ताल बन गया है एक मजाक और कामचोरी का नमूना।
मित्रों अभी मैं राज्य के भूमिहार बहुल जिले बेगूसराय में हड़ताल की पड़ताल पर था। यहाँ के लगभग सभी प्रखंडों में घूमकर मैंने लगभग दो हजार शिक्षकों से व्यक्तिगत रूप से मिला या टेलीफोनिक वार्ता की(कथित 'अहंकारी' नेताओं को छोड़कर आम शिक्षकों से)।

उसके जो परिणाम मिले और निष्कर्ष निकला वो चौंकाने वाला एक कटु सत्य है।
निष्कर्ष 1- प्रति सौ शिक्षकों में से अन्ठान्वे शिक्षकों ने अभी हड़ताल को गैर जरूरी बताया।

निष्कर्ष 2- सभी ने जबरन अनुचित दबाव में हड़ताल पर जाने की बात कही।

निष्कर्ष 3- सभी ने गुप्त रूप से अपने कथित आकाओं के कहने पर उपस्थिति पंजी में अपने काॅलम को रिक्त छोड़ रखा है ताकी विपरीत परिस्थिति में उपस्थिति दर्ज की जा सके। कुछ ने तो चोरी-चुपके अपनी उपस्थिति दर्ज भी कर ली है।

निष्कर्ष 4- कथित शिक्षक नेता भी इसी मौके की ताक में हैं। आम शिक्षकों को दिग्भ्रमित करने के लिए कहने भर को कुछ ने फर्जी नये या पूराने उपस्थिति पंजी में हड़ताल लिखकर उन्हें दिखा दिया है। असली उपस्थिति पंजी अभी भी खाली है।

निष्कर्ष 5- ग्रामीणों मैं ऐसे शिक्षकों के प्रति गहरी नाराजगी पनप रही है।

निष्कर्ष 6- शिक्षा विभाग ऐसे हालात में कड़ी कारवाई के मूड में है।

निष्कर्ष 7- विभागीय निरीक्षण में जो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं वो तो और भी गम्भीर मामला बनता है- शिक्षा के अधिकार कानून का उल्लंघन, उपस्थिति दर्ज शिक्षक हड़ताल के नाम पर बैठे मिले या नदारद मिले।

निष्कर्ष 8- एक ही विद्यालय के शिक्षकों में तनाव की स्थिति बनी हुई है।

निष्कर्ष 9- आम शिक्षक स्वयं को पीसता हुआ और असुरक्षित महसूस कर रहा है।

निष्कर्ष 10- विभागीय कारवाई की स्थिति में नेता कुछ लेनदेन करवाकर आपको कारवाई से बचा लेंगे (लेकिन आर्थिक नुकसान आम शिक्षकों को ही झेलना होगा) ।
निष्कर्ष 11- विभागीय पदाधिकारियों द्वारा प्रधानाध्यापक से हड़ताली शिक्षकों की सूची मांगी गई है निश्चित रूप से कारवाई के लिए । प्रधानाध्यापक मजबूरी में नाम दे रहे हैं ताकी अधिकारियों की कृपादृष्टि बनी रहे तथा विद्यालय और मध्याह्न भोजन रूपी कमाई के श्रोतों में व्यवधान उत्पन्न न हो।
निष्कर्ष 12- सूची में अधिकाधिक नाम देखकर शिक्षक नेताओं की बांछे खिल गई हैं (आखिर दलाली से आमदनी जो होने वाली है)। वे बिना घबराए और अधिक से अधिक हड़ताल में जाने की अपील शिक्षकों से कर रहे हैं ताकी आमदनी बढ़ सके।
इन्हीं चिंताओं के बीच आम शिक्षक घुटन महसूस कर रहे हैं और धीरे-धीरे हड़ताल से वापस आ रहे हैं या आजकल में वापस आने की स्थिति में हैं । हड़ताल कमजोर हो रहा है और कथित अहंकारी शिक्षक नेता (कमाई हेतु) उसे और जोर-शोर से चलाने और हड़ताल की मजबूती का झूठा दम्भ भर रहे हैं।

आम शिक्षक अगर अब भी नहीं सम्हले तो निकट भविष्य में आप गम्भीर परिणाम भुगतेंगे(विभागीय कार्रवाई और आर्थिक नुकसान के रूप में)। हाँ कथित नेता आपको गाँधीजी के मदद से आपको बचा लेंगे और आप पर अहसान जताएंगे -देखा मैंने कहा था न कि कुछ नहीं होगा।
इस सबके बावजूद यदि आप सोचते हो कि अभी हड़ताल से आपको समान काम का समान वेतन मिल जाएगा तो आप भ्रम में हो और आप बूरे फँसने वाले हो।
विचारशील प्राणी हो सोचो। बाकी सबकी अपनी मर्जी है।
धन्यवाद
वास्तविक शिक्षकों का हितैषी(जो वास्तविक नहीं वो इस पोस्ट से दूर ही रहें)
शैलेन्द्र सिंह 'त्यागी'।

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