अररिया। बिहार में शिक्षा की स्थिति बदहाल हैँ। यहां अधिकतम महाविद्यालय
खुलता तो है, लेकिन छात्र नहीं जाते। महाविद्यालय में कई विषयों के शिक्षक
ही नहीं है। पैसे वाले तो बाहर भी पढ़ लेते हैं लेकिन गांव से आने वाले
गरीब व किसानों के बच्चों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में मुश्किल होता
है।
यह बातें महिला कालेज अररिया में प्रेस वार्ता में राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद सदस्य प्रो. एमपी ¨सह ने कहा।
उन्होंने कहा कि यही स्थिति मध्य विद्यालय व उच्च विद्यालयों की भी है। शैक्षिक कार्य से इतर कई सरकारी कार्यों में शिक्षकों को लगा दिया जाता है। परिणामस्वरूप बच्चों की पढ़ाई बाधित होती है। परिषद का मानना है कि शिक्षक को शिक्षण के अलावा किसी अन्य कार्य में लगाना शिक्षक तथा शिक्षा दोनों का अपमान है। प्रो. एमपी ¨सह ने कहा कि बिहार में भ्रष्टाचार और अफसरशाही चरम पर है। किसी भी विभाग में बिना घूस दिए काम असंभव है। अधिकांश शिक्षण संस्थानों में छात्रों से अवैध वसूली की जाती है। बिहार में अपराध का ग्राफ बढ़ा है। उन्होंने कहा कि 23 जनवरी को महाविद्यालय में होने वाले जिला छात्र सम्मेलन में इन मुद्दों पर विशेष चर्चा होगी।
यह बातें महिला कालेज अररिया में प्रेस वार्ता में राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद सदस्य प्रो. एमपी ¨सह ने कहा।
उन्होंने कहा कि यही स्थिति मध्य विद्यालय व उच्च विद्यालयों की भी है। शैक्षिक कार्य से इतर कई सरकारी कार्यों में शिक्षकों को लगा दिया जाता है। परिणामस्वरूप बच्चों की पढ़ाई बाधित होती है। परिषद का मानना है कि शिक्षक को शिक्षण के अलावा किसी अन्य कार्य में लगाना शिक्षक तथा शिक्षा दोनों का अपमान है। प्रो. एमपी ¨सह ने कहा कि बिहार में भ्रष्टाचार और अफसरशाही चरम पर है। किसी भी विभाग में बिना घूस दिए काम असंभव है। अधिकांश शिक्षण संस्थानों में छात्रों से अवैध वसूली की जाती है। बिहार में अपराध का ग्राफ बढ़ा है। उन्होंने कहा कि 23 जनवरी को महाविद्यालय में होने वाले जिला छात्र सम्मेलन में इन मुद्दों पर विशेष चर्चा होगी।